loader

भीमा-कोरेगाँव और दलित राजनीति का ध्रुवीकरण 

दलित राजनीति में अपनी दख़ल स्थापित करने के लिए आतुर बीजेपी की तरफ से कई सेल्फ़ गोल हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दलित एक्ट में कुछ बदलाव आने के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आनन-फानन में नया कानून बनाकर अपने पारंपरिक वोट सवर्णों को बहुत नाराज़ कर दिया है। अभी संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में सवर्णों ने बड़े पैमाने पर बीजेपी का विरोध किया। पार्टी के रणनीतिकार उम्मीद कर रहे हैं कि दलितों का एक वर्ग उनकी तरफ आ जाएगा, लेकिन भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर के साथ जो हो रहा है लगता है, दलितों में बड़े पैमाने पर बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल बनेगा। चंद्रशेखर वोट दिलाने की स्थिति तो में अभी नहीं हैं लेकिन माहौल पैदा करने में बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। वे आजतक मुंबई में हैं। वे महारष्ट्र में कई सभाएं करना चाहते हैं। पुणे में सावित्री बाई फुले पीठ में उनका भाषण है और 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव के दलितों के आस्था के एक केंद्र विजय स्तंभ पर श्रद्धासुमन भी चढ़ाना  चाहते हैं लेकिन लगता है कि सब गड़बड़ा गया है। ख़बर है कि उनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 
Bhima Koregaon Movement भlikeky to increase Caste Polarisation - Satya Hindi

निशाने पर चंद्रशेखर

शुक्रवार को वे मुंबई पहुंचे थे। पता चला है कि उनको दिन भर मुंबई पुलिस ने उनको होटल में ही नज़रबंद रखा और शाम को गिरफ्तार कर लिया। वे बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की चैत्य भूमि में दादर जाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे लेकिन लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उन्हें पकड़ लिया गया। उनकी योजना शनिवार को मुंबई के वर्ली में सभा करने की थी, उनके पास अनुमति नहीं है। उसके बावजूद भी सभा करने पर आमादा चंद्रशेखर को पुलिस ने गिरफ़्तार कर  लिया। एक वीडियो जारी करके चंद्रशेखर ने कहा कि वे अपने सहयोगियों से बात करना चाहते थे लेकिन पुलिस ने रोक लिया। उन्होंने सरकार से पूछा कि उन्होंने कौन सा कानून तोडा है जो  उनको गिरफ़्तार किया गया है। 

चंद्रशेखर ने कहा कि लगता है कि मनुस्मृति अब सरकार का नया क़ानून बन गया है जिसके तहत दलितों की बात करने या अपने तीर्थस्थानों पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने अपनी लडाई को संविधान की रक्षा की लड़ाई बताया और दावा किया कि संघर्ष जारी रहेगा।

उन्होंने यह भी  पूछा है कि  क्या प्रधानमंत्री मोदी संविधान में मिले हुए अधिकारों को नष्ट करना चाहते हैं? क्या इस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी समाप्त कर दी गई है?

दलित ऑइकॉन?

चंद्रशेखर को मनमांगी मुराद मिल गई है, वे यही तो चाहते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से उनकी गिरफ़्तारी और बाद में रिहाई के बाद वे एक दलित हीरो के रूप में तेज़ी से मान्यता हासिल कर  रहे  हैं। अब देश की आर्थिक राजधानी, मुंबई में विवाद के घेरे में आकर वे निश्चित रूप से अखिल भारतीय नेता हो जायेंगें और महाराष्ट्र सरकार उनकी योजना में अनजाने ही ज़रूरी सहयोग  दे रही है। और चंद्रशेखर वह काम आगे बढ़ाने में लगे हैं जिसको कांशीराम ने  शुरू किया था।

कांशीराम के रास्ते?

जब कांशीराम ने महाराष्ट्र में डॉ बी. आर. आम्बेडकर स्थापित  रिपब्लिकन पार्टी के विभिन्न गुटों में एकता लाने की कोशिश की तो उनको ख़ास सफलता नहीं मिली। केंद्र सरकार के एक संस्थान के कर्मचारी के रूप में उन्होंने सरकारी सेवा में काम करने वाले दलितों का ट्रेड यूनियन तर्ज पर संगठन बनाने की कोशिश की लेकिन महाराष्ट्र में उनको कोई सफलता नहीं मिली। 

जब जनता पार्टी के गठन के बाद बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लगभग सभी सवर्ण नेता एकजुट हो गए तो कांशी राम को मनोवांछित अवसर मिल गया। उसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश को अपना बनाया तो मायावती को आगे किया और उन्होंने देश की राजनीति का व्याकरण बदल दिया।

मायावती ने सहारनपुर में बहुत काम किया और उसी सहारनपुर से दलित राजनीति का एक नया नेता उभरा है। चन्द्रशेखर रावण ने भीम आर्मी नाम का एक संगठन बनाकर बड़े पैमाने पर नवजवानों को इकठ्ठा किया है। उत्तर प्रदेश ने सरकार ने उनको गिरफ़्तार किया और बाद में छोड़ना पडा। वही चंद्रशेखर रावण अब अपनी प्रभाव को बढाने के लिए महाराष्ट्र के रुख किया है। 

महारों की याद

महाराष्ट्र बाबासाहब भीम राव आंबेडकर की  कर्मभूमि है, वहां उन्होंने दलित चेतना के लिए बहुत काम किया, मंदिर प्रवेश आदि कार्यक्रम भी करवाए। डॉ आंबेडकर ने ही भीमा कोरेगांव में बने दलित शौर्य के स्तम्भ पर 1927 में उत्सव आयोजित किया और पेशवा की सेना पर ईस्ट इण्डिया कंपनी के महार रेजिमेंट की जीत का जश्न मनाया था। तब से १ जनवरी को हर साल वहां दलित और आंबेडकर के अनुयायी इकठ्ठा होते हैं और जश्न मनाते हैं। 

दलित गौरव

पिछले साल भीमा-कोरेगांव की उस घटना के दो सौ साल पूरे होने पर विशेष कार्यकर्म आयोजित किया गया था। 

भीमा- कोरेगांव की वह  घटना जहां दलितों के  लिए  विजय का जश्न मनाने की बात है, वहीं पेशवा बाजीराव के समर्थकों के लिए शर्म की बात मानी जाती  है। 1 जनवरी 2018 के दिन मराठा गर्व की बात भी सामने आ गई। संभाजी भिड़े नाम के एक बुज़ुर्ग ने दलितों के गौरव अंग्रेजों का समर्थन घोषित करके उनको घेरे में लेने की कोशिश की।  

Bhima Koregaon Movement भlikeky to increase Caste Polarisation - Satya Hindi
आरोप है संभाजी भिड़े को इस काम में महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से भी प्रोत्साहन मिला। नतीजा यह हुआ कि मामला विवादों के घेरे में आ गया। जनवरी 2018 के कार्यक्रम में गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवानी की मौजूदगी ने आग में घी का काम किया था। आज भीमा-कोरेगाँव को  दुनिया भर में जाना जाता है। अपनी गिरफ्तारी के बाद चंद्रशेखर ने सरकार को दलित विरोधी साबित करने के  अभियान का आगाज़ कर दिया है। आने वाला वक़्त  बहुत ही दिस्ल्चस्प होने वाला है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

आन्दोलन से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें