जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद पर आम जनता ही नहीं, बैंक व वित्तीय संस्थाएं, उद्योग जगत, पूंजी बाज़ार, विदेश निवेशक, विदेशी क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी सबकी नज़र रहती है। क्यों? आख़िर क्या होता है जीडीपी?
दिल्ली दंगे के बीच रिपोर्ट आई है कि आख़िरी तिमाही में विकास दर 4.71 फ़ीसदी ही है। जीडीपी वृद्धि दर आख़िर इतनी कम क्यों है? तो क्या सरकार की आर्थिक नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है? आख़िर आँकड़ों से छेड़छाड़ की ख़बरें क्यों आई थीं?
केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर इस साल 5 प्रतिशत रहेगी, यानी सरकार मान रही है कि अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है।
सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।
सरकार जो 4.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्ध दर के दावे कर रही है, वह भी खोखला है, क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा जिस निजी क्षेत्र से आता है, उसकी विकास दर 3.05 प्रतिशत ही है।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद अभी भी मजबूत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जीडीपी वृद्धि दर अगली तिमाही में बढेगी।