अनुच्छेद 370 में बदलाव करने के 7 महीने बाद अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोशल मीडिया से पाबंदी हटा ली है। हालाँकि लोगों को इंटरनेट की स्पीड 2जी की ही मिलेगी। यह सुविधा पोस्टपैड सिम वाले मोबाइल फ़ोन के लिए ही दी गई है। जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग द्वारा स्थिति का जायजा लेने के बाद यह फ़ैसला लिया गया है। इस पर तब से पाबंदी लगी हुई थी जब पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। इसके साथ ही कई तरह की और भी पाबंदियाँ लगाई गई थीं। इन पाबंदियों को हटाने के लिए देश के अंदर से लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तक का सरकार पर दबाव है। इंटरनेट की पाबंदी को लेकर तो देश का सुप्रीम कोर्ट भी कई बार सरकार के प्रति नाराज़गी जता जता चुका है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जनवरी महीने के आख़िरी हफ़्ते में पोस्टपैड और प्रीपेड सेवाएँ इस्तेमाल करने वाले मोबाइल धारकों के लिए 2जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया था। लेकिन इसमें शर्त यह लगाई गई थी कि वे सरकार के द्वारा अधिकृत की गईं 301 सुरक्षित वेबसाइट्स को ही एक्सेस कर पायेंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक़, इन सेवाओं को 25 जनवरी से चालू कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग का यह फ़ैसला तब आया था जब कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने घाटी में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि व्यापार और ई-बैंकिंग सेवाओं के लिए इंटरनेट को शुरू किया जाए। हालाँकि तब भी सोशल मीडिया से पाबंदी नहीं हटाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को ही जम्मू कश्मीर प्रशासन से इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने के आदेश की समीक्षा करने को कहा था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहद अहम अंग है। अदालत के अनुसार, इंटरनेट इस्तेमाल करने की आज़ादी लोगों का मूलभूत अधिकार है और बिना वजह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
इसके बाद से धीरे-धीरे प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटाने का यह फ़ैसला अब आया है।
बता दें कि पिछले साल अगस्त में जब अनुच्छेद 370 में बदलाव किया गया था तब इंटरनेट के साथ ही परिवहन-व्यवस्था व दूसरी सेवाओं पर कई पाबंदियाँ लगाई गई थीं। बाद में धीरे-धीरे इसमें ढील दी गई। हालाँकि, अभी भी कई तरह की पाबंदियाँ लगी हैं। लोगों को अभी भी गिरफ़्तारी से रिहा नहीं किया गया है। कई पूर्व मुख्यमंत्रियों और अलगाववादी नेताओं को भी गिरफ़्तार किया गया। अब तो पू्र्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के ख़िलाफ़ एनएसए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगा दिया गया है।
अपनी राय बतायें