श्रीनगर के हैदरपोरा में हुए एनकाउंटर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के कई बड़े नेताओं ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं तो हुर्रियत कान्फ्रेन्स ने इसके विरोध में 19 नवंबर को लोगों से बंद रखने के लिए कहा है। हैदरपोरा एनकाउंटर सोमवार शाम को हुआ था और इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने मांग की है कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
हुर्रियत ने बयान जारी कर कहा है कि हैदरपोरा एनकाउंटर ने कश्मीर के लोगों को हैरान कर दिया है। हुर्रियत ने कहा, “कश्मीर के अधिकतर नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता या तो जेल में हैं या फिर नज़रबंद हैं। ऐसे वक़्त में हैदरपोरा एनकाउंटर के ख़िलाफ़ और पीड़ितों के साथ खड़े होने के लिए लोगों को शुक्रवार को ख़ुद ही बंद रखना चाहिए।”
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मोदी सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक़ अब्दुल्ला, उमर, महबूबा मुफ़्ती सहित सैकड़ों नेताओं को लंबे वक़्त तक नज़रबंद कर दिया था और बहुत सारे लोग अभी भी जेल में हैं।
अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद यह कहा जा रहा है कि अलगाववादी नेताओं की जनता पर पकड़ कमजोर होती जा रही है और हुर्रियत की आवाज़ को कश्मीर में पहले जैसा समर्थन नहीं मिल रहा है। लेकिन इसके बाद भी हैदरपोरा एनकाउंटर को लेकर हुर्रियत ने बंद का आह्वान कर ख़ुद को जिंदा करने की कोशिश की है।
हैदरपोरा एनकाउंटर में मोहम्मद आमिर नाम के शख़्स की भी मौत हुई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि आमिर आतंकी था और अपने पाकिस्तानी सहयोगी के साथ इस एनकाउंटर में मारा गया। जबकि आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ़ मगरे ने कहा है कि उनका बेटा आतंकी नहीं हो सकता।
मगरे ने कहा है कि पुलिस ने उनके बेटे का शव तक उन्हें नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह ख़ुद देशभक्त हैं और 2005 में एक आतंकी को मौत के घाट उतार चुके हैं। मगरे ने एलजी मनोज सिन्हा से मांग की है कि उनके परिवार को इंसाफ़ दिया जाए। मगरे रामबन जिले की गूल तहसील के बाशिंदे हैं।
पीड़ित बोले- पुलिस के आरोप ग़लत
मारे गए दो अन्य लोगों- अल्ताफ़ भट और मुदास्सिर गुल के परिवार के लोगों ने भी पुलिस के आरोपों को ग़लत बताया है और इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग की है। दोनों के परिवार वालों ने कहा है कि उनके घर के लोगों का आंतकवाद से किसी तरह का कोई संबंध नहीं था।
इनके परिवार वालों ने बुधवार को श्रीनगर में धरना दिया और कैंडल मार्च भी निकाला। लेकिन पुलिस ने उन्हें धरनास्थल से जबरन हटा दिया और मार्च में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। इनकी मांग थी कि उनके परिजनों के शव उन्हें दे दिए जाएं। लेकिन उन्हें हंदवाड़ा इलाक़े में दफ़ना दिया गया।
जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा है कि क्रॉस फ़ायरिंग के दौरान जिस मुदास्सिर गुल नाम के शख़्स की मौत हुई है, वह किराये पर रह रहा था और उसने आतंकी हैदर और उसके सहयोगी को अपने वहां शरण दी थी।
आईजी का कहना है कि मुदास्सिर गुल आतंकियों का सहयोगी था और इस इलाक़े में एक अवैध कॉल सेंटर चला रहा था। जबकि अल्ताफ़ भट ने उसे अपना घर किराये पर दिया था। मोहम्मद आमिर अल्ताफ़ के दफ़्तर में ही काम करता था।
मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
उधर, विवाद बढ़ने के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच करने के आदेश दिए हैं। एलजी मनोज सिन्हा ने गुरूवार को ट्वीट कर कहा है कि एडीएम रैंक के एक अफ़सर इस एनकाउंटर की जांच करेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस मामले में कार्रवाई करेगी और प्रशासन इस बात को तय करेगा कि नाइंसाफ़ी ना हो।
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