सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस में तो उम्मीदवारों के नाम ताश के पत्तों की तरह फेंटे जा रहे हैं। उम्मीदवारों को टिकट देने और काटने का ऐसा सिलसिला चल रहा है कि सुबह को जहां एक उम्मीदवार का टिकट पक्का हो रहा है, वहाँ शाम होते होते दूसरे उम्मीदवार का नाम सामने आ जाता है।
कैसे कटा हसन का टिकट?
टिकट बदलने का सबसे दिलचस्प उदाहरण मुरादाबाद में सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार को लेकर सामने आया है। सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी के डॉक्टर एस. टी. हसन का नाम पहले से तय माना जा रहा था। वह पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उन्हें 3,97,720 वोट मिले थे। लिहाजा उनका टिकट तय था। समाजवादी पार्टी में उनके सबसे बड़े पैरोकार आज़म खान हैं। लेकिन सबको हैरान करते हुए अखिलेश यादव ने बीते गुरुवार को वहां हसन के बजाय नासिर क़ुरैशी को टिकट दे दिया। नासिर क़ुरैशी को टिकट मिलने की ख़बर आते ही मुरादाबाद में अखिलेश यादव शायद कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान प्रतापगढ़ी को जिताना चाहते हैं इसीलिए उन्होंने बेहद कमज़ोर उम्मीदवार उतारा है। मुरादाबाद के गली मोहल्लों में हो रही यह चर्चा शायद लखनऊ में अखिलेश यादव तक पहुंच गई। उन्होंने आनन फानन में क़ुरैशी का टिकट काटकर हसन को दे दिया।अखिलेश यादव ने मुरादाबाद में ठीक उसी अंदाज में उम्मीदवार बदला है, जैसे मायावती बीएसपी के उम्मीदवार बदलती रही हैंं।
मामला राज बब्बर का
ग़ौरतलब है कि पहले मुरादाबाद में कांग्रेस ने राज बब्बर को चुनाव मैदान में उतारने का मन बनाया था, राज बब्बर को कहीं ना कहीं डर था कि अगर सपा-बसपा गठबंधन शासन चुनाव मैदान में आता है तो वह शायद यहां अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएंगे। पिछले चुनाव में रात भर के साथ गाजियाबाद में भी ऐसा ही हुआ था। वह बीजेपी के वी. के. सिंह के सामने दो लाख से ज्यादा लाए थे, लेकिन उनकी ज़मानत भी नहीं बच पाई थी। चार-पांच साल में जज्बाती शायरी के ज़रिए मुसलमानों में लोकप्रिय हुए इमरान प्रतापगढ़ी मुरादाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे। इमरान प्रतापगढ़ी को यह गुमान है कि जैसे 2009 में कांग्रेस के टिकट पर अज़हरुद्दीन हैदराबाद से आकर मुरादाबाद से चुनाव जीते थे, उसी तरह मुरादाबाद की जनता उन्हें भी सर आंखों पर बैठेगी। इमरान की इच्छा देखते ही उनके लिए सीट छोड़ी और ख़ुद फ़तेहपुर सीकरी के लिए निकल लिए।मायावती का बार-बार उम्मीदवार बदलने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। इस बार भी उन्होंने ज़्यादातर सीटों पर कई बार उम्मीदवार बदले हैं। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने के बाद बीएसपी में टिकट माँगने वालों में होड़ मची हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि बिजनौर में 40% मुसलिम मतदाता हैंं। यहां मुसलिम समाज ने गठबंधन पर मुसलमान उम्मीदवार उतारे जाने का दबाव बनाया था। मुसलमानों की इसी भावना को भुनाने के लिए कांग्रेस ने कभी बसपा में दिग्गज नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को चुनाव मैदान में उतारा है, हालांकि इससे पहले कांग्रेस ने इंदिरा भाटी को टिकट दिया था। जब कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि मुसलिम उम्मीदवार उतार कर यहां मुसलमानों का वोट लिया जा सकता है, तो उन्होंने ने ऐन वक़्त पर इंदिरा भाटी का टिकट काटकर नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को चुनाव लड़ने भेज दिया। कांग्रेस ने शुक्रवार को जारी की गई स्ट में उत्तर प्रदेश में एक और टिकट बदला है। महाराजगंज सीट पर पहले तनुश्री त्रिपाठी को टिकट दिया गया था, अब उनका टिकट काट कर यहां सुप्रिया श्रीनेत को टिकट दिया गया है।
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