loader

आंध्र प्रदेश ने तीन राजधानी वाले क़ानून को वापस क्यों लिया?

आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार ने विवादास्पद तीन-राजधानी वाले क़ानून को वापस ले लिया है। इसका पिछले दो साल से भारी विरोध हो रहा था। पहले मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने क़ानून के माध्यम से तीन राजधानियों का प्रस्ताव किया था। इसमें कहा गया था कि अमरावती में विधायी राजधानी, विशाखापट्टनम में कार्यकारी राजधानी और कुरनूल में न्यायिक राजधानी होगी। लेकिन सरकार को भारी विरोध के बीच इसको वापस लेना पड़ा।

इसको लेकर आंध्र प्रदेश विधानसभा ने एपी विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास निरसन बिल, 2021 पारित किया है। यह राज्य के लिए तीन राजधानियों की योजना से संबंधित पहले के क़ानून को वापस लेता है।

ताज़ा ख़बरें

आज दिन में एडवोकेट जनरल सुब्रह्मण्यम श्रीराम ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय को एक हलफनामे में विवादास्पद आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास अधिनियम, 2020 को वापस लेने के सरकार के फ़ैसले की जानकारी दी। 'बार एंड बेंच' की रिपोर्ट के अनुसार, एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि अमरावती राज्य की एकमात्र राजधानी होगी। बता दें कि अदालत उस क़ानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने आज ही राज्य की विधानसभा में बड़ी घोषणा की है। रेड्डी ने विधानसभा में कहा,

हमारा मानना ​​था कि आंध्र प्रदेश में राजधानी के विकेंद्रीकरण की बहुत ज़रूरत है। सरकार पहले पेश किए गए विधेयक को वापस लेने जा रही है। हम बिना किसी त्रुटि के एक नया विधेयक पेश करेंगे।


वाई एस जगन मोहन रेड्डी

राज्य सरकार के वित्त, योजना और विधायी मामलों के मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ रेड्डी द्वारा विधानसभा में क़ानून को निरस्त करने के लिए विधेयक पेश किया गया था।

आंध्र प्रदेश से और ख़बरें
संयोग से राज्य सरकार का फ़ैसला तब आया है जब बीजेपी ने तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने का फ़ैसला किया है। किसान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। आंध्र प्रदेश में भी तीन राजधानी के फ़ैसले का किसान और ज़मीनों के मालिक विरोध कर रहे थे। उनका दावा था कि नई राजधानी के विकास के लिए उन्हें अपनी ज़मीन छोड़नी होगी। किसानों ने 1 नवंबर को अमरावती से तिरुपति तक 45 दिनों का पैदल मार्च निकाला है और वे रविवार को नेल्लोर पहुंचे।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

आंध्र प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें