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संसद का मानसून सत्र : चीनी घुसपैठ पर मोदी के 'झूठ' को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस

संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस लद्दाख में चीनी घुसपैठ, लगातार डूबती अर्थव्यवस्था, तेज़ी से बढ़ती बेरोज़गारी और सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के मुद्दों पर मोदी सरकार और ख़ास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरेगी। मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा। लिहाज़ा, सरकार से मौखिक सवाल नहीं पूछे जा सकेंगे। इसलिए कांग्रेस इन बेहद अहम मुद्दों पर मोदी सरकार को इस तरह घेरेगी कि खु़द प्रधानमंत्री को जवाब देना पड़े।
सूत्रों के मुताबिक़, कांग्रेस चीनी घुसपैठ, रसातल में चली गई अर्थव्यवस्था और एवरेस्ट को छूते बेरोज़गारी के आंकड़ों जैसे जनहित के मुद्दों पर 'कामरोको प्रस्ताव' लाकर मोदी सरकार को जवाब देने पर मजबूर कर सकती है। 
कांग्रेस ऐसे नियमों के तहत इन मुद्दों पर बहस की मांग करके मोदी सरकार, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को बेनक़ाब करने की रणनीति बना रही है, जिन पर सदन में वोटिंग हो। इससे यह साफ़ हो जाएगा कि जनता से सीधे जुड़े इन मुद्दों पर बीजेपी के सहयोगी दल सरकार के साथ हैं या जनता के साथ।
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स्ट्रैटिजी कमिटी की बैठक

आगामी 14 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाने पर मंगलवार को ‘कांग्रेस पार्लियामेंट्री स्ट्रैटिजी कमेटी’ की बैठक हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए की गई इस बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, हाल ही में बनाए गए उपनेता गौरव गोगोई, लोकसभा में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ आक्रामक रहने वाले मनीष तिवारी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
बैठक में तमाम नेताओं के बीच मोदी सरकार को कोरोना से लड़ाई में नाकाम रहने, लद्दाख में चीनी घुसपैठ, लॉकडाउन की वजह से मज़दूरों को हुई परेशानी, डूबती अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर पूरी तरह बेनक़ाब करने पर आम सहमति दिखी।
किस मुद्दे को लोकसभा में और किस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया जाए, इसका फ़ैसला सरकार की प्राथमिकताएँ सामने आने के बाद किया जाएगा। दोनों सदनों की रणनीतिक समितियां ही संसद सत्र शुरू होने पर यह फ़ैसला करेंगी कि किस मुद्दे को किस नियम के तहत उठाया जाए।

उप सभापति का चुनाव

इसके साथ ही राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए चुनाव लड़ने के मुद्दे पर भी फ़ैसला हुआ। इसके लिए तय किया गया कि पार्टी पहले विपक्षी दलों के साथ सहमति बनाकर उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेगी। इस सूरत में यह चुनाव जीता भी जा सकता है।
अगर यह संभव नहीं हुआ तो पार्टी अपने दम पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके पीछे कांग्रेस का तर्क यह है कि परंपरागत रूप से राज्यसभा का उपसभापति विपक्षी पार्टी का होता है। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को तोड़ दिया था।
ग़ौरतलब है कि 2018 में एनडीए ने बीजेपी के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के हरिवंश नारायण सिंह को उपसभपति पद का चुनाव लड़वाया था। उनके मुक़ाबले कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता बी. के. हरिप्रसाद को मैदान में उतारा था। हरिवंश ने 125 वोट हासिल किए थे, जबकि हरिप्रसाद को 105 वोट ही मिल सके थे। अप्रैल में हरिवंश का कार्यकाल ख़त्म हो गया। वह दुबारा चुनकर आए हैं। इसलिए उपसभापति का चुनाव भी दुबारा होगा। एनडीए की तरफ़ से हरिवंश को ही दुबारा उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस बार उनके ख़िलाफ़ किसे मैदान में उतारती है।  

भगवान भरोसे कोरोना

कांग्रेस पार्टी मानसून सत्र के दौरान देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले को भी ज़ोर-शोर से उठाएगी। पार्टी का आरोप है कि देश में लगातार कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैलता जा रहा है और सरकार ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लॉकडाउन के ग़लत इस्तेमाल को लेकर कई बार सवाल उठाया है। संसद में कोरोना पर कांग्रेस मोदी से उनकी रणनीति को लेकर जवाब-तलब करेगी।

बेरोज़गारी

मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस मोदी सरकार की आर्थिक नीति और बदहाल अर्थव्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाएगी। पार्टी हाल ही में आई जीडीपी में 24 फ़ीसदी के नकारात्मक ग्रोथ को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का आइना बनाकर पेश करेगी।
महंगाई, बेरोज़गारी, प्रवासी मजदूरों की पीड़ा पर सरकार से जवाब तलब किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मज़दूर संगठन के हाल ही में जारी आँकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस बेरोज़गारी के मुद्दे को संसद के मानसून सत्र में बड़ा मुद्दा बनाएगी।
पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने के वायदे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन 2 करोड़ रोज़गार तो दूर, पिछले कुछ महीनों में करोड़ों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

चीनी घुसपैठ बनेगा मुद्दा

वहीं कांग्रेस मानसून सत्र में भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को पुरज़ोर तरीक़े से उठाने जा रही है। राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री पर चीनी घुसपैठ को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाते रहे हैं। पार्टी संसद सत्र के दौरान सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के बयान का हवाला देते हुए सरकार से वास्तविक स्थिति देश के सामने रखने का माँग करेगी।
बता दें कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था चीनी घुसपैठ नहीं हुई है। वहीं हाल ही में विदेश सचिव और सेना अध्यक्ष के बयान से साफ है कि 1962 के बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर इतनी तनाव पूर्ण स्थिति कभी नहीं रही है।
लद्दाख में चीनी घुसपैठ की लगातार आ रही ख़बरों से देशभर में मोदी सरकार के प्रति बेहद ग़ुस्सा है। वहीं कोरोना से निपटने में नाकामी, लॉकडाउन का वजह से लोगों को हुई परेशानी, प्रवासी मज़दूरों के पलायन से बिगड़े हालात की वजह से आम लोगों की नाराज़गी को लेकर संसद में आवाज़ उठाने की कांग्रेस पूरा कोशिश करेगी।
लेकिन रणनीति बनाना एक बात है, उसे अमली जामा पहनाना अलग बात है। हर संसद सत्र से पहले कांग्रेस ऐसी ही रणनीति बनाती है। लेकिन संसद सत्र में मुद्दों को उतनी असरदार तरीक़े से नहीं उठा पाती है। इस बार भी कांग्रेस के लिए अपनी ही बनाई रणनीति को लागू करना बड़ी चुनौती है।  
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यूसुफ़ अंसारी

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