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एक्शन और सस्पेंस के चक्कर में कमज़ोर रह गई वेब सीरीज़ 'क्रैकडाउन' की कहानी

वेब सीरीज़- क्रैकडाउन

डायरेक्टर- अपूर्व लखिया

स्टार कास्ट- साकिब सलीम, श्रीया पिलगांवकर, इकबाल खान, वेलुशा डिसूजा, राजेश तैलंग, अंकुर भाटिया

स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- वूट सेलेक्ट

शैली- एक्शन-थ्रिलर

रेटिंग- 2.5/5

हाल फ़िलहाल में कई ऐसी वेब सीरीज़ रिलीज़ हुई हैं जिनमें भारत-पाकिस्तान और आतंकवाद को ही कहानी के तौर पर परोसा गया है। इसी में से एक और सीरीज़ 'क्रैकडाउन' भी रिलीज़ हो चुकी है। सीरीज़ 'क्रैकडाउन' ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म वूट सेलेक्ट पर रिलीज़ हुई है और इसका निर्देशन अपूर्व लखिया ने किया है। सुरेश नायर और चिंतन गाँधी ने मिलकर इसकी कहानी को लिखा है। सीरीज़ में लीड रोल में राजेश तैलंग, श्रीया पिलगाँवकर, इक़बाल ख़ान, साकिब सलीम, अकुंर भाटिया और वेलुशा डिसूजा हैं। सीरीज़ में दिखाया गया है कि पाकिस्तान द्वारा किये जाने वाले आतंकी हमले को रोकने के लिए खुफिया एजेंसी रॉ के कुछ जाबांज एजेंट काम कर रहे हैं, अब वो इस मिशन में सफल होंगे या नहीं, ये तो आपको सीरीज़ देखने के बाद पता चलेगा। तो आइये जानते हैं इसकी कहानी के बारे में-

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सीरीज़ क्रैकडाइन में क्या है ख़ास

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पाकिस्तान द्वारा भारत में किये जाने वाले आतंकी हमलों को रोकने के मिशन पर काम कर रही है और इसका ज़िम्मा रॉ एजेंट रियाज़ पठान (साकिब सलीम) उठाते हैं। रियाज अपने बॉस चीफ़ अश्विनी (राजेश तैलंग) को ही सिर्फ़ रिपोर्ट करता है और वो उनका चहेता भी है। रॉ के डिप्टी डायरेक्टर जोरावर (इक़बाल ख़ान) रियाज़ को बिल्कुल पसंद नहीं करता। मिशन की शुरुआत होती है और रियाज अपने साथियों के साथ कुछ आतंकियों को मार देता है, जिसमें आतंकी तारिक (अंकुर भाटिया) का भाई भी मर जाता है। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ जाती है और भारत में बम ब्लास्ट होने लगते हैं।

ऐसे में रॉ चीफ़ को मालूम पड़ता है कि एजेंसी में कोई है जो सभी जानकारी लीक कर रहा है और इसके बाद ही एक और बम ब्लास्ट में चीफ़ अश्विनी सहित कई लोगों की मौत हो जाती है। अब रॉ एजेंट रियाज़ पठान के कंधों पर इस मिशन को पूरा करने और आतंकियों को बम ब्लास्ट को रोकने की पूरी ज़िम्मेदारी आ जाती है और इसमें उनका साथ देती है दिव्या (श्रीया पिलगाँवकर)। सवाल यह है कि क्या रियाज मिशन को पूरा कर पायेगा या मारा जायेगा। एजेंसी में ऐसा कौन है जो सभी जानकारियों को लीक कर रहा है। क्या आतंकी तारिक पकड़ा जायेगा और क्या जोरावर रियाज का साथ देगा या नहीं। यह सब कुछ जानने के लिए आपको 8 एपिसोड की वेबसीरीज़ 'क्रैकडाउन' देखनी पड़ेगी और इसका हर एक एपिसोड 30 मिनट का है।

crackdown web series review - Satya Hindi

निर्देशन

कई फ़िल्मों का निर्देशन कर चुके अपूर्व लखिया का वेबसीरीज़ 'क्रैकडाउन' के ज़रिये डिजिटल डेब्यू है। उन्होंने कोई नई कहानी को पर्दे पर पेश नहीं किया है। हम इस तरह की कहानी को पहले भी कई सीरीज़ जैसे स्पेशल ऑप्स, फैमिली मैन और बार्ड ऑफ़ ब्लड में देख चुके हैं, लेकिन अगर उसमें थोड़े भी बदलाव किये जाते तो सीरीज़ और भी बेहतर हो सकती थी। एक्शन और सस्पेंस को बरकरार रखने के चक्कर में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी सीरीज़ की कहानी धीमी होने के कारण कमज़ोर हो गई। वेबसीरीज़ का बैकग्राउंड म्यूजिक काफ़ी अच्छा है और इसे काफ़ी अच्छे से शूट किया गया है।

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एक्टिंग

राजेश तैलंग जब भी पर्दे पर आते हैं अपनी एक अलग छाप छोड़ जाते हैं फिर भले ही उनका रोल छोटा ही क्यों न हो। राजेश तैलंग ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। तो वहीं साकिब सलीम की बात करें तो उन्होंने एक्शन करने में तो अपनी पूरी जान लगा दी लेकिन एक रॉ एजेंट के किरदार को पूरी सक्रियता के साथ निभाने में नाकाम रहे। वहीं श्रीया पिलगांवकर ने अपने रोल को बख़ूबी निभाया है। इक़बाल ख़ान की बात करें तो उन्होंने काफ़ी अच्छा काम किया है और अपने रोल को पर्दे पर काफ़ी अच्छे से पेश किया है। अकुंर भाटिया ने भी विलेन के रूप में अच्छा काम किया है। इसके अलावा सीरीज़ के बाक़ी सभी स्टार्स ने अपने किरदार को सही से निभाया।

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अगर इस हफ्ते आपके पास कुछ ख़ास देखने को नहीं है तो आप वेबसीरीज़ 'क्रैकडाउन' एक बार देख सकते हैं। सीरीज़ में एक्शन, थ्रिलर और सस्पेंस काफ़ी है जो आपको पसंद आयेगा। बस इसकी कहानी थोड़ी सी स्लो है और यह निराश करती है। अगर सीरीज़ ने शुरू से ही अच्छी स्पीड पकड़ी होती तो यह और भी मजेदार हो सकती थी। अगर आप कहानी की गति को नज़रअंदाज करेंगे तो निर्देशक अपूर्व लखिया की वेबसीरीज़ 'क्रैकडाउन' में काफ़ी ट्विस्ट हैं जो अंत तक बांधेंगे और इसका दूसरा सीज़न भी आयेगा इसलिए इसे आप एक बार देख सकते हैं।

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दीपाली श्रीवास्तव

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