loader

बीजेपी के गले की हड्डी बन रहा एनआरसी

क्या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) अब बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गले की फांस बन गया है। यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि संघ ने मोदी सरकार से कहा है कि वह नागरिकता संशोधन विधेयक को दिसंबर में एक बार फिर संसद में पेश करे। माना जा रहा है कि संघ ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि एनआरसी की फ़ाइनल सूची से जो 19 लाख लोग बाहर रह गए हैं, उनमें बड़ी संख्या में हिंदू शामिल हैं और उन्हें नागरिकता विधेयक के जरिये राहत दी जाने की कोशिश की जा सकती है। बीजेपी और संघ ही असम और देश भर में घुसपैठियों का मुद्दा उठाते रहे हैं। 

अंग्रेजी अख़बार, 'द इकनॉमिक टाइम्स' में संघ के एक वरिष्ठ नेता की ओर से कहा गया है, ‘हम शुरू से कहते रहे हैं कि एनआरसी से कोई नतीजा नहीं निकलेगा और असम विदेशियों से आज़ाद नहीं हो पाएगा और एनआरसी की फ़ाइनल सूची से इस बात को सही साबित कर दिया है। बड़ी संख्या में हिंदू और कुछ अन्य स्थानीय समुदायों के लोग इससे बाहर रह गए हैं।’ 

संघ के नेता ने आगे कहा, ‘हम इस बात की माँग करेंगे कि केंद्र सरकार फ़ॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील का समय पूरा होने के बाद दिसंबर में नागरिकता संशोधन विधेयक लेकर आए। यह एनआरसी अंतिम नहीं हो सकती।’ ख़बर में संघ के नेता ने नाम नहीं ज़ाहिर करने की इच्छा जताई है। 

ताज़ा ख़बरें

नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। विधेयक में प्रावधान है कि उन्हें 6 साल भारत में रहने पर भारत की नागरिकता मिल जाएगी और इसके लिए किसी दस्तावेज़ को दिखाने की ज़रूरत भी नहीं होगी। लोकसभा चुनाव से पहले पूर्वोत्तर में इस बिल का जोरदार विरोध हुआ था। 

बीजेपी के सहयोगी दल असम गण परिषद के अलावा पूर्वोत्तर के 10 समर्थक राजनीतिक दलों ने नागरिकता विधेयक का जमकर विरोध किया था। लोकसभा में यह विधेयक फ़रवरी में पास हो चुका है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी कहा था कि वह पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों के संरक्षण के लिए और उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। 

संघ के नेता ने कहा कि कई संगठनों ने जुलाई 2018 में प्रकाशित हुए एनआरसी के ड्राफ़्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और इसमें बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले जिलों के 20 फ़ीसदी और अन्य जिलों के 10 फ़ीसदी लोगों के नामों की फिर से जाँच करने की माँग कहा था। 'द इकनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक़, संघ के नेता ने कहा कि उनकी माँग पूरे देश में एनआरसी बनाने की है और संघ के स्वयंसेवकों से जो सही मायने में भारतीय नागरिक हैं उनकी मदद करने के लिए कहा गया है।  

इस बीच ख़बर यह है कि संघ और बीजेपी के बीच राजस्थान के पुष्कर में 7 से 9 सितंबर तक होने वाली समन्वय बैठक में एनआरसी, कश्मीर और देश के आर्थिक हालात को लेकर चर्चा हो सकती है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली समन्वय बैठक होगी।

बता दें कि संघ की लंबे समय से माँग थी कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया जाए, अब जब उसकी माँग पूरी हो चुकी है तो बैठक में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद बने हालात पर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा संघ से जुड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ ने माँग की है कि आर्थिक और श्रम सुधारों को जल्द से जल्द लागू किया जाए। 

संघ से जुड़े एक और संगठन लघु उद्योग भारती ने भी केंद्र सरकार से माँग की है कि वह टेक्सटाइल, ऑटो और रियल इस्टेट सेक्टर के लिए ठोस क़दम उठाये। संघ के एक प्रचारक ने कहा, सितंबर में होने वाली संघ और बीजेपी की बैठक काफ़ी महत्वपूर्ण होती है और इसमें संघ से जुड़े सभी संगठन अपनी रिपोर्ट पेश करते हैं। 

देश से और ख़बरें

बता दें कि एनआरसी को लेकर असम बीजेपी भी नाराज है और वहाँ के हिंदू संगठन भी इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा चुके हैं। असम की बीजेपी सरकार के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इसे लेकर नाराज़गी जताई थी लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर और उत्तर-पूर्व की हरेक जनसभा में घुसपैठ को देश की सबसे गंभीर समस्या करार दिया था। अमित शाह ने तो ऐसे लोगों को दीमक तक बताया था। 

ऐसे में बीजेपी के सामने हालात बेहद मुश्किल हैं। सुप्रीम कोर्ट का रुख एनआरसी के मुद्दे को लेकर बेहद कड़ा है तो बीजेपी एनआरसी से बाहर रहे हिंदुओं को किस तरह राहत देगी, यह सबसे बड़ा सवाल है। 

संबंधित ख़बरें

अब इसमें मुसीबत बीजेपी के लिए खड़ी हो गई है क्योंकि वह घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात कहती रही है लेकिन अब जब एनआरसी में हिंदुओं के नाम बाहर रहने की ख़बरें आई हैं तो बीजेपी और हिंदू संगठनों में बेचैनी है। क्योंकि बीजेपी इस मसले को राष्ट्रवाद और देश की सुरक्षा के मसले से जोड़ती रही है। हालाँकि गृह मंत्रालय ने कहा है कि एनआरसी से बाहर रह गए लोगों को  अपनी बात रखने का पूरा मौक़ा दिया जायेगा। लेकिन अगर असमी या बंगाली हिंदुओं को विदेशी घोषित कर देश से बाहर जाना पड़ा तो इससे बीजेपी के पूरे देश भर के हिंदू वोट बैंक के नाराज होने का ख़तरा है और इसका सियासी नुक़सान होने की आशंका है और संघ ने इसी आशंका के तहत सरकार से नागरिकता संशोधन विधेयक को फिर से लाने के लिए कहा है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें