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क्या अनु. 370, पाकिस्तान के मुद्दे पर लड़ा जाएगा महाराष्ट्र का चुनाव?

क्या महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव पाकिस्तान और कश्मीर के मुद्दे पर लड़ा जाएगा? तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रविवार को मुंबई में हुई केंद्रीय गृहमंत्री व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सभाओं को देखकर तो ऐसा ही लगता है। अमित शाह ने मुंबई में हुई अपनी सभा में इस बात का स्पष्ट उल्लेख भी किया कि कश्मीर से अनु. 370 हटाने के बाद यह पहला चुनाव है? यानी चुनाव राष्ट्र का हो या महाराष्ट्र का, लगता है प्रचार में पाकिस्तान और कश्मीर ही मुख्य धुरी बने रहेंगे।

लोकसभा चुनाव में पुलवामा के जवाब में बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक, राष्ट्रवाद या पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली सरकार के मुद्दे भाषणों का आधार बने तो क्या अब महाराष्ट्र में आने वाले एक महीने हर चुनावी सभा में धारा 370 को हटाने के नारे गूंजेंगे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की प्रचार रणनीति को देखा जाय तो इस बात से बिलकुल भी इनकार नहीं किया जा सकता। 

गुजरात मॉडल का कोई जिक्र नहीं

पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इन दोनों नेताओं ने उस गुजरात मॉडल का बिलकुल जिक्र नहीं किया था जिसको प्रचारित कर वे 2014 में देश में सत्ता हासिल करने में सफल हुए थे और पूरा चुनाव कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर के एक बयान और मनमोहन सिंह और पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों के साथ कथित बैठक पर ही केंद्रित होकर रह गया था। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपनी सरकार के कामकाज को उसी तरह से प्रचारित करते हैं जिस तरह से मोदी सरकार करती है। 

फडणवीस यह कहते नहीं थकते कि महाराष्ट्र में उनकी सरकार ने पांच साल में ऐसे कार्य किये हैं जो साठ साल में इस प्रदेश में नहीं हुए। क्या फडणवीस सरकार के उन कार्यों का जिक्र पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनावी सभाओं में करेंगे?

तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नासिक में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए आयोजित अपनी पहली चुनावी सभा में पाकिस्तान का जिक्र किया तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव की तारीख़ें घोषित होने के अगले दिन मुंबई में हुई उनकी पहली चुनावी सभा में कश्मीर और अनुच्छेद 370 हटाने पर जमकर भाषण दिया। हालांकि यह कार्यक्रम कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अमित शाह के व्याख्यान के नाम से आयोजित किया गया था लेकिन इसे उनके चुनाव प्रचार की उद्घाटन सभा के रूप में देखा जा रहा है। 

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अमित शाह ने भी व्याख्यान की तरह नहीं चुनावी स्टाइल में ही भाषण दिया और दावा किया कि अगली सरकार भारतीय जनता पार्टी की ही बनेगी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक को निशाने पर रखा। 

शाह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को लेकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को फिर से एक बार दोषी ठहराया और कहा कि अगर नेहरू ने 1947 में युद्धविराम का ऐलान नहीं किया होता तो पीओके भारत का ही हिस्सा होता।

शाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए हटाने को लेकर बीजेपी और भारतीय जनसंघ के संघर्ष की बात भी कही। यही नहीं, शाह बार-बार उनकी सभा में बैठे लोगों से यह पूछते रहे कि अनुच्छेद 370 हटाने का फ़ैसला सही था या नहीं। 

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'अनुच्छेद 370 भ्रष्टाचार की जड़' 

अमित शाह ने अपने भाषण में कश्मीर के नेताओं के भ्रष्टाचार की भी बहुत बात की। उन्होंने कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर में दो लाख 27 हजार करोड़ रुपया केंद्र सरकार ने दिया, अगर भ्रष्टाचार नहीं हुआ होता तो हर कश्मीरी के हर घर पर सोने के पत्तरे लग गए होते।’ अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को भ्रष्टाचार की जड़ तथा उसे फलने और पनपने देने वाली छतरी बताया और कहा कि उसके लागू रहते  जम्मू-कश्मीर की सरकारों को भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) की स्थापना करने की इजाजत नहीं थी। शाह का मानना है कि चूंकि वहां कोई एसीबी नहीं थी इसलिए जनता के लिए भेजी गई रकम बेईमानी से हथिया ली जाती थी। 

चुनाव की तारीख़ें घोषित हो चुकी हैं, ऐसे में अमित शाह की इस सभा को महज कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के व्याख्यान के रूप में नहीं देखा जा सकता। उनका यह कार्यक्रम इस बात की तरफ़ सीधा इशारा है कि चुनाव में प्रचार अभियान की जो धारा बहने वाली है, वह अनुच्छेद 370 से हटकर नहीं बहेगी। 

वैसे भी अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही बैठकों में बीजेपी नेताओं द्वारा भी अनुच्छेद 370 को आधार बनाने की बातें कही गई हैं। बीजेपी नेता सीट बंटवारे को लेकर होने वाली बैठकों में यह दलील देते रहे हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से उनके दल का जनाधार और बढ़ा है जिसके चलते उन्हें गठबंधन में और अधिक सीटें चाहिए। 

अमित शाह के भाषण में चौंकाने वाली बात यही रही कि उन्होंने प्रदेश में बीजेपी के सत्ता में वापस आने की बात तो कही लेकिन प्रदेश की समस्याओं या राज्य सरकार के कामकाज के बारे में कुछ नहीं बोला।

महाराष्ट्र वर्तमान में सूखे और बाढ़ दोनों की मार झेल रहा है। यहां पिछले पांच साल में 16 हज़ार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। बाढ़ से पश्चिम महाराष्ट्र के हज़ारों घर ध्वस्त हो गए और किसानों की फसलें बर्बाद हो गयी हैं लेकिन उसके बारे में शाह ने कुछ बात नहीं की। 

देश में आर्थिक मंदी और उसकी वजह से महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ी बेरोजगारी के बारे में भी अमित शाह ने कोई घोषणा नहीं की। 

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शाह ने राहुल गांधी और शरद पवार को अनुच्छेद 370 के मामले में कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया और उनसे जवाब पूछा कि 370 को लेकर उनका क्या रुख है। शाह ने कहा कि जिन रियासतों के विलय की जिम्मेदारी सरदार वल्लभ भाई पटेल को दी गई थी, उन सभी का सफलता से विलय हो गया, लेकिन जिस एक रियासत का जिम्मा पंडित नेहरू पर छोड़ा गया, वह ही भारत में शामिल नहीं हो सकी।
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संजय राय

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