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मसजिद के लिए गठित ट्रस्ट में अयोध्या की नुमाइंदगी न होने पर एतराज़

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में आवंटित की गई पाँच एकड़ ज़मीन पर मसजिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन ट्रस्ट के नौ सदस्यों के नामों की घोषणा भले ही कर दी हो मगर इसमें अयोध्या के किसी व्यक्ति को शामिल न करने पर स्थानीय लोगों और मुसलिम समाज में नाराज़गी है। बाबरी मसजिद के पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी और हाजी महबूब का कहना है कि ट्रस्ट बनाने से पहले उनकी कोई भी राय नहीं ली गयी है, न ही इस ट्रस्ट में उनकी कोई दिलचस्पी है। बुधवार को बनाए गए ट्रस्ट में नौ लोगों को शामिल किया गया है जबकि अभी छह सदस्य और नामित किए जाएँगे। ट्रस्ट का गठन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने किया है। ट्रस्ट के सर्वेसर्वा सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर अहमद फारुकी बनाए गए हैं।

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अयोध्या में कई सालों तक मसजिद की लड़ाई लड़ने वाले पक्षकारों को भी इसमें जगह नहीं मिली है। बाबरी मसजिद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी के पुत्र इक़बाल अंसारी कहते हैं कि इस ट्रस्ट में अयोध्या के मुसलिमों की अनदेखी की गयी है। 70 साल मुक़दमे को हम लोगों ने मसजिद के लिए लड़ाई लड़ी। विवाद भी समाप्त हो गया। वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने ट्रस्ट में बड़े आदमियों को रखा है।

उन्होंने कहा, "इस ट्रस्ट या बाबरी मसजिद संबंधी नये काम से हमारा कोई लेना देना नहीं है। कौम के काम करने वाले इस ट्रस्ट के लोगों को पसंद नहीं हैं। अगर हम लोग न होते तो शायद ट्रस्ट ही न बन पाता। मुसलिमों के हित के काम को हम लोगों ने किया। अयोध्या के मुसलिम को ट्रस्ट में जगह नहीं दी गयी है।’

‘किसी काम का नहीं ट्रस्ट’

बाबरी मामले के पक्षकार इक़बाल अंसारी का कहना है कि ट्रस्ट के बनने से कोई बड़ा नाम नहीं होना वाला है। रौनाही वासियों को भी बनने वाले इस मसजिद से कोई लेना देना नहीं है। अयोध्या ज़िले में रौनाही के पास मसजिद बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने पाँच एकड़ ज़मीन दी है। उन्होंने कहा कि मंदिर जैसा ट्रस्ट नहीं है। यह बिल्कुल अलग है। इसमें चंदा भी नहीं मिलेगा।

इक़बाल अंसारी का कहना है कि जब यहाँ पर शिलान्यास का कार्यक्रम प्रस्तावित है, ऐसे में ट्रस्ट की घोषणा राजनीति से प्रेरित लग रही है। वह कहते हैं कि ये लोग हाईलाइट करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड पर फूटा गुस्सा

बाबरी मसजिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब ने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, ‘ट्रस्ट से हमें कोई मतलब नहीं है। वो जानें, उनका काम जाने। फारूकी साहब के ख्यालात जो है चलने दीजिए। वह अपने ढंग से मसजिद बनवाएँ हमारा कोई लेना देना नहीं है। हम लोगों को नहीं रखा तो अच्छा ही किया है।’ हाजी महबूब ने कहा कि ट्रस्ट को बनाने के पहले हमसे पूछा भी नहीं गया है। उन्होंने कहा कि मैं बाबरी मसजिद का पक्षकार रहा हूँ। बाबरी मसजिद अयोध्या में थी और ट्रस्ट 25 किलोमीटर दूर बन रहा है। अयोध्या के लोगों को इससे कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले ट्रस्ट के चेयरमैन मुझसे मिलने आते थे। महबूब ने कहा कि ‘न इसमें जफरयाब जिलानी साहब हैं न ही हाजी महबूब हैं तो समझ लें ट्रस्ट कैसा है।’

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सुन्नी वक्फ बोर्ड के ही सदस्य हैं ट्रस्ट में

बुधवार को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 15 सदस्यों के ट्रस्ट के गठन का एलान किया था। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य होंगे। बोर्ड अध्यक्ष जुफर अहमद फारुकी ट्रस्ट के चीफ़ ट्रस्टी व चेयरमैन होंगे। वक्फ बोर्ड नें अदनान फारुक शाह को ट्रस्ट का उपाध्यक्ष व अतहर हुसैन को कोषाध्यक्ष नामित किया है। ट्रस्ट के अन्य सदस्यों में पैड आफताब, मोहम्मद जुनैद सिद्दीकी, सेख सईदुजमां, मोहम्मद राशिद व इमरान अहमद शामिल हैं। बोर्ड इस ट्रस्ट के छह अन्य सदस्यों के नाम बाद में घोषित करेगा। ट्रस्ट में अधिकतम 15 सदस्य होंगे।

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कुमार तथागत

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