loader

अयोध्या: कोर्ट के फ़ैसले के बाद मंदिर निर्माण की तैयारियाँ तेज़

बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अयोध्या मंदिर निर्माण  की तैयारियों को लेकर मंदिर कार्यशाला में सरगर्मी तेज़ हो गई है। राम जन्मभूमि न्यास के पदाधिकारी व विश्व हिन्दू परिषद के लोग अब  कोर्ट के आदेश के तहत अगले एक्शन प्लान पर गंभीरता से विचार कर रहें हैं।
मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के मुताबिक़, पत्थरों को तराशने का काम फिर से शुरू करने के पहले कई व्यवस्थाओं को पूरा करने पर चिंतन हो रहा है। मंदिर के पत्थरों की व्यवस्था के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्त ने सत्य हिन्दी से कहा कि कारीगरों को बड़ी संख्या बुलाने के पहले पत्थरों को काटने की मशीन को ठीक करवाना होगा। इसके साथ ही रामसेवकपुरम में रखे पत्थरों का आकार बहुत बड़ा है, जिन्हें  कार्यशाला तक लाने के लिए बड़ी शक्तिशाली क्रेन की ज़रूरत है। पहले इनको दो क्रेनों को लगा कर उतारा गया था।
अयोध्या विवाद से और खबरें
राम जन्म भूमि न्यास के पदाधिकारी व विश्व हिन्दू परिषद के लोग इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि अधिग्रहीत 67 एकड़ ज़मीन केंद्र सरकार से वापस करवाई जाए, जिसमें 48 एकड़ ज़मीन रामजन्म भूमि न्यास की है।

पत्थर तराश कर कार्यशाला में रखे गए हैं ताकि मंदिर स्थल के क़रीब उन्हें शिफ्ट करवाया जाए।

पत्थरों को रामलला मंदिर के अहाते में ले जाने के लिए खाली और सुरक्षित चैड़ी सड़क की भी ज़रूरत है। गुप्ता ने बताया कि इस सब की व्यवस्था करने के बाद ही बड़ी संख्या मे कारीगरों को पत्थर तराशने के लिए बुलाया जा सकेगा।

कैसा होगा ट्रस्ट?

बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर  राम मंदिर के लिए सोमनाथ मंदिर अथवा माँ वैष्णैव देवी मंदिर के पैटर्न पर बनने वाले ट्रस्ट पर भी राम जन्मभूमि न्यास व विहिप की नज़र है।

धन की कमी नहीं

राम मंदिर के वैधानिक कार्य व इससे जुड़े अन्य कार्य को देखने वाले विहिप के संगठन मंत्री व रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडे के मुताबिक़, मंदिर निर्माण में धन की कमी सामने नही आएगी। अभी से दान देने वालों की बड़ी संख्या तैयार है। 

मंदिर आंदोलन के दौरान शिलापूजन कार्यक्रम के तहत 3 लाख गाँवों में प्रत्येक व्यक्ति से डेढ़ रुपये का दान लिया गया था। इससे 8 करोड़ का फंड न्यास के खाते में जमा हुआ था। उसी से मंदिर के पत्थरों को तराशने का काम 1991 से अनवरत जारी है।
पांडे ने बताया कि कार्यशाला की ज़मीन अयोध्या राजघराने से दान मे मिली है। राम सेवकपुरम कार्यशाला की जमीन को विहिप व राम मंदिर न्यास ने मिल कर खरीदा है। कारसेवक पुरम की ज़मीन विहिप व इससे जुड़े संगठनों के सहयोग से खरीदी गई थी। शिला पूजन के दौरान जमा 8 करोड रुपये  से न्यास के खाते में अभी भी कार्यशाला में काम जारी रखने के लिए धन है।

दान की राशि तेजी से बढ़ी

मंदिर कार्य के संगठन मंत्री ने बताया कि जबसे मंदिर मसजिद मामले  की नियमित सुनवाई शुरू हुई है, कार्यशाला में श्रद्धालुओं की भी भीड़ अप्रत्याशित तरीके से बढ़ी है। साथ ही दानपात्र  में चढावा राशि में ख़ासा इजाफ़ा हुआ है।

जहाँ 30 सितंबर 2019 से पहले दान से 30 हजार रुपये की मासिक आय होती थी, वहीं अक्टूबर में यह राशि बढकर 3 लाख 86 हज़ार हो गई है। इसके अलावा रसीद कटवा कर चंदा के रूप में भी साढे तीन लाख रुपये मासिक मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद तो दान की राशि में और तेजी से इजाफ़ा हो रहा है। 
भरतपुर से मंदिर के प्रथम तल के बचे काम को पूरा करवाने के लिए जब कारीगरों को बुलाया जाएगा तो 40 फ़ीसदी बचे पत्थरों को भी जरूरत पड़ेगी। फ़िलहाल अभी भी पर्याप्त संख्या मे पत्थर रामसेवकपुरम में रखे गए है। ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। प्रथम तल का काम बाकी है। जिसे व्यवस्था पूरी करने के बाद शुरू किया जाएगा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
वी. एन. दास

अपनी राय बतायें

अयोध्या विवाद से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें