loader
श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह।

सरकार अगर खालिस्तान दे तो सिख ख़ुशी से कबूल करेंगे: अकाल तख़्त जत्थेदार

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 36वीं बरसी पर शनिवार को श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बड़ा बयान दे दिया। सुबह अखंड पाठ के भोग के बाद कौम के नाम जारी संदेश में वह 'खालिस्तान' के पक्ष में जमकर बोले। जत्थेदार ने कहा कि सरकार अगर सिखों को खालिस्तान देती है तो वे इसे ख़ुशी से कबूल करेंगे। यह बात उन्होंने एक सवाल के जवाब में कही। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सभी सिख खालिस्तान चाहते हैं। जब उनसे अकाल तख़्त में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। 

ताज़ा ख़बरें

अख़बार के मुताबिक़, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल भी इस दौरान उनके पास मौजूद थे और जब उनसे खालिस्तान को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अगर कोई हमें देता है, तो हम ले लेंगे।’ 

यहां जिक्र करना ज़रूरी होगा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल के खासमखास हैं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने कार्यकाल में पहली बार खालिस्तान की इस तरह खुलकर हिमायत की है। 

बादल परिवार को होगी मुश्किल

बेशक प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल इस बार ऑपरेशन ब्लू स्टार और उससे संबंधित हर पहलू पर पूरी तरह खामोश हैं। लेकिन ज्ञानी हरप्रीत सिंह के तेवर उनके लिए मुसीबत का सबब ज़रूर बन सकते हैं। खासतौर से इसलिए भी कि बादल परिवार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गहरी नजदीकी जगजाहिर है और प्रकाश सिंह बादल की बहू हरसिमरत कौर केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। 

अलगाववादी और खालिस्तानी सिख संगठनों ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इस बयान को ढोंग बताया है।

पुलिस-कट्टरपंथियों के बीच झड़प

इससे पहले सुबह श्री हरमंदिर साहिब परिसर के बाहर पुलिस और सिख कट्टरपंथियों एवं खालिस्तानियों के बीच तीखी बहस के बाद जबरदस्त हाथापाई हुई। झड़प की वजह यह रही कि कट्टरपंथी तलवारें लहराते हुए और 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए श्री अकाल तख़्त साहिब जाना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने आसपास के सारे रास्तों को सख्ती के साथ सील किया हुआ था। 

पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान की सरपरस्ती वाले अमृतसर अकाली दल से जुड़े लोग ईमान सिंह (सिमरनजीत सिंह मान के बेटे) और सिख यूथ फ़ेडरेशन (भिंडरावाले) के प्रधान भाई बलवंत सिंह गोपाला की अगुवाई में श्री हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख़्त साहिब जाने की जिद पर अड़े थे। लेकिन पुलिस ऐसा होने नहीं दे रही थी। अमृतसर अकाली दल अलगाववादी दल है। 

हल्का बल प्रयोग कर पुलिस फोर्स ने उन्हें रोका। पहले तीखी बहस हुई और फिर हाथापाई। लेकिन ईमान सिंह और भाई बलवंत सिंह गोपाला अपने समर्थकों सहित श्री अकाल तख़्त साहिब पहुंच गए। इस झड़प में ईमान सिंह के पांव में चोट आई है। 

श्री अकाल तख़्त साहिब की तरफ जाने से पहले कट्टरपंथियों ने फिर से ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए और एसजीपीसी के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाजी की। एसजीपीसी पर प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल की सरपरस्ती वाला शिरोमणि अकाली दल काबिज है।

इस बार नहीं पहुंचे मान

यह पहली बार हुआ जब ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अलगाववादी सिख सियासतदान सिमरनजीत सिंह मान स्वर्ण मंदिर नहीं पहुंचे। श्री अकाल तख़्त साहिब के समानांतर जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड के साथ भी पुलिस की झड़प हुई। उन्हें शहर के बाहर लगे नाकों पर पुलिस ने रोका। तगड़ी नोक-झोंक के बाद उन्हें जाने दिया गया। पुलिस ने मीडिया को भी जाने से रोका।

पंजाब से और ख़बरें

भाई बलवंत सिंह गोपाला ने कहा कि सिख कौम ज्ञानी हरप्रीत सिंह को श्री अकाल तख़्त साहिब का जत्थेदार नहीं मानती बल्कि जगतार सिंह हवारा को मानती है। गौरतलब है कि जगतार सिंह हवारा, पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का प्रमुख साजिशकर्ता है और फिलहाल सजायाफ्ता है। 

गोपाला ने आरोप लगाया कि उन्हें और ईमान सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब के भीतर नहीं जाने देने की योजना ज्ञानी हरप्रीत सिंह, एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल और प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल ने बनाई थी। 

पंजाब के बाक़ी गुरुद्वारों में भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की 36वीं बरसी पर समागम हुए। कहीं से किसी तरह के तनाव की खबर नहीं है। कोरोना वायरस और खराब मौसम के चलते इस बार ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर बहुत कम श्रद्धालु अमृतसर पहुंचे। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमरीक

अपनी राय बतायें

पंजाब से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें