नया पाकिस्तान!
यह सवाल अधिक महत्वपूर्ण इसलिए है कि पाकिस्तान की कमान ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़ कर निकले इमरान ख़ान के हाथ में है जो 'नया पाकिस्तान' गढ़ने की बात करते हैं। दूसरी ओर भारत में उस बीजेपी की सरकार है, जो भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के महासंघ बनाने की बात कई बार कह चुकी है।यह सवाल इसलिए भी पूछा जाना चाहिए क्योंकि क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान ख़ान किसी जमाने में करोड़ों भारतीयों के दिल की धड़कन हुआ करते थे तो नरेंद्र मोदी बग़ैर निमंत्रण के बेहद अनौपचारिक और घरेलू रूप से तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के यहां जा चुके हैं।
यूएई-इज़रायल के बीच 99 क़रार
ये दोनों देश इज़रायल-संयुक्त अरब अमीरात जैसे बुरे हाल में तो नहीं ही रहे हैं। यूएई और इज़रायल ने निवेश बढ़ाने और उसकी हिफ़ाजत के लिए 99 क़रारों पर दस्तख़त किए हैं। यूएई के वित्त मंत्रालय के अवर सचिव यूनिस हाजी अल खूरी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में और कदम उठाए जाएंगे।इज़रायल-बहरीन समझौता
इज़रायल ने इसी तरह बहरीन से भी समझौता किया है। तेल अबीब से एक विशेष उड़ान से इज़रायल के आला अफ़सर मनामा गए, जहां उन्होंने क़रार पर दस्तख़त किए। उस विमान में अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीव म्यूचिन भी थे।'शांति का युग'
इसके पहले सितंबर महीने में दोनों देशों के बीच एक शांति समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों एक दूसरे के यहां दूतावास खोलेंगे और सामान्य रिश्तों की शुरुआत करेंगे।अब तक खाड़ी के तमाम देश कहते थे कि जब तक फ़िलीस्तीन समस्या का समाधान नहीं हो जाता, वे किसी कीमत पर इज़रायल को स्वीकार नहीं कर सकते। अब संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और जोर्डन के बाद इज़रायल को स्वीकार करने वाला चौथा देश बहरीन हो गया।
इज़रायल-लेबनान सीमा क़रार?
इसी तरह लेबनान और इज़रायल लंबे समय से विवादित समुद्री सीमा को लेकर चल रहे विवाद को ख़त्म करने पर अमेरिका की मध्यस्थता में बातचीत शुरू करने पर राजी हो गए हैं। यह बातचीत दक्षिणी लेबनान के सीमावर्ती शहर नकौरा में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के मुख्यालय में होगी।सऊदी अरब भी?
संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बाद अब सऊदी अरब भी इज़राइल के साथ शांति समझौता कर सकता है। अमेरिका इसमें मध्यस्थता कर रहा है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री शहज़ादा फ़ैसल ने पिछले हफ़्ते अमेरिका जाकर विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से बातचीत की थी।“
'हम चाहते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन की तरह सऊदी अरब भी इज़राइल के साथ कूटनीतिक रिश्ते कायम करे। हमें पूरी उम्मीद है कि सऊदी सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है।'
माइक पॉम्पिओ, विदेश मंत्री, अमेरिका
भारत-पाक गतिरोध
लेकिन भारत-पाकिस्तान में गतिरोध लंबे समय से बना हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार की स्पष्ट नीति है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद पहले की तरह ही चल रहा है, बल्कि उसमें इज़ाफा हुआ है।मोदी ने बाद के दिनों में अपना रवैया बेहद कड़ा कर लिया। उन्होंने राजनीतिक कारणों से राष्ट्रवाद का एक नया नैरेटिव गढ़ा जिसके निशाने पर पाकिस्तान रखा गया। फ़िलहाल दोनों देशों के बीच इतनी कटुता है कि किसी तरह की बातचीत की कोई उम्मीद किसी को नहीं है।
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