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क्या नोटबंदी की तरह लागू किया गया लॉकडाउन?

प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन का एलान कर देने के बाद समूचे देश में जो भगदड़ मची है उसे देखकर हर समझदार आदमी की रूह काँप रही होगी। नोटबंदी की तर्ज पर किए गए लॉकडाउन के बाद लोगों का बहुत बड़ी तादाद में पलायन इस बात का पुख्ता सबूत है कि सरकार पर उनका भरोसा नहीं है कि बंदी में वे अपनी और अपने परिवार की भूख को शांत कर सकेंगे।

इसका दूसरा पहलू यह भी है कि आपदा में हम अपनों के बीच पहुँचना चाहते हैं ताकि परंपरागत समुदायिक ताने-बाने में सर्वाइव कर सकें। इन दोनों स्थितियों में ही सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि समय रहते ही लोगों को आगाह किया जाता ताकि वे बिना हड़बड़ी के अपने गंतव्य पर पहुँच जाते। इच्छुक आप्रवासियों के गृहजनपद तक पहुँचने की व्यवस्था की जाती और जाने या न जाने वाले दुर्बल आयवर्ग के लोगों के लिए दाल-रोटी का इंतज़ाम कर सरकार उन्हें भरोसा दिलाती कि किसी को भी भूख से नहीं तड़पने दिया जाएगा।

भले ही आज उत्तर प्रदेश में पुलिस-प्रशासन पलायन कर रहे पैदल यात्रियों सहित स्थानीय ज़रूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने में पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। हर थाने में महिला पुलिसकर्मियों ने कम्यूनिटी किचेन का संचालन शुरू कर दिया है। स्थानीय लोग और संस्थाएँ फ़ूड पैकेट या कच्ची खाद्य सामग्री ग़रीबों को वितरित कर रहे हैं लेकिन फिर भी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य जगहों से यहाँ आकर मज़दूरी या अन्य कार्य कर रहे लोगों को यह शंका है कि लॉकडाउन लंबा चलने पर यह व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल सकेंगी या इस डरावनी और जानलेवा बीमारी का शिकार होने पर उनकी देखभाल या समुचित इलाज नहीं हो सकेगा।

हो सकता है कि वे सोचते हों कि अपने घर-गाँव में उनके अपने उन्हें बेहतर तरीक़े से संभाल लेंगे। इसलिए लोग पलायन कर रहे हैं। कोई पैदल जा रहा है तो कोई जाने के बंदोबस्त में जुटा है।

इनमें से चंद लोग ऐसे भी हैं जो किसी भी क़ीमत पर अपने मूल स्थान पर जाने को व्याकुल हैं। इन परिस्थितियों में कुछ दलाल के सक्रिय होने की कानाफूसी टाइप ख़बरें मिल रहीं हैं जिसमें एम्बुलेंस के ज़रिए भारी क़ीमत वसूलकर अवैध तरीक़ों से लोगों को गंतव्य स्थल तक पहुँचाया जा रहा है। अहम बात यह है कि पलायन लॉकडाउन पर भारी पड़ रहा है और बिना किसी तैयारी या रणनीति के उठाया गया सरकार का यह क़दम घातक भी सिद्ध हो सकता है।

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उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री ने एनसीआर के आनंद विहार बस अड्डे पर उमड़ी बेतहाशा भीड़ और भूखे-प्यासे लोगों की व्यथा कथा सुन-पढ़कर आनन-फानन में परिवहन निगम की एक हज़ार के क़रीब बसों का प्रबंध कराया लेकिन पलायन कर रहे जनसमुदाय के लोगों के सामने यह व्यवस्था ऊँट के मुँह मे जीरा जैसी लगी। जिस तरह लॉकडाउन हुआ उसी तरह त्वरित गति से लिया गया यह फ़ैसला भी कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई और लॉकडाउन के उद्देश्यों को विफल करने वाला ही साबित हुआ। उपलब्ध बसों में भीड़ किसी तरह घुसकर ठुस जाने पर उतारू थी। हालत यह दिखी कि लोग छतों पर चढ़ गए। 

अब गाँवों में संक्रमण

अपने-अपने घरों को भागती यह भीड़ कहर बरपा सकती है। इसकी एक बानगी मेरठ में देखने को मिली। मेरठ में 27 मार्च, 2020 को कोरोना वायरस से संक्रमित एक रोगी मिला। यह व्यक्ति महाराष्ट्र के अमरावती से आया था, जहाँ यह पोटरी निर्माण का कार्य करता था। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में खुर्जा निवासी इस व्यक्ति की मेरठ में ससुराल है और 19 मार्च से वह वहीं रह रहा था। कोरोना के डर से मेरठ भागकर आया यह शख्स कोरोना पॉजिटिव निकला। बात यहीं ख़त्म नहीं हो जाती बल्कि अभी यह नहीं पता कि इस व्यक्ति ने कितने व्यक्तियों को संक्रमित किया। 

28 मार्च को इसके साथ रही इसकी पत्नी और तीन सालों में भी कोविड-19 की पुष्टि हो चुकी है। 5 लोगों के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। 

प्रशासन की मदद से स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में इस व्यक्ति के मेरठ स्थित ससुराल के तीन मकानों को ताला लगाकर वहाँ के 50 लोगों को रडार पर ले लिया है। इन सभी को आइसोलेटेड कर सभी के कोविड-19 टेस्ट के लिए सैंपल ले लिए गए हैं।

मेरठ सीएमओ डॉ. राजकुमार का कहना है कि यह व्यक्ति अमरावती से मेरठ आया था तो संभव है कि ट्रेन में भी इसने कई लोगों को इनफ़ेक्ट किया होगा। इसके अलावा मेरठ में यह एक शादी समारोह में शामिल हुआ था और मसजिद में नमाज़ भी पढ़ी थी जिसके लिए सीएमओ ने अपनी सर्विलांस टीम को लगा दिया है और जिन-जिन लोगों से इसका कांटेक्ट रहा है उनको ट्रेस करने की कोशिश जारी है। हालाँकि अभी इनमें से किसी भी पेशेंट की हालत गंभीर नहीं है। डॉक्टर राजकुमार का कहना है कि जल्द ही इन सब का इलाज कर ठीक कर दिया जाएगा। साथ ही कोविड-19 की रिपोर्ट आने के बाद जिन लोगों में यह पॉजिटिव पाया जाएगा उन लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखकर उनका इलाज किया जाएगा। वहीं जिन लोगों में लक्षण निगेटिव आएँगे उन लोगों को 14 दिन के लिए होम क्वरेंटाइन किया जाएगा।

विचार से ख़ास

मेरठ के सीएमओ राजकुमार का कहना है कि इतने लोगों को संक्रमित करने वाले इस व्यक्ति पर मुक़दमा दर्ज कर क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। सवाल उठता है कि मेरठ में अमरावती से अपनों के पास आया यह व्यक्ति जाने-अनजाने न जाने कितने लोगों को मुसीबत में डाल गया। ऐसे में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकली भीड़ ख़तरे को जानते-समझते हुए भी हाई रिस्क लेकर अपने घरों या अपनों के पास निकल पड़ी है तो इसके क्या मायने हैं? क्या उन्हें सत्ता और उसके तंत्र पर भरोसा नहीं या उनके एक्शन ने उनमें विश्वास की जगह भय का वातावरण बना दिया है? ऐसे में मुक़दमा किस पर दर्ज होना चाहिए?

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हरि शंकर जोशी

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