loader

इमरान ख़ान का अंग्रेज़ी-विरोध

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे। भारत की तरह पाकिस्तान में भी क़ानून अंग्रेज़ी में बनते हैं और अदालत की बहस और फ़ैसलों की भाषा भी अंग्रेज़ी ही है। अंग्रेज़ी का विरोध कितना जायज़ है?
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे या जैसा कि आजकल मुझे करना पड़ता है। विपक्षी नेता बिलावल भुट्टो पाकिस्तान की संसद में अंग्रेज़ी में बोलते हैं। इमरान ने इस पर आपत्ति की है। उनका कहना है कि उन्हें राष्ट्रभाषा उर्दू में बोलना चाहिए। पाकिस्तान की संसद में अंग्रेज़ी में बोलना 90 प्रतिशत पाकिस्तानी जनता का अपमान है, जो अंग्रेज़ी नहीं समझती।

यह बात हिंदुस्तान पर भी लागू होती है, लेकिन हमारे किसी प्रधानमंत्री ने आज तक इमरान जैसी स्पष्टवादिता का परिचय नहीं दिया। यदि डाॅ. लोहिया प्रधानमंत्री बन गए होते तो वह तो संसद में अंग्रेज़ी के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देते।

इमरान ने बिलावल की अंग्रेज़ी पर हमला इसलिए भी किया होगा कि वह उनके विरोधी हैं लेकिन उन्होंने जो बात कही है, वह बिल्कुल सही है। इमरान ख़ुद लंदन में रहे हैं, एक विदेशी महिला के पति भी रहे हैं और ख़ुद अंग्रेज़ी भी अच्छी बोलते हैं लेकिन वे उसके सार्वजनिक प्रयोग के विरोधी हैं। पाकिस्तान की संसद में मैंने कई बार अन्य सांसदों और मंत्रियों को अंग्रेज़ी बोलते हुए सुना है। अच्छा हो कि इमरान इस पर प्रतिबंध लगवाएँ।

ताज़ा ख़बरें

भारत की तरह पाकिस्तान में भी क़ानून अंग्रेज़ी में बनते हैं और अदालत की बहस और फ़ैसलों की भाषा भी अंग्रेज़ी ही है। उच्च शिक्षा में भी अंग्रेज़ी माध्यम का बोलबाला है। नौकरशाही सारा प्रशासन अंग्रेज़ी में चलाती है। यदि इमरान ख़ान अंग्रेज़ी के इस वर्चस्व को पाकिस्तान में ख़त्म कर सकें तो अंग्रेज़ के सभी पुराने ग़ुलाम देशों में उनकी तूती बोलने लगेगी। यों भी भारत के मुक़ाबले पाकिस्तान के नेता अंग्रेज़ी का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं। 

ब्लॉग से ख़ास

मेरा जनरल जिया-उल-हक, जनरल मुशर्रफ, बेनजीर भुट्टो, नवाज़ शरीफ़, आसिफ़ ज़रदारी, फारुख़ लघारी तथा कई फ़ौजी नेताओं से जमकर वार्तालाप होता रहा है, लेकिन मुझसे किसी ने भी अंग्रेज़ी में बात करने की कोशिश कभी नहीं की। दुबई में जब बेनजीर मुझसे मिलने मेरे बेटे के घर आती थीं तो बिलावल और उनकी दोनों बेटियों को भी साथ लाती थीं। वे आपस में भी उर्दू में बात करते थे। 

अंग्रेज़ी से नफ़रत?

पाकिस्तान के लोगों की मातृभाषाएँ पंजाबी, सिंधी, पश्तो और बलूच आदि हैं लेकिन उन्होंने उर्दू को राष्ट्रभाषा स्वीकार किया है। इसीलिए इमरान ख़ान का उर्दू के प्रति आग्रह सर्वथा उचित मालूम पड़ता है। उन्हें अंग्रेज़ी से नफ़रत नहीं है। वे उसके नाजायज़ दबदबे के ख़िलाफ़ हैं।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से साभार)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

ब्लॉग से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें