अपनी इस बात से प्रधानमंत्री ने क्या उन 10 वर्षों में नीतीश कुमार ने जो काम किये थे उसे नकार तो नहीं दिया? राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने अपने पहले 5 वर्षों में सबसे अच्छा काम किया।
सुशासन
इसके 5 साल बाद तक उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे काम के लिए पुरस्कार-सम्मान मिलता रहा। यह ज़रूर है कि नीतीश कुमार का अब तक अंतिम कार्यकाल उनके पहले के दो कार्यकालों के मुक़ाबले बहुत ही निराशाजनक रहा है।- हिन्दुस्तान टाइम्स और सीएनए आईबीएन ने 2007 में नीतीश कुमार को 'सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री' के खिताब से नवाजा था।
- इकाॅनोमिक टाइम्स ने 2009 में उन्हें 'बिज़नेस रिफाॅर्मरऑफ द ईयर करार' दिया।
- 2010 में फोर्ब्स मैगज़ीन और एनडीटीवी ने उन्हें 'इंडियन ऑफ़ द ईयर' बताया।
- 2011 में जमशेदपुर के नामी प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई ने उन्हें 'सर जहांगीर गांधी मेडल' से नवाजा था।
- 2012 में फाॅरन पाॅलिसी मैगजीन ने नीतीश कुमार को दुनिया के 100 बड़े चिंतक में शामिल किया।
- 2017 में बिहार में शराबबंदी के लिए, जिसकी शुरुआत राजद के साथ सरकार में की गयी थी, जैन संस्था-श्वेतांबर महासभा ने उन्हें 'अनुव्रत पुरस्कार' दिया।'
नीतीश को झटका
पटना के ए. एन. सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक डी. एम. दिवाकर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ यूपीए सरकार पर आरोप लगाए बल्कि एक तरह से नीतीश कुमार के कामों को एक झटके में सवालों के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया।नीतीश कुमार का पहला कार्यकाल बिहार के लिए काफी परफाॅर्मिंग था, जिसमें कई काम केन्द्र सरकार के सहयोग से हुए। विश्व बैंक संपोषित सर्व शिक्षा अभियान के तहत केन्द्र से मिली सहायता से ही बिहार में स्कूलों के भवन फिर से रंग-रोगन के साथ खड़े किये गये।
मनरेगा
उन्होंने मनरेगा, जो उस समय नरेगा के नाम से जाना जाता था, का उदाहरण देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के आने से ठीक पहले बिहार में इसके तहत 100 दिनों का काम 60 हज़ार लोगों को मिल रहा था। इसके अगले साल यह आधा होकर 30 हज़ार हो गया। आज हालत यह है कि एक करोड़ 55 लाख जाॅब कार्डधारियों में महज 20 हज़ार को 100 दिनों का काम मिल पा रहा है।रूरल हेल्थ मिशन
डॉ. शकील बिहार में जन- स्वास्थ्य के क्षेत्र में लंबे समय से काम करते रहे हैं। उनका कहना कि नीतीश कुमार सरकार की खुशकिस्मती थी, जिस साल उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला उसी साल केन्द्र की यूपीए सरकार ने नेशनल रूरल हेल्थ मिशन की शुरुआत की।जननी सुरक्षा योजना
इसी तरह जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की गयी, जिसके तहत पहली बार सरकारी अस्पतालों में प्रसव पर प्रोत्साहन राशि देने की शुरुआत हुई। इसका असर यह हुआ कि सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वालों की संख्या बढ़ी।इसी तरह टीबी उन्मूलन, मलेरिया, कालाज़ार, फाइलेरिया, आयोडीन की कमी और जापानी इनसेफलाइटिस जैसे मामलों में भी केन्द्र सरकार टीके या निर्धारित कोर्स उपलब्ध कराती है।
कोरोना
डॉ. शकील कहते हैं कि हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैक्सीन को राजनैतिक लाभ के लिए मुफ़्त में देने का ऐलान किया। यह तो हर इंसान का सार्वभौमिक अधिकार है।श्री दिवाकर कहते हैं कि नीतीश कुमार के सामने प्रधानमंत्री ने यह ग़लतबयानी की और मज़बूरी में वे इसका जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
मोदी ने 5 साल पहले नीतीश कुमार पर तंज करते हुए उनके डीएनए में गड़बड़ी बतायी थी तो उन्हें ज़ोरदार जवाब दिया गया था। बोरे में भरकर नाखून और बाल भेजे गये थे। अब नीतीश कुमार बीजेपी के आगे इतने मज़बूर हैं कि अपने कामों को भी वे नहीं दोहरा पा रहे हैं।
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