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कोरोना: ‘नमस्ते ट्रंप’ करने वाला भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर, अमेरिका नंबर वन

‘नमस्ते ट्रंप’ आज ‘नमस्ते कोरोना’ बन चुका है। पहले नंबर पर अमेरिका है तो दूसरे नंबर पर भारत। दोनों देशों के आंकड़े जुड़कर करोड़ ‘कोरोना’ पति होने का अहसास करा रहे हैं। दोनों दोस्त कोरोना काल में क़दमताल कर रहे हैं। ठीक उसी तरह जैसे इस साल 24 फरवरी को अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में लाखों की भीड़ के सामने डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी क़दमताल कर रहे थे। न मास्क की फिक्र थी और न सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत। 

भारत में 24 फरवरी को कोरोना के महज दो एक्टिव मामले थे जबकि अमेरिका में कोरोना का 50वां मरीज मिला था और यह मामला ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ के रूप में चिन्हित हुआ था। भारत तब दिल्ली दंगों की आग में झुलस रहा था। यहां माना ही नहीं गया कि कभी ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ हो सकता है।

‘नमस्ते ट्रंप’ के बाद दिखा कोरोना 

‘नमस्ते ट्रंप’ के लगभग 10 दिन बाद से यानी 3 मार्च से भारत में कोरोना का असर दिखने लगा था। इसी दिन ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सीमित तरीक़े से होली मनाने की घोषणा हो गयी। आवश्यकता पड़ने पर ही घर से निकलने की ताकीद की जाने लगी। आंकड़े बढ़ने लगे। होली के दिन 10 मार्च को भारत में 63 मामले थे और अमेरिका में 994। 

अमेरिका में 19 मार्च को पहली बार कोरोना के कारण ‘स्टे एट होम’ का एलान हुआ। डोनाल्ड ट्रंप के देश में तब तक 14,899 मामले सामने आ चुके थे। वहीं, ‘नमस्ते ट्रंप’ का असर भारत में पहली बार जनता कर्फ्यू के रूप में 22 मार्च को लोगों ने महसूस किया। तब भारत में कोरोना संक्रमण की संख्या पहुंची थी 403। खूब ताली बजायी गयी थी, थाली बजायी गयी थी। कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहे कोरोना वॉरियर्स के लिए यह सब घोषित तौर पर हुआ।

भारत में लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च को हुई। मगर, तब तक अमेरिका के 16 स्टेट्स में ‘स्टे एट होम’ का नारा बुलंद किया जा चुका था। अमेरिका ने कोरोना संक्रमण में 10 हजार का आंकड़ा 18 मार्च को छू लिया था। भारत ने 13 अप्रैल को यह ‘मुकाम’ हासिल किया। इसके 27 दिन बाद भारत अमेरिका से ‘आगे’ निकल गया था। 

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अमेरिका ने 27 मार्च को 1 लाख का आंकड़ा पार किया था जबकि भारत ने 18 मई को। अब फर्क 43 दिनों का हो चुका था। इस बीच भारत लॉकडाउन से यू टर्न लेते हुए अनलॉक के दौर में आ चुका था। स्पेशल ट्रेनें, शराब की दुकानें सब कुछ मई महीने में ही खुल चुकी थीं।

27 अप्रैल को अमेरिका कोरोना संक्रमण के 10 लाख के स्तर पर पहुंच गया। भारत ने यह नकारात्मक मुकाम 16 जुलाई को हासिल किया। अब फर्क 81 दिनों का हो चुका था। यह इस तथ्य के बावजूद था कि भारत ने अनलॉक की गति तेज कर दी थी। मगर, जुलाई से अगस्त आते-आते भारत में कोरोना का संक्रमण रफ़्तार पकड़ चुका था। 

डेढ़ गुणा आगे अमेरिका, डेढ़ महीना पीछे भारत

25 लाख के आंकड़े पर अमेरिका 25 जून को पहुंचा, जबकि भारत 14 अगस्त को। अब अमेरिका और भारत के बीच दिनों का फासला घटने लगा था और यह घटकर हो गया था 41 दिन।

40 लाख के स्तर पर अमेरिका 21 जुलाई को पहुंचा, जबकि भारत 4 सितंबर को यहां पहुंच चुका है। इस हिसाब से भारत 46 दिन पीछे चल रहा है। मगर, अगस्त के अंत तक भारत ने दैनिक संक्रमण में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है। इसका मतलब ये है कि अमेरिका के बराबर संक्रमण के मामलों के पहुंचने तक भारत की रफ्तार बेहद तेज रहने वाली है। इसी तेज रफ्तार से भारत ने ब्राजील को पीछे छोड़ा है। 

सवाल ये है कि क्या ‘नमस्ते ट्रंप’ करवाने वाला भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा? इस वक्त आंकड़ों में अमेरिका भारत से डेढ़ गुणा आगे है, जबकि समय के हिसाब से भारत डेढ़ महीना पीछे है।

मौत के मामले में अमेरिका आगे

मौत के आंकड़े के हिसाब से देखें तो अमेरिका ने 25 मार्च को 1 हजार मौत का आंकड़ा पार कर लिया था, जबकि 16 जून को 10 हजार, 12 अप्रैल को 25 हजार और 23 अप्रैल को 50 हजार मौत का आंकड़ा अमेरिका पार कर चुका है। भारत ने 28 अप्रैल को कोरोना से एक हजार मौत का नकारात्मक मुकाम हासिल किया। 10 हजार मौत का आंकड़ा 16 जून को पार हुआ तो 15 अगस्त को 50 हजार का आंकड़ा। 4 सितंबर तक भारत में मौत का आंकड़ा 69 हजार पार कर चुका है जबकि अमेरिका में 4 सितंबर तक 1,87,777 मौत हो चुकी हैं।

निश्चित रूप से मौत के मामले में भारत अमेरिका से कहीं बेहतर स्थिति में है। मगर, कोरोना संक्रमण की रफ्तार के मामले में भारत की तेज गति बनी हुई है और यह लगातार अमेरिका का पीछा कर रही है।

भारत में कोरोना की गति न लॉकडाउन थाम पा रहा था और न सोशल डिस्टेंसिंग। इस दौड़ में अमेरिका ज़रूर आगे-आगे चल रहा है मगर पीछा करने में भारत की गति भी कम नहीं है। 

उम्मीद की किरण यह है कि रूस में कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक V के सफल ट्रायल की घोषणा प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द लैंसेट’ ने भी कर दी है। इस वैक्सीन का 60 फीसदी उत्पादन भारत में होगा, यह भरोसा भी रूसी अधिकारियों ने रूस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में दिया है। 

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प्रेम कुमार

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