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मोदी के उलट संघ प्रमुख ने मानी चीनी घुसपैठ की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही यह कहें कि 'भारत की सीमा में न कोई घुसा न ही भारत की ज़मीन पर कोई घुस कर बैठा है', बीजेपी की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ज़ोर देकर कहा कि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति की वजह से भारतीय सीमा में भी घुसपैठ की है। उनका यह कथन प्रधानमंत्री के स्टैंड के एकदम उलट है।
हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि 'जब भारतीय जवानों ने उसे जवाब दिया तो वह पहली बार घबरा उठा'।

क्या कहा भागवत ने?

आरएसएस के नागपुर स्थित मुख्यालय में उन्होंने पारंपरिक शस्त्र पूजा के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित किया। आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा कि, 

'पूरी दुनिया ने चीन की चालाक कोशिशों को देखा है और हर देश उसकी विस्तारवादी नीति से परिचित है। चीन इस वक्त कई देशों- ताइवान, वियतनाम, अमेरिका, जापान और भारत से लड़ रहा है।'


मोहन भागवत, सर संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

उन्होंने कहा, 'हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है।'
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पैरोकार होने का दावा करने वाले संघ प्रमुख ने विजय दशमी संबोधन में कहा, 

'भारत के शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।'


मोहन भागवत, सर संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

'मुसलमानों को बरगलाया गया'

संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के विरोध को भी ग़लत करार दिया और ज़ोर देकर कहा कि मुसलमानों को बरगलाया गया है। उनके कहने का मतलब यह है कि सीएए मुलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन उन्हें यह समझा दिया गया है।
संघ प्रमुख के विजय दशमी संबोधन पर सबकी निगाहें होती हैं क्योंकि इसे नीति का एलान समझा जाता है। भागवत ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की आलोचना कर दी है, उन्हें कटघरे में खड़ा किया है।

मोदी की आलोचना की थी

मोहन भागवत ने एक बार यह कह कर बीजेपी और मोदी के समर्थकों के लिए दिक्क़त पैदा कर दी थी कि वे क़ब्रिस्तान और श्मशान की राजनीति का समर्थन नहीं करते, आरएसएस इस तरह की बात नहीं करती है। उन्होंने मोदी का नाम तो नहीं लिया था, पर यह चोट साफ़ तौर पर प्रधानमंत्री पर ही था। 
मोदी ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश सरकार पर हमला बोलते हुए यह आरोप लगाया था कि वह सरकार क़ब्रिस्तान और श्मशान जैसी चीजों पर भी भेदभाव करती है और हिन्दुओं की परवाह नहीं करती। उन्होंने फ़तेहपुर में एक चुनाव रैली में कहा था, “यदि किसी गाँव में क़ब्रिस्तान है तो वहां श्मसान भी होना चाहिए, यदि रमज़ान और ईद के मौके पर बिजली दी जाती है तो होली-दीवाली पर भी बिजली रहनी चाहिए।”

इंदिरा की तारीफ

इसी तरह भागवत ने यह कह दिया था कि वे यह नहीं मानते कि बीते 70 साल में देश में कोई काम ही नहीं हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने इंदिरा गाँधी की तारीफ़ कर दी थी। उन्होंने बीते साल आरएसएस के विजयदशमी कार्यक्रम में कहा था कि इंदिरा गाँधी ने अनुसूचित जाति-जनजातियों के लिए छठी पँचवयर्षीय योजना के दौरान 1980-85 में विशेष स्कीम चालू की थी, जिसका फ़ायदा उन समुदायों को मिला था। भागवत ने इंदिरा गाँधी की प्रशंसा करते हुए यह कहा था।
इसके अलावा विज्ञान भवन में ‘भारत का भविष्य: आरएसएस के विचार से' विषय पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस पार्टी की ही तारीफ़ कर दी थी। उन्होंने कहा कि था कि देश की आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस की बहुत बड़ी भूमिका है और उसने कई बड़े नेता देश को दिए हैं।
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क़मर वहीद नक़वी

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