जगदीश शेट्टार
कांग्रेस - हुबली-धारवाड़-मध्य
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देश में 6 मई को 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे और अब 27 मई को 1 लाख 86 हज़ार। यानी 21 दिन में हर रोज़ संक्रमण के मामले आधे से भी कम हो गए। तो क्या दूसरी लहर ख़त्म होने की ओर है?
संक्रमण के हर रोज़ के आँकड़े कम होने से ऐसा लगता है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर लगातार ढलान पर है। लेकिन जिस तरह से गाँवों में कोरोना की जाँच की सुविधा नहीं है और मामले रिपोर्ट नहीं किए जा रहे हैं, उससे दूसरी लहर के ढलान पर होने की बात कहीं संदेह के घेरे में तो नहीं है?
इसका जवाब ढूंढने से पहले यह जान लें कि देश में मौजूदा स्थिति क्या है। स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को 27 मई के आँकड़े बताए हैं और कहा है कि 24 घंटे में 1.86 लाख पॉजिटिव केस आए हैं और 3660 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली सहित अधिकतर राज्यों में संक्रमण के मामले काफ़ी कम हो गए हैं। अब जिन राज्यों में केस सबसे ज़्यादा आ रहे हैं उसमें तमिलनाडु (क़रीब 33 हज़ार केस), कर्नाटक (24 हज़ार केस), केरल (24 हज़ार केस), महाराष्ट्र (21 हज़ार केस), आंध्र प्रदेश (16 हज़ार केस) शामिल हैं। इन राज्यों में भी मामले कम होते दिख रहे हैं।
तो संक्रमण के मामले 4 लाख से घटकर दो लाख से नीचे कैसे आ गए? इसके बारे में कुछ तथ्यों को जानने से पहले यह जान लें कि कहा यह जा रहा है कि पहले बड़े शहर चपेट में थे और अब गाँव।
शहरों में भी कोरोना जाँच में दिक्कतों की ख़बरें आई हैं, लेकिन वहाँ कम से कम जाँच की सुविधा तो है, लेकिन गाँवों के साथ ऐसा नहीं है। एक बात तो साफ़ है कि गाँवों में कोरोना की जाँच न के बराबर है। जहाँ कहीं ज़्यादा संख्या में मौत हो जा रही है वहाँ स्वास्थ्य विभाग की टीमें जाँच कर रही हैं वरना अधिकतर गाँवों में लोगों की पहुँच कोरोना टेस्ट तक भी नहीं है।
हालाँकि, एक तथ्य यह भी है कि गाँवों में जैसे हालात क़रीब 10 दिन पहले थे अब वैसै नहीं रहे। तब गाँवों में एकाएक मौत के मामले बढ़ गए थे। गंगा में सैकड़ों लाशें तैरती मिल रही थीं। हज़ारों लाशों को गंगा किनारे रेत में दफ़न करने की ख़बरें थीं। हर गाँवों में बड़ी संख्या में बुखार से पीड़ित होने की रिपोर्ट थी। लेकिन अब ऐसी रिपोर्टें या तो नहीं आ रही हैं या फिर शायद ही कहीं पर और उस स्तर की नहीं। अब रिपोर्टें ऐसी आ रही हैं कि अधिकतर गाँवों में अधिकतर लोग ठीक हो गए हैं।
कोरोना की दूसरी लहर के जल्द ख़त्म होने पर विशेषज्ञ भी कहते हैं कि इसमें अभी समय लगेगा। अधिकतर विशेषज्ञ तो कहते हैं कि यह टीकाकरण पर निर्भर करेगा।
कोरोना की दूसरी लहर कब शिखर पर होगी, इस सवाल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने हाल ही में कहा था, 'मैं कोई तारीख़ या नंबर नहीं देना चाहती क्योंकि यह उन पाबंदियों पर निर्भर करता है जो कि लगाए गए हैं। अगर कुछ हफ़्ते के लिए राष्ट्रीय लॉकडाउन होता है तो शायद यह कर्व को नीचे की ओर मोड़ने में मदद करेगा। पिछले साल के विपरीत, वायरस कुछ राज्यों तक ही सीमित नहीं है और यह हर जगह लगता है। इसलिए, हम शिखर को लंबा खींचता देख सकते हैं जब तक कि हर जगह सख्त उपाय नहीं किए जाते।'
बता दें कि देश में कई राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर राज्यों में लॉकडाउन लगाया है, लेकिन देश भर में इस बार लॉकडाउन नहीं लगाया गया है। महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे कई राज्यों में लॉकडाउन लगाने के बाद संक्रमण के मामले कम हुए हैं। विशेषज्ञों का आकलन है कि भले ही दूसरी लहर ढलान पर है या इसका कर्व फ्लैट हो रहा है, लेकिन यह जुलाई तक चल सकता है। विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि तीसरी लहर भी आएगी यदि बचाव के उपाए नहीं किए गए। इस बचाव के उपाय में कोरोना टीका ही सबसे महत्वपूर्ण है।
दूसरी लहर हो या फिर संभावित तीसरी लहर, कोरोना वायरस को रोकने के लिए सभी को कोरोना वैक्सीन लगाने को सबसे अहम माना जा रहा है। लेकिन भारत में अभी टीके की कमी है और आबादी के सिर्फ़ 3 फ़ीसदी लोगों को ही दोनों खुराकें लगाई जा सकी हैं। यानी अब कोरोना संक्रमण से कैसे हालात होंगे, यह सब टीकाकरण की स्थिति पर निर्भर होगा।
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