क्या जम्मू-कश्मीर पर सऊदी अरब की नीति बदल गई है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी शहजादे से दोस्ती के बावजूद रियाद कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की ओर मुड़ रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि सऊदी अरब ने अपने बैंक नोट पर जो नक्शा छापा है, उसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया गया है। सऊदी अरब ने जी-20 का अध्यक्ष बनने के मौके पर यह नोट छापा है।
एनडीटीवी ने अपनी एक ख़बर में कहा है कि भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और सऊदी अरब को विरोध पत्र दिया है।
भारत का विरोध
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, 'हमने रियाद और दिल्ली के राजदूतों के ज़रिए सऊदी अरब को अपनी चिंता से अवगत कराया है, इसमें भारत की सीमाओं को ग़लत रूप से दिखाया गया है। हमने सऊदी अरब यह भी कहा है कि वह इसे दुरुस्त करने के कदम जल्द उठाए।'
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विदेश मंत्री के प्रवक्ता ने ज़ोर देकर कहा, 'मैं एक बार फिर यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं।'
पाकिस्तान का दबाव
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद पाकिस्तान ने सऊदी अरब पर यह दबाव डाला था कि वह ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) का विशेष सत्र बुलाए, उसमें कश्मीर के मुद्दे पर बात हो और प्रस्ताव पारित कर भारत को चेतावनी दी जाए।सऊदी अरब ने पाकिस्तान के बार-बार कहने और कई तरह के दबाव बनाने के बावजूद कश्मीर पर ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक को-ऑपरेशन का विशेष सत्र नहीं बुलाया।
इस पर झल्लाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बीते दिनों सऊदी अरब को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि वह ऐसा नहीं कर सकता तो साफ कह दे, पाकिस्तान स्वयं ओआईसी की बैठक बुलाएगा और इसमें उसके विचारों से सहमत देश भाग लेंगे। रियाद इस दबाव में भी नहीं आया, कश्मीर पर ओआईसी की बैठक अब तक नहीं हुई है।
भारत -सऊदी रिश्ते
लेकिन रियाद के बैंक नोट पर यह नक्शा छपना इसलिए भी चिंता का सबब है कि बीते दिनों भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में काफी नज़दीकी आई है।सऊदी अरब के शहजादा ने भारत को 20 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देने की पेशकश की है, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज में सऊदी सरकारी कंपनी सऊदी अरेमको का निवेश भी शामिल है।
इसके तहत सऊदी अरेमको भारत में तेल रिफ़ाइनरी लगाएगा और वह तेल निर्यात किया जाएगा। सऊदी शहजादा मुहम्मद बिन सलमान ने इसके अलावा रिलायंस जियो में भी निवेश किया है। समझा जाता है कि वह रिलायंस के ऑनलाइन खुदरा व्यापार में भी दिलचस्पी रखते हैं।
मोदी-सलमान
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियाद की यात्रा की थी और मुहम्मद-बिन-सलमान ने दिल्ली की यात्रा की थी जिस दौरान कई समझौतों पर दस्तख़त किए गए थे। इसमें सऊदी अरब ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी भारत के रुख का समर्थन किया था।सवाल यह उठता है कि इतना सबकुछ होने के बाद क्या हुआ कि सऊदी अरब कश्मीर पर अपना स्टैंड बदल रहा है और पाकिस्तान की नीति का समर्थन करता दिख रहा है।
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