loader

'265 फ़र्जी मीडिया नेटवर्क से जुड़ा था कश्मीर आए यूरोपीय सांसदों का दौरा'

कश्मीर के दौरे पर हाल ही में आए यूरोपियन सांसदों यानी एमईपी के दौरे को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। यूरोपीय यूनियन के एक ग़ैर-लाभकारी ग्रुप ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने दावा किया है कि उन सांसदों की कश्मीर यात्रा ऐसे फ़ेक मीडिया, इससे जुड़े समूह और थिंक टैंक से जुड़ी थी जिसका नेटवर्क दुनिया भर में फैला है। यानी इन सांसदों को एक फ़र्जी मीडिया वेबसाइट और ऐसा काम करने वाले थिंक टैंक के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाया गया और कश्मीर के दौरे पर लाया गया। 

यूरोप में आधारित ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने पड़ताल कर 65 देशों में ऐसी 265 फ़र्ज़ी स्थानीय मीडिया वेबसाइटों का खुलासा किया है। ये प्रभावित करने वाले एक भारतीय नेटवर्क से जुड़े हैं। इसमें यूरोपीय सांसदों की कश्मीर यात्रा से जुड़े श्रीवास्तव ग्रुप का भी नाम है।

सम्बंधित ख़बरें

बता दें कि यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों को जम्मू-कश्मीर जाने के लिए निमंत्रित करने और यात्रा आयोजित करने वाला संगठन वीमन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (डब्ल्यूईएसटीटी) यानी वेस्ट विवादों में है। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स स्थित इस ग़ैर-सरकारी संगठन ने यूरोपीय संसद के सदस्यों को चिट्ठी लिख कर न्योता दिया था और उन्हें बताया था कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाया जाएगा और उन्हें जम्मू-कश्मीर जाकर वहाँ की स्थिति ख़ुद देखने का मौक़ा मिलेगा। वेस्ट ने 7 अक्टूबर को यूरोपीय सांसदों को ख़त लिख कर कहा था कि वह 'भारत के प्रधानमंत्री हिज एक्सलेंसी (महामहिम) नरेंद्र मोदी' से एक 'वीआईपी मीटिंग' आयोजित कर रहा है।

चिट्ठी पर मादी शर्मा नाम की महिला का हस्ताक्षर था। वेस्ट की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़, मादी शर्मा 'वेस्ट' की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। इस चिट्ठी में यह भी कहा गया था कि इन सांसदों की यात्रा और ठहरने का इंतज़ाम इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ नॉन अलाइन्ड स्टडीज़ यानी आईआईएनएस कर रहा है। आईआईएनएस का कार्यालय दिल्ली के सफ़दरजंग इनक्लेव में है।
इस संस्था से संपर्क करने की कोशिशें नाकाम रहीं। इसकी वेबसाइट पर यूरोपीय संसद का कोई जिक्र नहीं है, उसके सदस्यों के भारत दौरे की कोई चर्चा तक नहीं है, न ही मादी शर्मा या उनकी संस्था 'वेस्ट' के बारे में कुछ कहा गया है। यह भी नहीं कहा गया है कि वह 'वेस्ट' से किस तरह जुड़ा हुआ है या वह ख़ुद किस तरह की गतिविधियों में शामिल है। 
fake media outlets linked to member of european union parliament Kashmir Visit - Satya Hindi
आईआईएनएस की वेबसाइट पर दौरे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। iins.org

आईआईएनएस की सच्चाई क्या?

यूरोपियन एक्सटर्नल एक्शन सर्विस के ईस्ट स्ट्रैटकॉम (ईयू डिसइनफॉर्मेशन टास्क फ़ोर्स) ने अक्टूबर की शुरुआत में एक खुलासा किया था। इसमें कहा गया था कि ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद के लिए स्व-घोषित पत्रिका ‘ईपी टुडे’ की वेबसाइट ‘eptoday.com’ सीधे ‘रूस टुडे’ और ‘वॉयस ऑफ़ अमेरिका’ से बहुत ज़्यादा ख़बरों को दोबारा प्रकाशित रही थी। ईयू डिसइन्फ़ोलैब के अनुसार, इसने पाया कि ‘ईपी टुडे’ भारतीय हितधारकों से जुड़ा है, जिसमें थिंक टैंक, एनजीओ और श्रीवास्तव समूह की कंपनियों के एक बड़े नेटवर्क जुड़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने यह भी पाया कि श्रीवास्तव समूह का आईपी एड्रेस संदिग्ध ऑनलाइन मीडिया ‘नई दिल्ली टाइम्स’ और आईआईएनएस का एक ही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन सभी का पता नई दिल्ली में एक ही जगह का दिया हुआ है।

fake media outlets linked to member of european union parliament Kashmir Visit - Satya Hindi
ईयू डिसइन्फ़ोलैब की रिपोर्ट में फ़ेक मीडिया को मैप पर यूँ दिखाया गया है। ईयू डिसइन्फ़ोलैब
ताज़ा ख़बरें

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों यानी एमईपी को आईआईएनएस द्वारा कश्मीर की यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए संपर्क किया गया था। इसके बाद मीडिया रिपोर्टों में भी आईआईएनएस और ईपी टुडे के बीच इस यात्रा से जुड़े होने की रिपोर्टें आईं। मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद यूरोप के इन सांसदों की यात्रा पर काफ़ी विवाद हुआ। विवादों के बीच ही 29 अक्टूबर को 27 में से 23 एमईपी का दल कश्मीर गया था। 

विवाद इसलिए हुआ था क्योंकि इन 27 में से 22 सांसद अपने-अपने देश की धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के थे। वे प्रवासी विरोधी, इसलाम विरोधी, कट्टरपंथी, फासिस्ट और नात्सी समर्थक विचारों के लिए जाने जाते रहे हैं। ये सभी सांसद निजी दौरे पर थे, वे यूरोपीय संघ या यूरोपीय संसद की ओर से नहीं भेजे गए थे।

इस विवाद के बाद भी ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने अपनी पड़ताल जारी रखी। अब इसने नई रिपोर्ट में दावा किया है कि हमने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुख्यालय जिनेवा में 'timesofgeneva.com' नाम का ऑनलाइन ‘समाचार पत्र’ पाया। 'टाइम्स ऑफ़ जिनेवा' भी 'ईपी टुडे' की तरह ही सामग्री प्रकाशित करता है। ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने 65 देशों में ‘ईपी टुडे, और ‘नई दिल्ली टाइम्स’ जैसे 265 ‘फ़र्ज़ी स्थानीय मीडिया’ की पड़ताल और उनके विश्लेषण के आधार कुछ तथ्य जुटाए हैं। इसमें इसने कहा है कि उनमें से अधिकाँश का नाम विलुप्त स्थानीय समाचार पत्र या वास्तविक मीडिया आउटलेट के नाम पर रखा गया है; वे कई समाचार एजेंसियों (केसीएनए, वॉयस ऑफ़ अमेरिका, इंटरफैक्स) से सामग्री को पुनः प्रकाशित करते हैं; ज़्यादातर वेबसाइटों में ट्विटर अकाउंट भी होता है।

ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने ऐसी बेवसाइटों की सामग्री का विश्लेषण कर बताया है कि इनका उद्देश्य कवरेज से अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रभावित करना है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमित कुमार सिंह

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें