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तेल निर्यात से अनुच्छेद 370 तक, भारत पर क्यों मेहरबान है सऊदी अरब?

रियाद दौरे में प्रधानमंत्री मोदी की क्राउन प्रिंस से मुलाक़ात हुई। क्राउन प्रिंस बदलती आर्थिक स्थिति और मध्य-पूर्व में सियासी उथल-पुथल के मद्देनज़र सल्तनत की अर्थव्यवस्था की सिर्फ़ तेल पर निर्भरता कम कर उसका विस्तार करना चाहते हैं। उनकी प्राथमिकता है पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी और इनोवेशन जैसे क्षेत्र ताकि मुल्क के दरवाज़े विदेशी पर्यटकों और निवेश के लिए खुल सके। 
स्मिता शर्मा

इस साल सितंबर में सऊदी अरब सरकार की स्वामित्व वाली अरामको रिफ़ाइनरी में हुए ड्रोन हमले के बाद खलबली मची। दुनिया भर में चिंताएँ तेज़ हुईं कि तेल की सप्लाई में क्या रुकावटें पैदा होंगी? सूत्रों के मुताबिक़ सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष के साथ फ़ोन पर बात की और आश्वस्त किया कि भारत को तेल निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ख़ुद सल्तनत के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मामले में निजी रूप से निगरानी रखी। दोनों ओर कूटनीतिक संपर्क रहा और नई दिल्ली ने चैन की साँस ली। भारत की ज़रूरतों के तेल की 18 फ़ीसदी और एलपीजी की लगभग 30 प्रतिशत पूर्ति सऊदी से आयात के ज़रिए होती है। अमेरिकी प्रतिबंधों की तलवार की वजह से पारंपरिक मित्र ईरान से आज भारत की तेल की ख़रीदारी शून्य हो चुकी है, जबकि कुछ साल पहले तक यह लगभग 20 फ़ीसदी थी। ऐसे में ड्रोन हमले के बावजूद सऊदी के शाही परिवार की तरफ़ से तेल सप्लाई बाधित न होने के भरोसे के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को क्राउन प्रिंस का शुक्रिया अदा किया।

आज इस क्षेत्र में हालात बदल रहे हैं। सऊदी की ज़्यादातर आबादी आज कम उम्र की है। एमबीएस के नाम से मशहूर क्राउन प्रिंस बदलती आर्थिक स्थिति और मध्य-पूर्व में सियासी उथल-पुथल के मद्देनज़र सल्तनत की अर्थव्यवस्था की सिर्फ़ तेल पर निर्भरता कम कर उसका विस्तार करना चाहते हैं। 

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उनकी प्राथमिकता है पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी और इनोवेशन जैसे क्षेत्र ताकि मुल्क के दरवाज़े विदेशी पर्यटकों और निवेश के लिए खुल सके। उनके इसी विज़न-2030 के तहत पिछले तीन सालों से ज़ोर-शोर से फ़्यूचर इन्वेस्टमेंट इनीशिएटिव यानी एफ़आईआई का आयोजन किया जा रहा है। पिछले साल दुनिया के कई नामी-गिरामी क़ारोबारियों और प्रतिष्ठित संस्थानों ने ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के पत्रकार और बाग़ी सऊदी नागरिक जमाल ख़ाशग्ज़ी की बर्बर हत्या के बाद इस फ़ोरम से हाथ खींच लिया था। मुख्य अतिथियों में शामिल थे पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान जो इस बार नदारद थे। इस साल बदलते संबंधों को दर्शाते हुए फ़ोरम के मुख्य मेहमान थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉर्डन के किंग।

सामरिक रिश्ते लेकिन कश्मीर पर ख़ामोशी

विज़न-2030 के तहत सऊदी अरब आठ विकसित और विकासशील ग़ैर-इसलामी मुल्कों से रणनीतिक साझेदारी चाहता है जिनमें शामिल हैं भारत, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, फ़्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और जापान। सऊदी ने इनमें से यूके, फ़्रांस और चीन के बाद भारत के साथ रणनीतिक समझौते पर दस्तख़त कर लिया है। मंगलवार के प्रधानमंत्री मोदी के रियाद दौरे में किंग सलमान से हुई आधिकारिक बातचीत के बाद इस समझौते को स्वरूप दिया गया। इस समझौते के तहत स्ट्रटजिक पार्टनरशिप काउंसिल का गठन होगा जिसके चेयरपर्सन ख़ुद मोदी और एमबीएस होंगे। इस ढाँचे के तहत दोनों नेताओं की हर दो साल में एक बार शीर्ष वार्ता ज़रूर होगी। जबकि इसके अलग आयामों को नेतृत्व देने वाले मंत्री सालाना वार्ता करेंगे। इस तरह की संस्थागत बातचीत का तंत्र भारत ने रूस, जर्मनी और जापान के साथ विकसित की है। 

सऊदी के साथ रणनीतिक समझौते का सुझाव इस साल फ़रवरी में अपने भारत दौरे में ख़ुद क्राउन प्रिंस ने दिया था। फिर नई दिल्ली ने काउंसिल के ढाँचे का प्रस्ताव रखा जिस पर सहमति बनी।

भारत के लिए धारा 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच आज इस मसले पर सऊदी की ख़ामोशी बेहद अहम है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ पाकिस्तान से परंपरागत और धार्मिक आधार पर गहरे रिश्तों के बावजूद आज भारत ने जो क़दम उठाए हैं उसकी सियासी समझ सऊदी की कहीं बेहतर है। यही वजह है कि विश्व मंच पर पाकिस्तान के आक्रामक रवैये के बावजूद ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक कंट्रीज़ यानी ओआईसी के सबसे अहम खिलाड़ियों में शुमार सऊदी ने मोदी के आधिकारिक दौरे में कश्मीर का मसला नहीं उठाया।

आतंकवाद का मुद्दा 

हालाँकि आतंक का मुद्दा बातचीत की मेज़ पर मौजूद था। आतंक के मसले पर भारत - सऊदी साझा बयान में कहा गया-   दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि अतिवाद और आतंकवाद सभी देशों और समाजों को ख़तरे में डालते हैं। उन्होंने इस वैश्विक घटना को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया।'

साथ ही लिखा गया-  ‘दोनों पक्षों ने सभी आतंकवादी कृत्यों पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की और अन्य देशों के ख़िलाफ़ आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुँच को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया।'

रक्षा साझेदारी पर ज़ोर 

भारत और सऊदी के बीच पहला संयुक्त नौसेना अभ्यास अगले साल मार्च में होने जा रहा है। कोशिशें तेज़ हैं कि ह्वाइट शिपिंग एग्रीमेंट पर बात बने ताकि दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सूचना आदान-प्रदान में आसानी हो। इसके तहत अरब सागर में कार्गो वेसेल्स की जानकारी हासिल होने से भारत को अपने पाश्चिमी समुद्री क्षेत्रों में मज़बूती हासिल होगी। भारतीय नौसेना के जहाज़ 2008 से अरब द्वीप के दक्षिणी छोर में स्थित अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती के ख़िलाफ़ पहरा देने में शिरकत कर रहे हैं। 

नई दिल्ली चाहता है कि वह सैन्य इस्तेमाल वाले उपकरण और गाड़ियाँ सऊदी को बेच सके। सऊदी आज दुनिया भर में हथियारों और उपकरणों की सबसे ज़्यादा आयात करने वाला मुल्क है।

इस साल मार्च में जारी किए गए स्वीडन की थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एसआईपीआरआई के मुताबिक़ 2014 -2018 के बीच दुनिया भर के हथियारों की बिक्री में सऊदी ने बारह फ़ीसदी की ख़रीद की। पूरे विश्व में कम से कम 290 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री होती है। हालाँकि चीन और उत्तर कोरिया को लेकर साफ़ आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

रियाद में आज जगह-जगह निमार्ण कार्य जारी हैं। यहाँ औरतों के लिए क्राउन प्रिंस ने कुछ कट्टर नियमों में ढिलाई दी है। महिलाओं को अब गाड़ी चलाने की और बग़ैर किसी पुरुष अभिभावक के बाहर जाने की छूट है। फ़िलहाल यह तय रूप से बताना मुश्किल है कि यह आज़ादी काग़ज़ों पर ही है या हक़ीक़त में भी समाज की सोच बदली है। लेकिन सऊदी चाहता है कि सल्तनत को दुनिया अलग नज़रों से देखे। यूएई और दुबई की तर्ज़ पर यहाँ ख़ास विदेशियों के लिए नियम क़ानून बदल रहे हैं। विदेशी महिला पर्यटकों के लिए अब सिर ढकना या आबाया  पहनना बाध्यकारी नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्रों में अब जो महिला-पुरुष रिश्तेदार नहीं हैं वे भी एक साथ बैठकर बातचीत करते या खाना खाते दिखने लगे हैं। सिंगापुर से कई गुना बड़े क्षेत्र में NEOM प्रोजेक्ट के तहत लगभग एक नए मुल्क का निर्माण तेज़ी से हो रहा है जहाँ विशेष आर्थिक ज़ोन, नए आवासीय शहर और एंटरटेनमेंट क्षेत्र बनेंगे। यहाँ के नियम-क़ानून पूरे मुल्क के मुक़ाबले उदार होंगे ताकि विदेशी निवेशक यहाँ का रूख करें। 

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NEOM New (नए) और मुस्तकबिल (भविष्य) से बना है। दुनिया के 49 मुल्कों के लिए सऊदी ने ‘वीज़ा ऑन अराइवल’ की घोषणा की है जिसमें भारत शामिल नहीं। लेकिन सऊदी में आज क़रीब 26 लाख भारतीय हैं जो सालाना क़रीब 11 अरब डॉलर घर भेजेते हैं। सल्तनत में आने वाले सालों में कुशल श्रमिकों की माँग बढ़ेगी जो भारतीयों के लिए नए दरवाज़े खोल सकता है।

फ़िलहाल ‘अरब स्प्रिंग’ के बाद से इराक़, लेबनान, ट्यूनिशिया समेत पूरे खाड़ी क्षेत्र में बदलाव की सियासी बयार के बीच रियाद तेज़ी से बदलने को मजबूर है और साथ ही बदल रही है इस सल्तनत के सामरिक संबंध भी।

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