loader

क्या हरिवंश दुबारा बनेंगे राज्यसभा के उप सभापति?

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का पड़ोसी गाँव सिताब दियारा, बलिया। यह पैदाइश और पता है राज्यसभा सांसद हरिवंश का। जनता दल यूनाइटेड के सांसद हरिवंश को एनडीए ने दूसरी बार राज्यसभा के उप सभापति पद का उम्मीदवार बनाया है। इसके लिए 14 सितम्बर को चुनाव होगा। इससे पहले अगस्त 2018 में वे उप सभापति चुने गए थे। बुधवार को उन्होंनें नामांकन भर दिया। किसी पत्रकार के एक नहीं दो-दो बार उपसभापति बनने वाले वे पहले शख्स होंगें।

राज्यसभा सांसद बनने के बाद उन्होंनें प्रधानमंत्री के सांसद ग्राम योजना में रोहतास के बहुआरा गाँव को गोद लिया, ऐसा गाँव  जिसका न कोई राजनीतिक महत्व है और ना ही उनका कोई परिवार या रिश्तेदार वहाँ रहता है।
देश से और खबरें
देश से और खबरें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वस्त नेताओं में से एक माने जाते हैं। इस साल अप्रैल में उनका राज्यसभा कार्यकाल ख़त्म होने के बाद से उपसभापति का पद खाली पड़ा था। अब वे राज्यसभा के लिए दोबारा सांसद चुन लिए गए हैं।

नामांकन भरा

उनके नामांकन पत्र पर बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान प्रस्तावक हैं और धावर चंद गहलोत और अकाली दल के नरेश गुजराल ने समर्थक के तौर पर दस्तखत किए हैं। पिछली बार बीजेपी ने नरेश गुजराल के बजाय हरिवंश को उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के बी. के. हरिप्रसाद को हराया था।
पिछले चालीस साल में वे पहले ग़ैर- कांग्रेसी उप सभापति चुने गए थे और राज्यसभा के इतिहास में तीसरे गैर कांग्रेसी उप सभापति।
राज्यसभा के संख्या बल के आधार पर उन्हें जीतने में कोई मुश्किल होती नहीं दिखती, लेकिन बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है। कांग्रेस औपचारिकता के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदावर डीएमके के तिरूचि शिवा को बना रही है।

राजनीतिक समीकरण

नवम्बर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के हरिवंश को उम्मीदवार बनाना बीजेपी के लिए बेहतर राजनीतिक डील है। बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही इस बार चुनाव लड़ रही है, हालांकि 2015 में बीजेपी ने नीतीश कुमार के महागठबंधन के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में महागठबंधन से रिश्ता टूटने पर वो सरकार में शामिल हो गई।

पत्रकार से सांसद

पेशे से पत्रकार रहे हरिवंश पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के रास्ते पर चलने वाले लोगों में से हैं। नवम्बर 1990 से जून 1991 तक चन्द्रशेखर के प्रधानमंत्री रहने तक वे उनकी सरकार में अतिरिक्त मीडिया सलाहकार रहे थे। चन्द्रशेखर की सरकार गिरने के बाद वे फिर से पत्रकारिता में चले गए। पिछले साल उन्होंनें चन्द्रशेखर पर एक किताब भी लिखी और उनके बागी तेवर को बेहतर तरीके से किताब में उतार दिया।

उनका परिवार तो खेती करता था, लेकिन गंगा ने रास्ता बदला तो खेत छिन गया। उन्होंनें पढ़ाई का रास्ता पकड़ा और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। फिर टाइम्स ऑफ इंडिया से शुरुआत करके धर्मयुग में काम किया। कुछ दिनों के लिए बैंक ऑफ इंडिया में अफ़सर भी बन गए, लेकिन मन नहीं लगा तो पत्रकारिता में लौट आए।
कलकत्ता में रविवार मैग्जीन से चलते हुए एक बड़ा चैलेंज लिया बिहार के प्रभात खबर अखबार को फिर से खड़ा करने का और उसे देश के प्रतिष्ठित अखबारों में खड़ा कर दिया। इस अखबार में आरटीआई की खबरों को जगह देकर बिहार सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विजय त्रिवेदी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें