loader
फ़ोटो साभार - फ़ेसबुक

क्या बीजेपी को उलटा पड़ेगा पवार पर अमित शाह का वार?

क्या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) विधानसभा चुनाव ब्रांड शरद पवार के सहारे लड़ने जा रही है? एनसीपी के नेताओं के भाषण और उनकी रणनीति को देखा जाए तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। पार्टी के बड़े क्षत्रपों द्वारा साथ छोड़ने के कारण कई जिलों में पार्टी के पास चुनाव लड़ने वाले बड़े चेहरों की कमी साफ़ नज़र आ रही है। ऐसे में एनसीपी ने युवा नेताओं को आगे लाने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत अपने राजनीतिक जीवन में शरद पवार ने पिछले 55 सालों में क्या-क्या किया है, इसे हर मंच से प्रचारित किया जा रहा है।
ताज़ा ख़बरें

दरअसल, बड़े नेताओं द्वारा पार्टी का साथ छोड़ देने से एनसीपी असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रही थी। लेकिन गत सप्ताह सोलापुर की एक सभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक सवाल ने एनसीपी को एक नयी रोशनी दे दी। शाह ने इस सार्वजनिक सभा में यह सवाल उठाया था कि 70 सालों में पवार ने आख़िर महाराष्ट्र के लिए क्या किया है, उसका वह हिसाब दें? 

अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर इसी तर्ज में कांग्रेस को घेरते रहे हैं कि देश में बीते 70 सालों में हुआ ही क्या है? लेकिन महाराष्ट्र में अमित शाह का बयान कुछ उलटा पड़ता दिख रहा है।

महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश

एनसीपी के नेताओं ने इसे मराठी बनाम गुजराती और महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ना शुरू कर दिया है। साथ ही अब हर चुनावी सभा या प्रचार रैली में एनसीपी के नेता पिछले 55 सालों में शरद पवार ने महाराष्ट्र की जनता के लिए क्या-क्या किया है यह भी बताने लगे हैं और पवार भी अब आक्रामक मुद्रा में आ गए हैं। 

मंगलवार को पवार ने सोलापुर में ही एक सभा में अमित शाह को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अपने 55 साल के राजनीतिक सफ़र में वह कभी जेल नहीं गए हैं और जेल की यात्रा करने वाले उनसे उनके राजनीतिक योगदान के बारे में नहीं पूछें। पवार ने कहा कि कुछ लोगों को वह अभी भी राजनीति से बाहर निकालने का माद्दा रखते हैं।  

महाराष्ट्र से और ख़बरें
पवार ने कहा कि वह अभी बूढ़े नहीं हुए हैं तथा राजनीति की इस बाज़ी को जीतने के लिए तैयार हैं। 80 वर्षीय पवार आज भी प्रतिदिन तीन से चार सार्वजनिक सभाओं को संबोधित कर रहे हैं और दल-बदल की हवा में बिखरी एनसीपी अब इस रणनीति को उन विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी प्रखरता के साथ उठा रही है, जहाँ से उनके बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी या शिवसेना में चले गए हैं। उन सभी विधानसभा क्षेत्रों में पवार स्वयं जा रहे हैं तथा यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए थे उसके पीछे पूरे प्रयास उनके तथा एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के ही रहे हैं। 
एनसीपी शरद पवार का चेहरा आगे रखकर यह सवाल खड़े कर रही है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण का काम कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने किया जबकि मंदी का वातावरण बीजेपी-शिवसेना सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से निर्मित हुआ है।

मंदी की वजह से तेजी से बढ़ती बेरोजगारी को भी इसी सवाल से जोड़ा जा रहा है। यही नहीं किसानों की कर्ज माफ़ी या उनकी उपज के दाम की बात हो, हर सभा में एनसीपी यह बताने की कोशिश कर रही है कि शरद पवार ने पिछले 55 सालों में किसानों के लिए क्या-क्या किया है। इसी मुद्दे के साथ किसान आत्महत्या के आंकड़ों को भी जोड़ा जा रहा है जो देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल में बहुत तेजी से बढ़ा है। 

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ब्रांड शरद पवार इस चुनाव में एनसीपी की नैया पार लगा सकता है? क्योंकि जिस तरह से फडणवीस ने पिछले एक महीने में अपनी सरकार की ब्रांडिंग शुरू कर रखी है, वह बहुत व्यापक है।

मुंबई ही नहीं, प्रदेश के हर छोटे-बड़े शहरों के पेट्रोल पम्प ,बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, हाई वे और सड़कों के किनारे लगे होर्डिंग्स पर फडणवीस सरकार के वादे और दावे ही दिखाई देते हैं। एफ़एम रेडियो हो या टेलीविजन चैनल सब जगह सरकार का गुणगान ही सुनाई और दिखाई दे रहा है। वहीं, शिवसेना ने भी अपने युवा नेता आदित्य ठाकरे की ब्रांडिंग करने का जिम्मा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम को सौंपा हुआ है। 

संबंधित ख़बरें
प्रशांत किशोर की योजना के तहत आदित्य प्रदेश भर में जन आशीर्वाद यात्रा निकालकर जनता के बीच जा रहे हैं और आशीर्वाद मांग रहे हैं। अब देखना है कि अमित शाह का शरद पवार पर वार बीजेपी को भारी पड़ता है या जनता कश्मीर से अनुच्छेद 370 में बदलाव और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर बनाई जा रही लहर से प्रभावित होगी।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजय राय

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें