सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रिब्यूनल में रिक्त पदों को भरने में देरी पर सरकार को फटकार लगाई है। इसके साथ ही अदालत ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पारित करने के लिए भी केंद्र की तीखी आलोचना की और एक्ट को अदालत द्वारा हटाए गए प्रावधानों का मिलता जुलता रूप क़रार दिया। 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, 'इस अदालत के फ़ैसलों का कोई सम्मान नहीं है। आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं! कितने व्यक्तियों की नियुक्ति की गई? आपने कहा कि कुछ लोगों को नियुक्त किया गया था?' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत स्थिति से 'बेहद परेशान' है।
शीर्ष अदालत ने सरकार को ज़रूरी नियुक्तियाँ करने के लिए एक हफ्ते का समय देते हुए नोटिस जारी किया है। इस मामले में आगे की सुनवाई 13 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने यह टिप्पणी कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर की। कांग्रेस नेता ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इसे हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित किया गया था और 13 अगस्त को राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई है।
ट्रिब्यूनल में नियुक्ति और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट सरकार से बेहद नाराज़ है। मुख्य न्यायाधीश ने आज सुनवाई के दौरान कहा, 'हम परेशान हैं... लेकिन हम सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते हैं।' इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि सरकार भी टकराव नहीं चाहती है।
अदालत ने कहा, 'एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) और एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) जैसे महत्वपूर्ण ट्रिब्यूनल में रिक्तियाँ... वे अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। सशस्त्र बलों और उपभोक्ता ट्रिब्यूनल में भी रिक्तियाँ मामलों के समाधान में देरी का कारण बन रही हैं।'
जब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वित्त मंत्रालय नियुक्तियों पर फ़ैसला दो महीने में लेगा तो न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने कहा, 'लेकिन दो साल से रिक्तियाँ लंबित हैं। आपने अभी तक नियुक्तियाँ क्यों नहीं कीं? आप नियुक्तियाँ नहीं करके न्यायाधिकरणों को कमजोर कर रहे हैं।'
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा,
“
हमारे पास केवल तीन विकल्प हैं। एक, हम क़ानून बनाए रखें। दूसरा, हम न्यायाधिकरणों को बंद कर दें और उच्च न्यायालय को शक्तियाँ दें। तीन, हम खुद नियुक्तियाँ करें।
सीजेआई एनवी रमना
अदालत ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पर नाराज़गी व्यक्त की। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम एक अधिनियम को ख़त्म करते हैं और एक नया आता है... एक पैटर्न बन गया है।'
बता दें कि पिछले महीने भी सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरणों के कामकाज से जुड़े क़ानून (ट्रिब्यूनल लॉ) को संसद में बिना किसी सार्थक बहस के पास किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त नाराज़गी जताई थी।
सीजेआई रमना की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल जस्टिस सूर्य कांत ने कहा था कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स विधेयक, 2021 के प्रावधान वैसे ही हैं, जैसे पिछले महीने अदालत के सामने एक दूसरे मामले में आए थे। इस मामले में भी अदालत ने प्रावधानों को नकार दिया था और ये भी न्यायाधिकरण में नियुक्तियों से जुड़े थे।
जुलाई के महीने में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 से फ़ैसला देते हुए ऐसे प्रावधानों को असंवैधानिक बताया था और कहा था कि ये न्यायपालिका की आज़ादी में दख़ल देते हैं। बेंच ने कहा था कि फ़ैसले लेने में निष्पक्षता, स्वतंत्रता और तर्कशीलता ही न्यायपालिका की पहचान है। अदालत ने यह फ़ैसला मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ के मामले में दिया था।
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