loader

#MeToo जैसे गंभीर मुद्दे के साथ न्याय करती है सस्पेंस से भरी फ़िल्म ‘गिल्टी’? 

  • फ़िल्म- गिल्टी
  • डायरेक्टर- रुचि नारायण
  • स्टार कास्ट- कियारा आडवाणी, अंकाक्षा रंजन कपूर, गुरफ़तेह पीरज़ादा, ताहेर शब्बीर, मनु ऋषि, कुणाल विजयकर
  • स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स
  • शैली- सस्पेंस-ड्रामा
  • रेटिंग- ⅗
डिजिटल प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 6 मार्च को फ़िल्म आई है जिसका नाम है ‘गिल्टी’। इसका डायरेक्शन रुचि नारायण ने किया है और इसका स्क्रीनप्ले रुचि नारायण, अतिका चौहान और कनिका ढिल्लन ने किया है। फ़िल्म ‘गिल्टी’ में मीटू मूवमेंट से जुड़ी कहानी दिखाई गई है। जिसमें लीड रोल में कियारा आडवाणी, अंकाक्षा रंजन कपूर और कई स्टार्स हैं। तो आइये जानते है कि नेटफ्लिक्स की इस नई फ़िल्म में क्या ख़ास है।

क्या है फ़िल्म में?

कहानी शुरू होती है सेंट मार्टिन कॉलेज से जहाँ एक बैंड है ‘डूबीडू’, जिसमें नानकी दत्ता (कियारा आडवाणी) सॉन्ग राइटर हैं। वहीं उस बैंड के लीड सिंगर वीजे (गुरफ़तेह पीरज़ादा) है। दोनों गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड है और बाकि सारे दोस्त भी इस बैंड के मेंबर है। वहीं एक धनबाद की लड़की है तनु (अंकाक्षा रंजन कपूर), जो कि स्कॉलरशिप से इस कॉलेज में पढ़ने आई है। तनु कॉलेज में फेमस होना चाहती है और वह छोटे शहर से बड़े सपने लेकर आने वाली लड़की है। तनु को वीजे पसंद करने लगती है और वो उसके करीब आना चाहती है। कॉलेज में वैलेंटाइन डे का प्रोग्राम चल रहा होता है और तनु वीजे के पास आती है। इसके बाद अगले दिन तनु वीजे पर #मीटू के तहत रेप करने का आरोप लगाती है। जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाते हैं।
इस केस को हैंडल करने के लिए वीजे के पिता (मनु ऋषि) वकील दानिश (ताहेर शब्बीर) को हायर करते हैं। इस मामले में वीजे उसकी गर्लफ्रेंड नानकी सभी तनु को झूठा बताते हैं। तो वहीं तनु बलात्कार होने व पुलिस में शिकायत करने की बात कहती हैं। अंत में इस मामले में दानिश क्या पता लगा पायेंगे? क्या वाकई वीजे ने तनु का बलात्कार किया? या तनु ने #मीटू का फायदा उठाते हुए उस पर झूठा इल्ज़ाम लगाया? ये सब जानने के लिए फ़िल्म ‘गिल्टी’ देख डालिये।

#Metoo मूवमेंट क्या है?

#Metoo  के तहत कई महिलाओं ने अपने साथ हुए शोषण के लिए आवाज़ उठाई थी। साल 2018 में सबसे पहले बॉलीवुड की एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने एक्टर नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और इसके बाद फ़िल्म इंडस्ट्री के कई बड़े नाम भी इसके तहत सामने आए थे। हालांकि, एक सच यह भी है कि इस दौरान कई मामले ऐसे भी सामने आये थे जहाँ कुछ महिलाओं ने झूठे आरोप भी लगाये थे।

‘मीटू’ के मामले को ध्यान में रखते हुए फ़िल्म ‘गिल्टी’ की कहानी लिखी गयी है, जिसमें अंत में बताया भी जाता है कि कुछ बड़े नामी लोगों पर बलात्कार का आरोप लगा था।
जिसमें कुछ सामने नहीं आ पाया और अभियुक्त अपनी जिंदगी को आराम से जीने लगा। इसके अलावा फ़िल्म ‘गिल्टी’ में दिखाया गया है कि अगर कोई लड़की किसी को पसंद करती है इसका यह मतलब नहीं कि वो उसके साथ कुछ भी कर सकता है। 

कलाकारों की अदाकारी

एक्ट्रेस कियारा आडवाणी ने एक कूल लड़की का किरदार निभाया है और जिसमें उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है। अंकाक्षा रंजन कपूर और गुरफटतेह पीरज़ादा ने भी अपने किरदार में बेहतरीन एक्टिंग की है। ताहेर शब्बीर की एक्टिंग पूरी फ़िल्म में काफी शानदार रहीं। तो वहीं मनु ऋषि और दूसरे स्टार्स ने भी अपने किरदार को अंत तक बखूबी निभाया।

डायरेक्शन

रुचि नारायण ने फ़िल्म में वह मुद्दा उठाया जो सभी के ज़ेहन में है। कहानी भी अच्छी लिखी गई लेकिन कुछ पहलू ऐसे भी थे, जो दोहराए गये। जैसे फ़िल्म में कुछ वाक्य और दृश्य ऐसे है जो फ़िल्म ‘पिंक’ की याद दिलाते है।

फ़िल्म की कहानी अभियुक्त को सही और ग़लत साबित करने में लगी रही। कहीं भी पीड़िता या अभियुक्त के नज़रिये से कुछ भी नहीं दिखाया गया।

क्यों देखें फ़िल्म?

नेटफ्लिक्स पर आई फ़िल्म ‘गिल्टी’ मीटू मूवमेंट की एक अलग सच्चाई को दिखाती है। साथ ही फ़िल्म में अंत तक एक सस्पेंस बना रहता है जो आखिर में खुलता है। इस लिहाज़ से अगर आप सस्पेंस फ़िल्मों के शौकीन है तो ये फ़िल्म आप एक बार देख सकते हैं।

क्यों न देखें फ़िल्म

फ़िल्म ‘गिल्टी’ में अभियुक्त और पीड़िता के नज़रिये से कुछ नहीं दिखाया गया है और साथ ही फ़िल्म ‘पिंक’ वाली बात दोहराई गई है कि ‘नो मीन्स नो’ होता है। पूरी फ़िल्म इसी पर बनकर रह गई कि उसने ऐसा किया या नहीं किया। एक गंभीर मुद्दा फ़िल्म में उठाया गया था, जिसपर ज्यादा बात नहीं की गई है। यह बात आपको निराश कर सकती है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
दीपाली श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

सिनेमा से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें