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नागरिकता क़ानून: जामिया में प्रदर्शन, छात्रों पर लाठीचार्ज

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के कई हिस्सों में विरोध के बीच जामिया मिलिया इसलामिया में प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया। पुलिस और छात्रों के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई। स्थिति अनियंत्रित होती देख पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज किया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आँसू गैस के गोले भी दागे। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि छात्रों द्वारा कथित तौर पर पथराव करने बाद पुलिस ने बल का प्रयोग किया। क़रीब 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर झड़प की तसवीरें वायरल होने लगीं। कई लोगों ने इसके वीडियो शेयर किए। 

इससे पहले पुलिस ने विश्वविद्यालय कैंपस के बाहर रास्तों पर बैरिकेड्स लगाए थे। हिंसा की आशंका के मद्देनज़र पुलिस ने बैरिकेड्स पर चढ़कर पार करने वाले छात्रों को पहले से ही हिरासत में लेना शुरू कर दिया था। पुलिस ने इसकी तैयारी पहले से ही कर ली थी।

छात्रों ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आज सुबह ही विरोध-प्रदर्शन और संसद तक मार्च करने की घोषणा की थी। लेकिन पुलिस ने छात्रों को विश्वविद्यालच के पास ही रोक दिया और यहाँ पर झड़प हो गई। इस प्रदर्शन को देखते हुए ही दिल्ली मेट्रो के पटेल चौक और जनपथ मेट्रो स्टेशन के गेट बंद कर दिए गए थे। दिल्ली मेट्रो ने भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने उसे दोनों स्टेशनों पर प्रवेश और निकासी को रोकने के लिए कहा था। 

बता दें कि ऐसा ही विरोध शुक्रवार को शिलांग में भी हुआ। हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए। पुलिकर्मियों और प्रदर्शन करने वालों के बीच झड़प हुई। कहा गया कि लोगों ने कथित तौर पर पथराव किया और फिर पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ असम, त्रिपुरा सहित सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। दोनों राज्यों में सेना को तैनात करना पड़ा है। असम में तो हिंसा में दो लोगों की जान भी चली गई है। 

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इन तमाम विरोध प्रदर्शनों और आन्दोलन के बीच लोकसभा और राज्यसभा से इस विधेयक को पास होने के बाद गुरुवार रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसको मंजूरी दे दी। गुरुवार रात को ही आधिकारिक तौर पर अधिसूचना जारी कर दी गई। अब यह क़ानून बन चुका है।अब इसके क़ानून बनते ही 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नहीं माना जाएगा। उन्हें इस देश की नागरिकता दी जाएगी। हालाँकि, इस क़ानून में मुसलिमों के लिए यह प्रावधान नहीं है। इसी को लेकर विरोध हो रहा है। कहा जा रहा है कि यह क़ानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और यह संविधान का उल्लंघन है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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