भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली की बात काफी समय से कही जा रही है, हालाँकि सरकार इससे लगातार इनकार करती रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि साल 2020 में भारत में आर्थिक मंदी
पहले के अनुमान से ज़्यादा होगी। नतीजतन, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बदतर होगी।
आईएमएफ़ ने कहा है कि हालाँकि आर्थिक मंदी पूरी दुनिया में ही होगी, पर भारत में मंदी अनुमान से ज़्यादा होगी। इसका यह भी कहना है कि अमेरिका-चीन में व्यापार संधि का यह नतीजा ज़रूर होगा कि पूरी दुनिया में मंदी की रफ़्तार कम हो जाएगी।
मुद्रा कोष ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी 1.2 प्रतिशत कम होगी। पहले 2020 के लिए 5.8 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था।
पर अब इसमें भी कटौती कर दी गई है,
पहले से कम विकास दर होगी। आईएमएफ़ ने कहा है कि घरेलू बाज़ार में नकद पैसे की कमी की वजह से ऐसा होगा। लेकिन अगले साल के लिए बेहतर नतीजे की उम्मीद की गई है। सरकार की मुद्रा और वित्तीय सहायताओं की वजह से साल 20211 में स्थिति सुधरेगी, जीडीपी 6.50 प्रतिशत की दर से बढेगी। इसके बाद यह वृद्धि दर शुरुआती अनुमान से 0.9 प्रतिशत कम ही रहेगी।
आईएमएफ़ ने कहा है कि घरेलू बाज़ार में नकद पैसे की कमी की वजह से ऐसा होगा। लेकिन अगले साल के लिए बेहतर नतीजे की उम्मीद की गई है। सरकार की मुद्रा और वित्तीय सहायताओं की वजह से साल 20211 में स्थिति सुधरेगी, जीडीपी 6.50 प्रतिशत की दर से बढेगी। इसके बाद यह वृद्धि दर शुरुआती अनुमान से 0.9 प्रतिशत कम ही रहेगी।
इसके पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि भारत को आर्थिक सुस्ती रोकने के लिए कदम तुरन्त उठाने चाहिए।
उन्होंने दिल्ली में कहा था कि भारत अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को चलाने वाला महत्वपूर्ण इंजन है, लेकिन गिरती खपत, निवेश, कम होते कर राजस्व और दूसरी वजहों से दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लग गया है। गोपीनाथ ने पिछले हफ़्ते उन्होंने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से मंदी की ओर आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ी है।
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