loader
कर्नाटक में मुसलिम युवकों की मदद से हुआ एक हिंदू व्यक्ति का अंतिम संस्कार। (प्रतीकात्मक तसवीर)

मुसलिम ने बाल मुंडाए, धोती-जनेऊ पहन दाह-संस्कार किया; क्या यह ज़ुल्म है?

गुजरात के एक मुसलिम परिवार ने पिछले दिनों अपने एक हिंदू मित्र पंडयाजी का दाह-संस्कार करवाया। पंडयाजी उसी परिवार के साथ रहते थे। इस मुसलिम परिवार के बच्चे अरमान ने बाल मुंडाए, धोती-जनेऊ पहनी और अपने बड़े अब्बा के दोस्त की कपाल-क्रिया भी की। ऐसा कब होता है? 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

कल रात लंदन के एक वेबिनार में मैंने भाग लिया। उसमें चर्चा का विषय कश्मीर था और भाग लेनेवालों में दोनों तरफ़ के कश्मीरी और पाकिस्तानी सज्जन भी थे। सभी का एक राग था कि भारत में हिंदू और मुसलमानों के रिश्ते बेहद ख़राब हो गए हैं और मुसलमानों पर बहुत ज़ुल्म हो रहा है। मैंने नम्रतापूर्वक उन बंधुओं से पूछा कि भारत में मुसलमानों की दशा क्या चीन के उइगर मुसलमानों से भी बुरी है? मैंने कभी किसी पाकिस्तानी नेता- इमरान ख़ान, मियाँ नवाज़ शरीफ़ या आसिफ़ जरदारी- को उइगरों के बारे में एक शब्द भी बोलते हुए नहीं सुना। 

ताज़ा ख़बरें

इसी तरह से भारतीय मुसलमानों की हालत क्या अमेरिका के काले लोगों की तरह है? क्या पाकिस्तान में आज तक कोई राष्ट्रपति, कोई राज्यपाल, कोई मुख्यमंत्री, कोई सर्वोच्च न्यायाधीश या कोई सेनापति ऐसा व्यक्ति बना है, जो हिंदू हो या अल्पसंख्यक हो? जबकि भारत में इन सब पदों पर कई मुसलमान या अल्पसंख्यक रहे हैं और बड़े सम्मान व शक्ति के साथ रहे हैं। 

जहाँ तक मुसलमानों पर ज़ुल्म का सवाल है, सरकार ने कश्मीर में ज़रूर बहुत सख़्ती बरती है लेकिन यदि वह वैसा नहीं करती तो वहाँ ख़ून की नदियाँ बहतीं। उस सख़्ती की निंदा भी भारत के विरोधी दल डटकर करते रहे। जहाँ तक पड़ोसी देशों से आनेवाले शरणार्थियों पर बने क़ानून का सवाल है, उसमें मुसलमानों के साथ जो भेद-भाव रखा गया है, उसकी निंदा किसने नहीं की है? सरकारी दलों को छोड़कर देश के सभी दलों ने उसे रद्द किया है। कई बीजेपी-समर्थकों ने उसका मौन और किसी-किसी ने उसका खुलकर भी विरोध किया है। 

भारत के स्वभाव में लोकतंत्र ऐसा रम गया है कि कोई नेता अपने आप को कितना ही बड़ा तीसमार खाँ समझे, भारत की जनता उसे सबक़ सिखाना जानती है।

जहाँ तक हिंदू-मुसलमानों के आपसी संबंधों का सवाल है, भारत में ग़जब की मिसालें मिल रही हैं। लुधियाना के पास मच्छीवाड़ा गाँव के एक मज़दूर अब्दुल साजिद ने अपने दोस्त वीरेंद्र कुमार की बेटी की शादी ख़ुद उसका बाप बनकर हिंदू रीति से करवा दी। वीरेंद्र वगैरह तालाबंदी के कारण उत्तर प्रदेश में फँसे रह गए थे। इसी तरह केरल की एक मसजिद में हवन करके एक हिंदू वर-वधु ने फेरे पड़े। मुसलिम जमात ने दहेज का इंतज़ाम किया और इमाम के पाँव छूकर वर-वधु ने उनसे आशीर्वाद लिया। 

विचार से ख़ास

इसी प्रकार गुजरात के एक मुसलिम परिवार ने पिछले दिनों अपने एक हिंदू मित्र पंडयाजी का दाह-संस्कार करवाया। पंडयाजी उसी परिवार के साथ रहते थे। इस मुसलिम परिवार के बच्चे अरमान ने बाल मुंडाए, धोती-जनेऊ पहनी और अपने बड़े अब्बा के दोस्त की कपाल-क्रिया भी की। ऐसा कब होता है? जब परस्पर सद्भाव होता है। यही सच्ची धार्मिकता है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें