मद्रास हाई कोर्ट ने नए सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून के उन प्रावधानों पर रोक लगा दी है कि जिनके तहत मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश की जा सकती है।
अदालत ने कहा है कि पहली नज़र में ऐसा लगता है कि मीडिया को नियंत्रित करने की सरकारी प्रक्रिया (ओवरसाइट मैकेनिज़म) से मीडिया की आज़ादी छीनी जा सकती है, और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपनी जगह नहीं टिक पाएगा।
अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून 2021 की धारा 9 की उप धारा 1 और 3 पर फिलहाल रोक लगा दी है।
इसके पहले बंबई हाई कोर्ट ने 16 अगस्त को एक आदेश में इस क़ानून के उन प्रावधानों पर रोक लगा दी थी जिससे मीडिया को नियंत्रित किया जा सकता है।
इन प्रावधानों में कहा गया है कि मीडिया को प्रेस काउंसिल के दिशा निर्देश और टीवी चैनलों को उनकी संस्था के दिशा निर्देशों को मानना होगा।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि ओवरसाइट मैकेनिज़म में सरकार के लोगों के रहने से राज्य को मीडिया के संपादकीय निर्णयों में हस्तक्षेप करने का मौका मिल सकता है।
कई अदालतों ने कहा है कि जो प्रकाशक इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, उनेक ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
ये याचिकाएं संगीतकार टी. एम. कृष्णा, डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन और मुकुंद पद्मनाभ ने दायर की थीं।
जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पी. डी. आदिकेशवलु ने कहा कि याचिकाकर्ता को ओवरसाइट मैकेनिज़म से आशंकाएँ हैं।
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