क्या राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे सदस्यों को रक्षा मामलों पर बनी स्थायी संसदीय समिति की बैठक में बोलने नहीं दिया गया? कांग्रेस सदस्यों ने उन्हें उनकी बात नहीं रखने देने का आरोप लगाया और बैठक से बाहर निकल आए। लेकिन बीजेपी ने राहुल गांधी की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
बुधवार को संसद की स्थायी समिति की बैठक इस मुद्दे पर रखी गई थी कि सैनिकों की वर्दी ऐसी रखी जाए, जिससे अलग-अलग रैंक की पहचान हो सके और किसी तरह का भ्रम न रहे।
ख़ास ख़बरें
राहुल को बोलने नहीं दिया गया?
हरियाणा से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और पूर्व लेफ़्टीनेंट जनरल देवेंदर पाल वत्स ने बैठक में कहा कि थल सेना, नौसेना और वायु सेना के रैंकों में समानता होनी चाहिए।लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बैठक में सैनिकों की वर्दी के बजाय इस पर बात होनी चाहिए कि उन्हें कैसे और किस तरह के हथियार और दूसरे साजो-सामान दिए जा रहे हैं ताकि वे सीमा की रक्षा कर सकें और शत्रु से आसानी से निपट सकें।
राहुल गांधी ने भारत-चीन सीमा पर कई महीनों से हज़ारों सैनिकों की तैनाती के मद्देनज़र यह मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें किस तरह के हथियारों से लैस किया जा रहा है, इस पर बात होनी चाहिए, वर्दी पर नहीं।
एनडीटीवी के अनुसार, जब राहुल गांधी ने सैनिकों के हथियारों का मुद्दा उठाया और सरकार से सफाई माँगी तो समिति के अध्यक्ष जुअल ओराँव ने कथित तौर पर उन्हें बोलने नहीं दिया।
'सेना तय करे ये मुद्दे'
राहुल गांधी ने जनरल बिपिन रावत और दूसरे अफ़सरों से यह भी पूछा कि उन्हें छोटी-मोटी बातों के लिए सरकार का मुँह क्यों देखना होता है।राहुल गांधी और कांग्रेस से दूसरे सदस्यों को नहीं बोलने दिया गया तो बैठक से उठ कर बाहर चले गए। इसके बाद जनरल रावत भी बैठक से चले गए और बैठक ख़त्म हो गई।
बीजेपी ने राहुल गांधी की मंशा पर सवाल उठाया है।
याद दिला दें कि मई महीने में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक लद्दाख में घुस आए और वापस जाने से इनकार कर रहे हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा के आर-पार भारत और चीन ने अपने-अपने लगभग 50 हज़ार सैनिक तैनात कर रखे हैं, वे अभी भी डटे हुए हैं। राहुल गांधी कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं और सरकार को इस पर घेर चुके हैं। उन्होंने बुधवार की बैठक में भी एक बार यह मुद्दा उठाया।
अपनी राय बतायें