loader

निजी क्षेत्र की जीडीपी वृद्धि दर सिर्फ़ 3.05%, तो क्या खोखला है सरकारी दावा?

सरकारी एजेंसी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस ने सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर का जो आँकड़ा दिया है, क्या वह सही या वास्तविक वृद्धि उससे भी कम हुई है? शुक्रवार को इस एजेंसी ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही यानी जुलाई-सितंबर के दौरान जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही। इस पर काफ़ी हाय-तौबा मची है और लोगों ने सरकार को यह कह कर आड़े हाथों लिया है कि बीते 5 साल के मोदी शासन में आर्थिक स्थिति चौपट हो गई है, जिसे रोकने में सरकार नाकाम है। 

अर्थतंत्र से और खबरें
आर्थिक ख़बरों की अंग्रेजी वेबसाइट ‘लाइवमिंट’ की बात मानें तो यह वृद्धि दर सरकारी खर्च बढ़ाने की वजह से है, निजी क्षेत्र में वृद्धि दर 3.05 प्रशित ही रही है। इसका अर्थ हम यह भी निकाल सकते हैं कि सरकारी खर्च की वजह से जो विकास दर दिख रही है, वास्तविक विकास दर उससे भी कम है।

क्या होता है जीडीपी?

सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दरअसल किसी भी देश में संपूर्ण निजी खपत व खर्च, सरकारी खर्च, निवेश और कुल निर्यात मिला कर होता है। इसमें से यदि सरकारी खर्च निकाल दिया जाए तो जो बचता है, उसे हम निजी क्षेत्र का जीडीपी कह सकते हैं। जुलाई-सितंबर की तिमाही में निजी जीडीपी सिर्फ़ 3.05 प्रतिशत बढ़ी, यानी कुल जीडीपी से 150 बेसिस  प्वाइंट कम। 
जीडीपी में ग़ैर-सरकारी हिस्सा 87-92 प्रतिशत तक होता है। जुलाई-सितंबर की तिमाही में यह 87 प्रतिशत था। यदि किसी अर्थव्यवस्था का 87 प्रतिशत हिस्सा 3.05 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है तो उसकी वास्तविक स्थिति का अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है, सरकार चाहे जो दावे करे।

कितना बढ़ा सरकारी खर्च?

इस दौरान सरकारी खर्च 15.64 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जिससे जीडीपी को आगे धकेल कर 4.55 प्रतिशत तक ले जाने में मदद मिली। अप्रैल-सितंबर छमाही में सरकारी खर्च 12.34 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जिससे जीडीपी वृद्धि दर 4.78 प्रतिशत दर्ज किया गया। सरकारी खर्च बढ़ाने का यह ट्रेंड पिछले साल दो साल से दिख रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में सरकारी खर्च में 14.97 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान यह 9.25 प्रतिशत की दर से बढ़ा। 

सरकारी खर्च बढ़ा कर जीडीपी वृद्धि दर को टिकाए रखने का दूसरी पहलू यह है कि निजी क्षेत्र में जीडीपी महज 3.05 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।
लाइवमिंट ने अध्ययन कर यह पता लगाने की कोशिश की है कि वास्तविक वृद्धि दरअसल कहाँ दिखती है। उसने इस अध्ययन में निष्कर्ष निकाला है कि पूँजी निवेश एक ऐसा इंडीकेटर है, जो सरकार की पोल खोलता है। अध्ययन में पाया गया है कि इस दौरान पूंजी निवेश सिर्फ़ 1.02 प्रतिशत बढ़ा जो पिछले 5 साल का न्यूनतम है। 

सरकार का खर्च बढ़ना विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है, क्योंकि इससे खपत बढ़ती है। पर सच यह भी है कि सरकार पहले से ही अधिक खर्च करती आ रही है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे यह खर्च बढ़ता है, सरकार क़र्ज़ ले रही है।

बढ़ता संकट

ज़ाहिर है, सरकारी क़र्ज़ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। रिज़र्व बैंक ने लगातार चार बार अपने ब्याज दर कम किए, उसके बावजूद किसी बैंक ने अपने ब्याज दर में उस अनुपात में कटौती नहीं की है। सरकार को बढ़े हुए क़र्ज़ पर ब्याज भी अधिक चुकाना होगा। यदि सरकार का खर्च, क़र्ज़ और ब्याज बढ़ता ही गया, उस अनुपात में उसकी आय नहीं बढ़ी, जो नहीं ही बढ़ेगी क्योंकि निजी क्षेत्र में उस अनुपात में विकास नहीं होने से सरकार को मिलने वाले कर राजस्व में बढ़ोतरी नहीं होगी, तो वित्तीय घाटे का क्या हाल होगा? 
तो सरकार जानबूझ कर नकली जीडीपी वृद्धि दर बनाए हुए है?
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें