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राम लला के मुख्य पुजारी ने किया था विहिप का विरोध, नए मंदिर में नहीं मिलेगी जगह?

बाबरी मसजिद ढहाए जाने के बाद बने अस्थायी मंदिर में पिछले 27 साल से राम लला की पूजा अर्चना करने वाले प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के चेहरे पर चिंता और परेशानी की लकीरें साफ़ देखी जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित ज़मीन राम लला विराजमान को देने का फ़ैसला सुना दिया है, जिससे सत्येंद्र दास बेहद खुश हैं। लेकिन इससे उनकी चिंता भी बढ़ी है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। 
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अदालत की ओर से नियुक्त रिसीवर ने आचार्य सत्येंद्र दास को प्रधान पुजारी नियुक्त किया था, लेकिन अब मंदिर का प्रबंधन किसी दूसरे के हाथ चला जाएगा। ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि मौजूदा प्रधान पुजारी को हटा कर यह काम किसी और को सौंपा जाए। सत्य हिन्दी के वी. एन. दास ने आचार्य सत्येंद्र दास से ख़ास बातचीत की। पेश हैं उसके कुछ हिस्से :

सवाल - कब से पूजा कर रहे हैं राम लला की? कैसा अनुभव रहा ज़बरदस्त पुलिस सुरक्षा में  ठाकुर जी की पूजा करने का?

जवाब - विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद 5 मार्च, 1992 को विवादित स्थल के तत्कालीन  रिसीवर ने पुजारी के तौर पर मेरी नियुक्ति की। उस समय, मैं संस्कृत स्कूल में शिक्षण कार्य करता था। साथ में  प्रभु रामलला की सेवा का अवसर मिला तो यह कार्य भी करने लगा। काफी असुविधाओं के बीच पूजा का काम किया। लेकिन पूजा से यह सुख मिलता था कि रामलला का भव्य मंदिर कभी ज़रूर बनेगा ।

सवाल- कितना पारिश्रमिक मिलता था? जीवकोपार्जन कैसे चलता रहा?

जवाब- शुरुआती दौर मे केवल 100 रुपये मासिक पारिश्रमिक मिलता था । लेकिन पिछले कुछ साल पहले से इसमें बढोतरी होनी शुरू हुई। पिछने साल तक 12 हज़ार मासिक मानदेय मिल रहा था लेकिन इस साल रिसीवर व अयोध्या के कमिश्नर ने बढ़ा कर 13 हजार रुपये कर दिया गया है। घर का खर्च शिक्षक की नौकरी के वेतन से चलता रहा ।

सवाल- आपने क्या विवादित मंदिर की पूजा व्यवस्था में खमियों को दूर करने के लिए कभी आवाज़ उठाई?

जवाब- मैंने दर्जनों बार व्यवस्था में सुधार की माँग की। लिखित शिकायत व कर्मचारियों व पुजारियों के पारिश्रमिक बढाने की माँग की। इसी का परिणाम है कि मेरे साथ 4 सहायक पुजारियों व 4 कर्मचारियों का भी मानदेय रिसीवर ने बढ़ा दिया। रामलला मंदिर की पूजा में लगने वाले मासिक 93 हजार के बजट को बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया।

सवाल -आप का विहिप से रिश्ता कैसा रहा, जो मंदिर  आंदेालन से लेकर अब  निर्माण की तैयारी से जुड़ा रहा है?

जवाब- साफ कहूं तो मेरा रिश्ता इन लोगों से मधुर नही रहा है। कारण यह है कि मैं वही करता व कहता था जिसमें सच्चाई रहती है। यह बात इन लोगों को पसंद नही आती थी। संघ वाले चाहते थे कि मैं उनका मुखौटा बन कर काम करूँ, जिस पर मैने समझौता नहीं किया।

सवाल - बीजेपी सत्ता में रही और अब तो पूरी ताक़त के साथ सत्ता में है। ऐसे में आप को पुजारी पद से हटाने की कोशिश नही की गई?

जवाब - मेरे विरोधी बहुत हैं। विहिप के लोगों ने तो पूरी कोशिश हटवाने के लिए की। पर विवादित स्थल के रिसीवर व कमिश्नर ने साफ तौर लाचारी दिखाई। कारण जब सरकारी अधिकारी को रिसीवर बनाया गया तो कोर्ट ने पुजारी के नाम माँगे। तत्कालीन रिसीवर ने मेरा नाम कोर्ट को भेज दिया था, जिसे कोर्ट ने भी अनुमोदित कर दिया। कोर्ट की अनुमति के बिना मुझे नही हटाया जा सका।

सवाल - अब तो कोर्ट ने मंदिर मसजिद मामले में फ़ैसला दे दिया है। साथ ही नया ट्रस्ट बनाकर उसे  मंदिर के निर्माण व मैनेजमेंट का दायित्व सौंपने का आदेश सरकार को दिया है। फ़ैसले में गोपाल विशारद के परिवार को मंदिर में पूजा का अधिकार दिया गया है।ऐसे में क्या आगे भी पूजा का अवसर मिलेगा?

जवाब- मैं कुछ कह नही सकता। यह तो नए ट्रस्ट के मैनेजमेंट पर निर्भर करेगा। अगर ट्र्स्ट में मुझे भी स्थान मिलेगा और पूजा को जारी रखने को कहा जाएगा, तो तैयार रहूँगा। मेरी उम्र 82 साल हो चुकी है। राम लला के दर्शन व उनकी आराधना तो पुजारी न रह कर भी जारी रहेगी।

सवाल -संघ परिवार व आप के बीच मतांतर की असली वजह क्या है?

जवाब - पहला, मैने उनका मुखौटा बनकर काम नही किया। जो सही लगा वही बोला ,वही किया भी। दूसरा विरोध व नाराजगी उसी समय से शुरू हुई जब विहिप नेता अशोक सिंहल एक बार कोर्ट के आदेश को तोड़ कर कई समर्थकों के साथ रामलला की पूजा करने पहुँच गए थे। मुझ पर प्रशासन व विहिप का दबाव पड़ा कि घटना सें इनकार कर दूँ । पर मैने पत्रकारों और सरकार को सबकुछ सच-सच बता दिया। इसके बाद ये सभी गिरफ़्तार कर लिए गए थे। उसके बाद से आज तक मेरे इन लोगों से मधुर रिश्ते नही बने।

सवाल -क्या आप को लगता है कि भव्य मंदिर के पुजारी के तौर पर आगे भी राम लला की सेवा कर सकेंगे?

जवाब -यह तो केंद्र सरकार के निर्देश में बनने वाले ट्स्ट पर निर्भर करेगा। पर मेरे विरोधी कतई नही चाहेंगे कि मैं आगे भी इस पद पर बना रहूँ। सच कहूँ, अब मैने राम लला की लंबी सेवा करके सब कुछ पा लिया है। 

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वी. एन. दास

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