loader

आर्थिक मंदी पर मोहर लगी, जीडीपी में 7.5 फ़ीसदी की गिरावट

भारत की जीडीपी में इस तिमाही साढ़े सात परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है। भारत सरकार ने जुलाई से सितंबर की तिमाही का जीडीपी का आँकड़ा जारी किया है। इसके साथ ही यह पुष्ट हो गया कि भारत आर्थिक मंदी की चपेट में है। अर्थशास्त्र के हिसाब से लगातार दो तिमाही तक जीडीपी बढ़ने के बजाय घटती दिखे तभी माना जाता है कि कोई देश मंदी की पकड़ में है।

ख़ास ख़बरें

कोरोना से पैदा हुए आर्थिक संकट के बाद यह तय ही माना जा रहा था कि इस तिमाही में भी जीडीपी बढ़ने के बजाय गिरने की ही ख़बर आएगी। इससे पहले की तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आई थी। ज़ाहिर है कि उम्मीद की जा रही थी कि जुलाई में लॉकडाउन खुलने के बाद से इसमें कुछ सुधार होगा, मगर यह उम्मीद तो शायद ही किसी को थी कि इस बार जीडीपी में बढ़त दिख सकती है।

हालाँकि कुछ विद्वान यह बताने लगे हैं कि जीडीपी गिरने की रफ्तार (-)23.9% से सुधरकर सिर्फ़ (-)7.5% रह गई है। लेकिन यह कोई ख़ास राहत की ख़बर नहीं है। ख़ासकर यह देखते हुए कि कोरोना के घर यानी चीन में जीडीपी गिर नहीं बढ़ रही है।

india q2 gdp data shows economy contracts 7.5 percent and technical recession - Satya Hindi

भारत में इस तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग में 0.6% की बढ़त दिखी है। पिछली तिमाही में 39% की गिरावट के बाद यह राहत की ख़बर है। हालाँकि प्राइवेट कंजंप्शन यानी ग़ैर सरकारी ख़पत में इस बार भी 11.5% की गिरावट दिखाती है कि बाज़ारों में भीड़भाड़ और नवरात्रि की बिक्री से लेकर ऑनलाइन सेल तक के आँकड़ों के बावजूद सच यही है कि अभी लोग अपनी जेब ढीली करने को तैयार नहीं हैं।

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए यहाँ से आगे का समय बहुत अहम है क्योंकि अब देखना है कि त्योहारों के बाद भी लोग खरीदारी करते हैं या नहीं, और सरकार यहाँ से आगे का क्या रास्ता देखती और दिखाती है।

जीडीपी का आँकड़ा आने से कुछ ही देर पहले यह ख़बर भी आई कि कोर सेक्टर यानी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ज़रूरी आठ सेक्टरों की बढ़त की दर में फिर गिरावट आ गई है। अप्रैल में क़रीब अड़तीस परसेंट की भारी गिरावट के बाद से यह आँकड़ा लगातार सुधर रहा था और सितंबर में सिर्फ़ (-)0.8% रह गया था। लेकिन अक्टूबर में सुधार का यह सिलसिला टूट गया और इस महीने कोर सेक्टर में ढाई परसेंट की गिरावट दर्ज हुई है। यही नहीं, सितंबर का आँकड़ा भी रिवाइज़ करके अब माइनस एक परसेंट कर दिया गया है।

साफ़ है कि मुसीबत अभी टली नहीं है। कोरोना के फिर फैलने का डर और बार-बार लॉकडाउन की आशंकाएँ रास्ते की मुश्किलें और बढ़ा रही हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें