loader

मोदी की भोपाल यात्रा से पहले हबीबगंज स्टेशन के नाम को लेकर फिर विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 नवंबर को होने जा रही भोपाल यात्रा के ठीक पहले दुर्घटनाओं और हबीबंगज स्टेशन के नाम को लेकर उपजे विवाद ने सत्तारूढ़ दल बीजेपी के उत्साह में खलल पैदा कर दिया है। 

प्रधानमंत्री 15 नवंबर को लगभग चार घंटे के लिए भोपाल आ रहे हैं। वे दिन में 12.35 पर भोपाल एयरपोर्ट पहुंचेंगे और शाम सवा चार बजे दिल्ली वापस लौट जाएंगे। भारत में पहली बार वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से सुसज्जित किए गए हबीबगंज रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करने के अलावा पीएम मोदी जंबूरी मैदान पर होने वाले जनजातीय गौरव सम्मेलन में शिरकत करेंगे।

  

हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर पीपीपी मोड से विश्वस्तरीय सुविधाएं और अन्य निर्माण कार्य किए गए हैं। एक पांच सितारा होटल, शॉपिंग मॉल और मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण यहां किया जा रहा है। स्टेशन के विकास पर सौ करोड़ रुपये और अन्य निर्माणों पर कुल 450 करोड़ की राशि व्यय हो रही है। 

दोनों ही कार्यक्रमों को यादगार बनाने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार और बीजेपी का संगठन पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। तैयारियां पूरे चरम पर हैं।

बाल-बाल बचे बीजेपी जिलाध्यक्ष 

भोपाल के जंबूरी मैदान मंच पर शुक्रवार शाम को हादसा हो गया। हादसे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित उनके काबीना सहयोगियों, बीजेपी नेताओं और प्रशासनिक अमले की सांसें कुछ वक्त के लिए थाम दीं। 

दरअसल, मुख्यमंत्री चौहान दल-बल के साथ मंच व्यवस्था सहित अन्य तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहुंचे हुए थे। व्यवस्थाओं और तैयारियों के निरीक्षण के दौरान भोपाल बीजेपी के अध्यक्ष सुमित पचौरी मंच से नीचे गिरकर बेहोश हो गए। ऊंचे मंच से औंधे मुंह गिरे पचौरी को अचेत देखकर सभी चिंतित हो गए। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। 

मुख्यमंत्री और अन्य नेता भी पचौरी की खैर-खबर लेने के लिए अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने जांच-पड़ताल के बीच सीएम को आश्वस्त किया कि मामूली चोटों के अलावा पचौरी पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह सुनकर सीएम ने चैन की सांस ली। 

Narendra Modi Bhopal visit and habibganj station name controversy - Satya Hindi
तैयारियों का जायजा लेते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।

बीजेपी सरकार व संगठन जुटे 

जंबूरी मैदान पर जनजातीय गौरव सम्मेलन होना है। हादसे वाले मंच से ही पीएम का संबोधन होना है। कोविड प्रोटोकॉल के बीच सम्मानजनक संख्या में आदिवासियों को इकट्ठा करने की जुगतबाजी चल रही है। कार्यक्रम का पूरे प्रदेश में लाइव टेलीकॉस्ट कर एक करोड़ के लगभग लोगों को जोड़ने की योजना को भी सरकार और संगठन फाइनल कर चुके हैं। 

नाम बदलने पर चिकचिक

उधर, हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को लेकर चिकचिक चल रही है। शुक्रवार को इसके नाम को लेकर जारी विवाद चरम पर आ गया। 

दरअसल, मध्य प्रदेश की सरकार ने हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन करने संबंधी पत्र शुक्रवार की शाम केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया। भनक लगते ही विरोधी दल सक्रिय हो गए।

भारत सरकार के गृह सचिव को भेजे गए पत्र में मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने दलील दी है कि-‘‘16वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था। ऐसा माना जाता है कि तत्समय गोंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलापति का विवाह हुआ था। रानी कमलापति ने अपने पूरे जीवनकाल में अत्यंत बहादुरी और वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया था।”

पत्र में आगे कहा गया है, ‘‘गोंड रानी कमलापति की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाये रखने एवं उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति के स्वरूप 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण रानी कमलापति के नाम पर किए जाने के संबंध में अविलंब कार्रवाई की जाये।”

नाम पर उठते रहे हैं सवाल

मध्य प्रदेश और भोपाल में भी स्थानों एवं भवनों के नामों को लेकर विवाद नई बात नहीं है। तमाम विवादों के बीच भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर भी खूब सवाल उठाए जाते रहे हैं। 

भोपाल की बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह तो नाम को लेकर तीखी आपत्तियां जताती रही हैं। हबीबगंज स्टेशन के नाम को लेकर वे बेहद तल्ख रही हैं। 

उमा भारती और बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्वकाल में भी हबीबगंज स्टेशन के नाम को लेकर विवाद हुआ था। शिवराज सीएम बने तो भी मांग होती रही। तमाम मांग और प्रयासों के बावजूद बीजेपी और नाम बदलने की पैरवी करने वालों की मुराद पूरी नहीं हो पायी।

क्यों रखा गया हबीबगंज नाम? 

भोपाल मध्य क्षेत्र विधानसभा से कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने ‘इतिहास के पन्ने’ पलटते हुए शुक्रवार को जारी एक बयान में स्पष्ट किया कि स्टेशन का नाम ‘हबीबगंज’ कैसे हुआ? 

मसूद के अनुसार भोपाल के जिम्मेदार बाशिंदों में गिने जाने वाले हबीब मियां नामक शख्स ने एक समय में अपनी जमीन इस स्टेशन के लिए दान में दे दी थी, इसीलिए स्टेशन का नाम हबीब मियां के नाम से हबीबगंज रखा गया था।

मसूद ने कहा, “सरकार और बीजेपी को स्टेशन का नाम बदलने की राजनीति नहीं करनी चाहिए। स्टेशन का नाम बदलेगा तो करोड़ों रुपये खर्च होंगे। यह ठीक नहीं है।” 

उन्होंने कहा, “स्टेशन का नाम बदलने के बाद हबीबगंज सहित देश भर के रेलवे रिकॉर्ड में बदलाव के साथ टिकटों और सॉफ्टवेयरों में भी नाम बदलने की खानापूर्ति करनी पड़ेगी। इस पर खर्च होने वाली राशि कोविड में मारे गए मध्य प्रदेश के लोगों के उन वारिसों और परिजनों को भारत सरकार दे देगी तो बेहतर होगा, जिन्हें आर्थिक संकट की दुहाई देकर राज्य की सरकार हक का पैसा नहीं दे पा रही है।” 

हमीदिया अस्पताल में आग की घटना

प्रधानमंत्री की भोपाल दौरे की तमाम तैयारियों के बीच बीते सोमवार को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बड़ा अग्निकांड हो गया था। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े इस अस्पताल के एसएनएसयू वार्ड में आग लगने की घटना में एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौतों का आरोप है। इसको लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्ष लगातार सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है और सरकार को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है। 

बता दें, आग लगने की घटना के समय 40 बच्चे वार्ड में भर्ती थे। घटना के तुरंत बाद चार बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि डेढ़ दर्जन के लगभग बच्चे बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे।

Narendra Modi Bhopal visit and habibganj station name controversy - Satya Hindi
अस्पताल पहुंचे थे कमल नाथ।

आंकड़े छिपाने का आरोप 

पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने मौके का मुआयना करने के बाद मृतक बच्चों के सही आंकड़े को छिपाने का आरोप शिवराज सरकार पर लगाया था। उन्होंने कहा था जिस तरह से कोरोना से मध्य प्रदेश में हुई लाखों मौतों को सरकार ने सैकड़ों में बदलने का ‘कारनामा’ किया था, कुछ उसी तरह आंकड़ों की बाजीगरी हमीदिया अस्पताल अग्निकांड में मृत बच्चों को लेकर की जा रही है।

मध्य प्रदेश से और ख़बरें

यात्रा रद्द करने की मांग

मध्य प्रदेश की सरकार ने घटना को लेकर जांच बैठाई है। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। सरकार ने अब तक चार मौतें ही स्वीकारी हैं। विरोधी दलों और मारे गए बच्चों के परिजनों का आरोप है कि प्रधानमंत्री की यात्रा की वजह से मौत के सही आंकड़े सरकार ने छिपा लिए हैं। पूरे मामले में इसी वजह से लीपापोती हो रही है। कांग्रेस ने बच्चों की मौतों के मद्देनजर यात्रा रद्द करने की सीधी मांग पीएम मोदी से भी की हुई है।

आरंभिक जांच में आग लगने की वजह शार्ट सर्किट से होने और आग पर काबू पाने के लिए जरूरी उपाय नहीं होने की जानकारी सामने आयी है। घटना के बाद सरकार ने हमीदिया अस्पताल के तीन जिम्मेदार डॉक्टरों को अपने पदों से हटाया है और एक इंजीनियर को निलंबित किया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें