loader

'लव जिहाद': एनसीडब्ल्यू प्रमुख रेखा शर्मा को हटाने की माँग क्यों?

सोशल मीडिया पर महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा र्शमा ट्रेंड कर रही हैं। सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफ़े की माँग की जा रही है। क्यों? क्योंकि सोशल मीडिया पर ही महिला आयोग के ट्विटर हैंडल से उनके बारे में आए एक ट्वीट से लोग भड़क गए। यह इसलिए कि महिला आयोग की अध्यक्ष हैं और उनको 'महिला विरोधी' बताया जा रहा है। ट्विटर यूज़र उनके पुराने ट्वीट निकालकर उनसे सवाल पूछने लगे। इसके बाद रेखा शर्मा ने अपने पुराने कई ट्वीट डिलीट कर दिए। कुछ लोगों ने तो यह भी पूछा कि अब ट्वीट को छुपाने का मतलब क्या है? लोग लगातार उनके इस्तीफे की माँग करते रहे। 

रेखा शर्मा के बारे में ट्विटर पर इसकी शुरुआत तब हुई जब महिला आयोग ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट डाला। उस ट्वीट में उन्होंने 'लव जिहाद' के मामले बढ़ने का ज़िक्र किया। उस ट्वीट में कहा गया, 'हमारी अध्यक्षा रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम श्री भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात की और राज्य में महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें कोविद-19 केंद्रों में महिला मरीजों के साथ छेड़छाड़ व बलात्कार और लव जिहाद के मामलों में वृद्धि शामिल हैं।'

इस मामले में 'लव जिहाद' का ज़िक्र किए जाने से ही लोगों ने रेखा शर्मा को निशाने पर लिया। दरअसल, 'लव जिहाद' बहुत ही विवादास्पद शब्द है और इसको लेकर सरकारी तौर पर ऐसी कोई रिपोर्ट या आँकड़ा नहीं है जिससे इसके बारे में कोई पुष्ट बात कही जा सके। लेकिन अधिकतर दक्षिणपंथी और ट्रोल इन शब्दों के माध्यम से यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि मुसलिम एक साज़िश के तहत हिंदू लड़कियों को फँसा लेते हैं और उनसे शादी करते हैं।

इसी 'लव जिहाद' को अलग-अलग लोग तोड़-मरोड़ कर कई रूप में पेश करते रहते हैं और एक तरह से हिंदू-मुसलिम का एंगल देते रहे हैं। यहीं पर सवाल उठता है कि जब 'लव जिहाद' को पुष्ट करने वाला कोई आधार ही नहीं है तो महिला आयोग की अध्यक्ष पद पर बैठी महिला इस पर ऐसी बातें क्यों कह रही हैं। इसी को लेकर ट्विटर यूज़र ने रेखा शर्मा को निशाने पर लिया। 

कांग्रेस की को-ऑर्डिनेटर लवण्या बल्लाल ने लिखा, 'मुझे खुशी है कि देश अब रेखा शर्मा को हटाने की माँग कर रहा है। यूपी में बलात्कार के मामलों को उठाने और बीजेपी नेताओं द्वारा महिलाओं के बारे में ग़लत टिप्पणी करने के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग करने पर मुझे कुछ महीने पहले एनसीडब्ल्यू और रेखा शर्मा द्वारा ब्लॉक कर दिया गया था।

यह शर्मनाक है कि उनकी जैसी महिला एनसीडब्ल्यू का नेतृत्व कर रही है।'

इस विवाद के बढ़ने के बाद लोगों ने उनके पुराने ट्वीट निकालकर सवाल पूछने लगे कि आख़िर ऐसी महिला महिला आयोग की अध्यक्ष कैसे हो सकती है। ऋचा लखेरा नाम के ट्विटर यूज़र ने यही सवाल पूछा। 
सैयद अर्श नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा है, 'शर्म करें रेखा शर्मा। आप क्या महिलाओं को प्रोटेक्शन दोगे? रेखा शर्मा को बर्खास्त करो।'
मशहूर पत्रकार अभिसार शर्मा ने ट्वीट किया, 'रेखा शर्मा इस्तीफा दें। रेखा शर्मा को हटाएँ।'
जब इस पर काफ़ी ज़्यादा बवाल बढ़ने लगा तो रेखा शर्मा ने कहा, 'मैंने इस मुद्दे पर ट्विटर से शिकायत की है कि मेरे अकाउंट में संदिग्ध गतिविधि देखी गई है। इसकी जाँच की जा रही है। मैं ट्रोल्स को जवाब देना पसंद नहीं करूँगी।' इस पर ट्विटर यूज़र ने रेखा शर्मा की खिंचाई की। ट्वटिर यूज़र ने दावा किया कि रेखा शर्मा ने वे ट्वीट डिलीट कर दिए जिनमें उन्होंने अपने एकाउंट हैक किए जाने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वह इसके ख़िलाफ़ ट्विटर से शिकायत करेंगी। इसको लेकर डॉ. नीमो शास्त्री नाम के ट्विटर यूज़र ने ट्वीट किया है। 
जब लोगों ने उनके पुराने ट्वीट निकालकर सवाल पूछने लगे तो उन्होंने कई ट्वीट डिलीट कर दिए। मशहूर पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी रेखा शर्मा के ऐसे ही एक ट्वीट पर सवाल उठाए और लिखा, 'सच में? पीएमओ, कृपया अपने रत्न को बर्खास्त करें। एक महिला निकाय प्रमुख ने महिलाओं के साथ बलात्कार करने के लिए कहा।' लेकिन रेखा शर्मा ने बाद में अपने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया। 

रुचिरा चतुर्वेदी नाम के यूज़र ने ट्वीट किया है, 'अब आपके ट्वीट को छिपाने का क्या मतलब है? विश्वास नहीं कर सकती कि भारत के राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा इतनी घोर महिला विरोधी और प्रतिगामी हैं! रेखा शर्मा के नीचतापूर्ण ट्वीट्स के ख़िलाफ़ NCW क्या कार्रवाई करेगा?'

उनके पुराने ट्वीट को लेकर लगे आरोपों पर जवाब देने के प्रयास में रेखा शर्मा ने कहा कि उन्होंने 2012 से पहले ट्विटर का उपयोग नहीं किया था। हालाँकि, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर उनका परिचय यह दर्शाता है कि वह 2009 से ट्विटर पर हैं। एक के बाद एक सफ़ाई देने के बाद भी रेखा शर्मा फँसती दिख रही हैं और ट्विटर पर उनके हटाए जाने का मामला लगातार ट्रेंड कर रहा है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

सोशल मीडिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें