बीवाई विजयेंद्र
भाजपा - शिकारीपुरा
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कांग्रेस के लिए एक और राज्य से मुसीबत की आहट की ख़बर है। छत्तीसगढ़ में सरकार चला रही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मंगलवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाक़ात की है। इनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर जबरदस्त खींचतान हुई थी। मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों के बीच कांग्रेस हाईकमान ने बघेल को चुना था। यह भी चर्चा हुई थी कि ढाई साल में दूसरे दावेदार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि बघेल ढाई साल वाले किसी फ़ॉर्मूले से लगातार इनकार करते रहे हैं।
अब जब ढाई साल पूरे हो चुके हैं तो बीते दो महीने से इसे लेकर चर्चा तेज़ है कि क्या कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री बघेल को बदलेगा। बघेल के अलावा टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे।
बीते कुछ दिनों में टीएस सिंहदेव के कथित रूप से नाराज़ होने की ख़बरें छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों से आती रही हैं। कुछ दिन पहले कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने टीएस सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि बघेल के पक्ष में बयान देने के कारण सिंहदेव ने उन पर हमला करवाया था। इसके बाद सिंहदेव विधानसभा से बाहर निकल गए थे और इसी शर्त पर लौटे थे कि सरकार विधायक के इस बयान को आधिकारिक रूप से खारिज कर दे।
सिंहदेव ने शिकायत की थी कि स्वास्थ्य महकमे के सचिवों को लगातार बदला जा रहा है। इसके अलावा कुछ और योजनाओं पर भी सिंहदेव और बघेल के बीच में विवाद हो चुका है।
देश के तीन ही राज्यों में कांग्रेस की अपने दम पर सरकार है। इन राज्यों में पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। पंजाब, राजस्थान का हाल सबके सामने है और अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस और सरकार में टकराव का मामला हाईकमान का सिरदर्द बढ़ा सकता है।
कांग्रेस हाईकमान जैसे-तैसे पंजाब में सिद्धू-बनाम अमरिंदर का झगड़ा सुलझा ही पाया था कि सिद्धू के सलाहकारों के बयान के बाद उसे बैकफ़ुट पर आना पड़ा है और इस मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की टिप्पणी के बाद पंजाब के प्रभारी हरीश रावत फिर से राज्य के दौरे पर आने के लिए मजबूर हो गए हैं।
राजस्थान में पायलट-गहलोत गुट का झगड़ा जारी है क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट के विस्तार के लिए राजी नहीं हुए हैं।
G- 23 गुट के नेताओं की बग़ावत के कारण भी कांग्रेस खासी परेशान है। बड़े नेता कपिल सिब्बल के घर रखे गए डिनर में जितनी बड़ी संख्या में विपक्षी नेता जुटे, उससे भी पार्टी में हलचल बढ़ी है। तमाम बड़े नेता लगातार पार्टी को छोड़ रहे हैं। इस सबके बीच कांग्रेस में नेतृत्व का संकट कब हल होगा, आंतरिक चुनाव कब होंगे, इन सवालों का भी कोई जवाब पार्टी हाईकमान अब तक नहीं दे सका है।
भूपेश बघेल वे शख़्स हैं, जिनके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए ही 15 साल से छत्तीसगढ़ की सत्ता में बैठी बीजेपी की विदाई हुई थी। जबकि वहां रमन सिंह का हारना बेहद मुश्किल लग रहा था।
भूपेश बघेल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं और कांग्रेस को एक ऐसे बड़े ओबीसी नेता की ज़रूरत है जो उसके लिए दूसरे राज्यों में भी चुनावी ज़मीन तैयार कर सके। कांग्रेस असम से लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बघेल को उतार चुकी है और वह उन्हें प्रमुख ओबीसी चेहरा बनाना चाहती है। देश में जिस तरह पिछड़ों की राजनीति पर फ़ोकस हो रहा है, उस हालात में कांग्रेस हाईकमान बघेल को नहीं हटाना चाहेगा।
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