मामला क्या है?
संजय सिंह ने गुरुवार को कहा, 'गृह मंत्री दिल्ली का माहौल ख़राब करना चाहते हैं। पहले उनके नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए। बीजेपी दिल्ली में अपनी हार होती देख रही है। उस डर से ही यह साजिश रची गई थी। गृह मंत्री चुनाव टालने का षडयंत्र रच रहे हैं।'"भाजपा हार के डर से दिल्ली का चुनाव स्थगित करना चाहती है इसलिए इनके नेता भड़काऊ भाषण देकर दिल्ली का माहौल लगातार खराब कर रहे है, आज जामिया में हुआ हमला भी इसी का हिस्सा है।" : @SanjayAzadSln pic.twitter.com/Dm63932beh
— Aam Aadmi Party - Bihar (@AAPBihar) January 30, 2020
इस घटनाक्रम में चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि उसके अधिकारी शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के अफ़सरों से मिलेंगे। पर आयोग ने दिल्ली चुनाव टालने की संभावना से इनकार कर दिया है।
चुनाव टालने के प्रावधान
संविधान की व्यवस्था के मुताबिक़, युद्ध या आंतरिक विद्रोह या बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की स्थिति में आम चुनाव टाले जा सकते हैं। यह तभी हो सकता है जब इमर्जेंसी का एलान कर दिया जाए।- संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत युद्ध या विद्रोह की स्थिति में इमर्जेंसी का एलान किया जा सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोग को अधिकार है कि यदि उसे लगता है कि किसी जगह निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव नहीं कराए जा सकते, तो वह चुनाव टाल सकता है।
- लेकिन इसके साथ ही चुनाव आयोग को यह अधिकार है कि यदि उसे लगता है कि क़ानून व्यवस्था की स्थिति ऐसी नहीं है कि चुनाव कराए जा सकें तो वह चुनाव टाल सकता है।
- चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत पार्टी के उम्मीदवार की मौत होने पर चुनाव टाला जा सकता है।
- यदि आयोग को लगे किसी क्षेत्र में निष्पक्ष चुनाव कराने में दिक्कत है तो वह वहाँ चुनाव टाल सकता है।
पहले भी टाले जा चुके हैं चुनाव
इसके कई उदाहरण मिलते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में हुए आम चुनाव के समय त्रिपुरा पूर्व पर मतदान 23 अप्रैल को होना था। लेकिन चुनाव आयोग ने उसे टाल दिया और वहाँ मतदान 18 अप्रैल को कराए गए। आयोग के रिटर्निंग अफ़सर ने कहा था कि असामाजिक तत्व चुनाव प्रक्रिया में रुकावट डाल सकते हैं। उन्होंने यह बात ख़ुफ़िया एजेन्सियों की रिपोर्ट के आधार पर कही थी।पूरे राज्य विधानसभा के चुनाव टालने के उदाहरण भी हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव समय पर नहीं कराया गया था। इसे 2019 में ही कराया जाना था।
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