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महाराष्ट्र: शिक्षित बेरोज़गारों को 5000 रु. देने का वादा, क्या कांग्रेस को मिलेंगे वोट?

क्या कांग्रेस का शिक्षित बेरोज़गारों को 5000 रुपये प्रतिमाह बेरोज़गारी भत्ता देने का वादा महाराष्ट्र में युवा मतदाताओं को पार्टी की तरफ़ खींच पायेगा? इस वादे की घोषणा जिस तरह से कांग्रेस की ओर से की गयी, उसने लोकसभा चुनाव के दौरान की गयी 'न्याय योजना’ की याद ताजा कर दी है। ‘न्याय योजना’ के तहत देश के 25 करोड़ ग़रीब लोगों यानी क़रीब 5 करोड़ परिवारों को प्रतिमाह 6000 रुपये की न्यूनतम आय देने का वादा किया गया था। लेकिन लोकसभा चुनावों में उस वादे का कोई असर नहीं देखने को मिला। 

इसके पीछे कारण यह बताये गए कि कांग्रेस ने ‘न्याय योजना’ की घोषणा बहुत देरी से की और इसकी जानकारी उन लोगों तक ही नहीं पहुंच पायी जिन्हें इससे फायदा होना था। इसका एक बड़ा कारण मुख्यधारा के मीडिया का सत्ता की गोदी में बैठना भी बताया गया। यह कथित मीडिया एक प्रायोजित रणनीति के तहत चुनावों से जनता के मुद्दों को दरकिनार करने का खेल रचता है। महाराष्ट्र में भी बेरोज़गार युवाओं को भत्ता देने की इस घोषणा को मीडिया ने उसी तरह से नजरअंदाज किया है? लेकिन कांग्रेस पार्टी की भी इसमें ग़लती से इनकार नहीं किया जा सकता।

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ग़ायब रहे बड़े पदाधिकारी

कांग्रेस की तरफ़ से इतनी बड़ी घोषणा 'युवा कांग्रेस' के मंच से की गयी और पार्टी का कोई बड़ा नेता भी उस वक़्त वहां मौजूद नहीं रहा। ना तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और ना ही कोई बड़ा पदाधिकारी या स्टार प्रचारक। दरअसल, यह  घोषणा महाराष्ट्र प्रदेश युवक कांग्रेस द्वारा जारी 'युवा घोषणा पत्र' के तहत की गई। पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के केंद्रीय संगठन ने जनता के विभिन्न वर्गों के बीच जाकर, उनकी बातें सुनकर अलग-अलग घोषणा पत्र बनाने की पहल की थी। 

शायद यह तरीक़ा कांग्रेस के रणनीतिकारों ने आम आदमी पार्टी से सीखा हो क्योंकि यह पहल उन्होंने दिल्ली व पंजाब के चुनावों के दौरान की थी। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की इन घोषणा पत्र समितियों के मुखिया पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम थे और ‘न्याय योजना’ को बताने में पार्टी की तरफ़ से मीडिया में उपस्थित हुआ करते थे। 

महाराष्ट्र में युवाओं के इस घोषणा पत्र को पार्टी की युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सत्यजीत तांबे ने जारी किया। घोषणा पत्र में शिक्षित बेरोज़गार युवकों को 5,000 रुपये का मासिक भत्ता और नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 80 फीसदी आरक्षण का वादा किया गया है। इसे उन्होंने अपनी तरह का पहला चुनाव घोषणापत्र बताया है। 

घोषणापत्र में मेधावी स्थानीय छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए सरकारी छात्रवृत्तियां देने, शैक्षणिक कर्ज माफ़ करने और दिव्यांग युवाओं को नि:शुल्क उच्च शिक्षा देने का वादा भी किया गया है।

घोषणा पत्र में कहा गया है कि अगर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आती है तो वह उच्च शिक्षा के लिए किसानों की संतानों द्वारा लिए कर्ज की गारंटर बनेगी। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ही कुछ इसी तरह की उच्च शिक्षा के लिए कर्ज योजना चलाती है। महाराष्ट्र युवा कांग्रेस अध्यक्ष सत्यजीत तांबे ने कहा कि ‘वेक अप महाराष्ट्र, ऐक्ट टुडे फ़ॉर योर टुमॉरो’ कार्यक्रम के तौर पर युवा कांग्रेस से तीन करोड़ युवा जुड़े हैं। 

तांबे ने कहा, ‘अभी तक मिले हजारों सुझावों, विचारों, राय और समाधानों में से चुनाव कर इन्हें युवा घोषणा पत्र में शामिल किया गया और यह इस तरह का पहला घोषणा पत्र है।’ उन्होंने कहा कि 30 सितंबर 2019 तक लिए गए शैक्षिक कर्ज को माफ़ कर दिया जाएगा। 

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तांबे ने ज़रूरतमंद युवाओं के लिए सरकारी हॉस्टलों में सीटें बढ़ाने और सभी दिव्यांग युवाओं के लिए नि:शुल्क उच्च शिक्षा का भी वादा किया। उन्होंने राज्य के हर जिले में युवा सूचना केंद्रों के अलावा युवा विकास मंत्रालय के लिए अलग बुनियादी ढांचा खड़ा करने का भी वादा किया। तांबे ने कहा, ‘एक अनूठा, विश्व स्तरीय खेल विश्वविद्यालय भी स्थापित किया जाएगा।’ 

युवा कांग्रेस द्वारा किए अन्य वादों में मादक पदार्थ रोधी क़ानूनों को सख्ती से लागू करना और सभी छात्रों के लिए नि:शुल्क सार्वजनिक परिवहन भी शामिल है। महाराष्ट्र में युवा कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व  'एक दिन का मुख्यमंत्री' अभियान भी शुरू किया था। इस अभियान के तहत युवाओं से राय माँगी गयी थी कि यदि वे मुख्यमंत्री बने तो ‘क्या योजना बनाना या क्या करना पसंद करेंगे।’ 

इस योजना के तहत कहा गया था कि अच्छा सुझाव देने वाले युवाओं को मुख्यमंत्री के साथ एक दिन बिताने का अवसर मिलेगा और यह जानने का मौक़ा मिलेगा कि मुख्यमंत्री किस तरह काम करते हैं। युवा कांग्रेस का दावा है कि इस अभियान में भी बड़ी संख्या में युवा जुड़े थे। 

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कांग्रेस की युवाओं को पार्टी से जोड़ने की इन दोनों पहलों पर सवाल नहीं है। सवाल इस बात का है कि ये कितनी प्रभावी सिद्ध हो पाएंगी? महाराष्ट्र में 15 दिन के बाद मतदान होना है, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कितना सक्रिय है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुंबई प्रदेश कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का युद्ध चल रहा है और शीर्ष नेता दिल्ली में ही उलझे पड़े हैं। मजबूत नेतृत्व के अभाव में दर्जनों बड़े नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। जो कुछ बचे हैं उनके समर्थन में भी कोई बड़ा नेता खड़ा नज़र नहीं आता।

ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराष्ट्र का प्रभार दिया था लेकिन वह एक बार भी मुंबई या महाराष्ट्र में नज़र नहीं आये। संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा का विवाद थम ही नहीं रहा। ऐसे में युवा कांग्रेस के ये वादे युवाओं या किसानों तक कैसे पहुंचेंगे यह सबसे बड़ा सवाल है?
महाराष्ट्र में बेरोज़गारी का संकट इसलिए भी अन्य प्रदेशों के मुक़ाबले ज़्यादा है क्योंकि यहां औद्योगीकरण ज़्यादा हुआ है और उद्योग जगत में बड़े पैमाने पर मंदी पसरी हुई है। युवक कांग्रेस ने 3 करोड़ लोगों तक पहुंचने की बात की है लेकिन उसने अपने इन वादों से एक करोड़ युवाओं को भी पार्टी की तरफ़ आकर्षित कर लिया तो चुनाव परिणाम की तसवीर ही पलट जाएगी।
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संजय राय

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