दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज़फ़र-उल-इसलाम ख़ान और 6 अलाभकारी संस्थाओं के 9 ठिकानों पर राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी के छापे से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
नीतीश को बिहार की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। ऐसा चाणक्य जो बिहार में पिछले पंद्रह सालों से शासन के शीर्ष पर रहा। उनके राजनीतिक चातुर्य का करिश्मा ये है कि बीजेपी और आरजेडी दोनों, उनके नीचे रह कर सरकार में शामिल रहे।
क्या एकनाथ खडसे के पार्टी छोड़ने के बाद पंकजा मुंडे भी अपनी नयी राह चुनने की रणनीति बना रही हैं? या वह भारतीय जनता पार्टी में रहकर ही अपने कद को मज़बूत करने की क़वायद में जुट गयी हैं?
लोकतांत्रिक होने के लिए उसमें हर एक वर्ग, जाति, समुदाय की मौजूदगी ज़रूरी है। लोकतांत्रिक होने की इस कसौटी पर भारतीय मीडिया खरा नहीं उतरता है क्योंकि इसमें वह विविधता नहीं है।
टीआरपी आने के बाद से न्यूज़ चैनलों में नई गिरावट आई है और इसीलिए टीआरपी स्कैम जैसे मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन यह अकेला ज़िम्मेदार नहीं है। पढ़िए टीआरपी, हिंदुत्व की राजनीति और टीवी पत्रकारिता के बीच क्या है संबंध...
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कुल 71 सीटों के लिए आज 53.54 प्रतिशत वोट पड़े। मतदान आमतौर पर शांतिपूर्ण रहा और कहीं से किसी बड़ी हिंसा की ख़बर नहीं आई।
आरोग्य सेतु को किसने बनाया, उसके बारे में नेशनल इन्फ़ॉर्मेटिक्स सेंटर और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ही इसकी जानकारी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग ने 'ढुलमुल जवाब' देने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया है।