ड्रग्स क्रूज मामले में एनसीबी और मुंबई में इसके ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर हमलावर रहे नवाब मलिक ने अब एनसीबी की एक और कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
महाराष्ट्र के मंत्री मलिक ने कहा है कि एनसीबी ने राज्य पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल यानी एएनसी से अपने 'शीर्ष पांच मामलों' को केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने के लिए कहा है। इसी को लेकर नवाब मलिक ने केंद्र सरकार के मंसूबों पर संदेह जताया है। उन्होंने ट्विटर पर एनसीबी के ख़त को ट्वीट किया है और लिखा है, इस पत्र को पढ़ने पर एनसीबी की मंशा संदिग्ध लगती है? जब एनडीपीएस अधिनियम में ऐसा करने का कोई प्रावधान नहीं है तो वे राज्य सरकार के अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? क्या कोई दूसरा मक़सद है? एनसीबी को भारत के नागरिकों को जवाब देना चाहिए।'
Motive and intention of the #NCB upon reading this letter appears questionable ?
— Nawab Malik نواب ملک नवाब मलिक (@nawabmalikncp) December 3, 2021
Why are they trying to infringe upon the rights of the state government when there is no provision in the NDPS act to do so ?
Is there an ulterior motive ?
NCB must answer the citizens of India pic.twitter.com/oM8IuSiDpt
इसके अलावा सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में उन्होंने दावा किया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी द्वारा राज्य की एजेंसी एएनसी को भेजे गए पत्र के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फ़ैसले ज़िम्मेदार हैं।
नवाब मलिक ने जिस ख़त का ज़िक्र किया है उसे एनसीबी के महानिदेशक एस एन प्रधान ने 24 नवंबर को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को लिखा है। उन्होंने कहा कि उस ख़त में एनसीबी को सौंपे जाने के लिए उपयुक्त पांच मामलों की सूची मांगी गई है।
एनसीपी नेता मलिक ने कहा कि पत्र में मांग की गई है कि राज्य सरकारें 'अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय' प्रभाव वाले मामलों की सूची तैयार करें और पूरे नेटवर्क का पता लगाने में मदद करने के लिए उन्हें एनसीबी को सौंपने पर विचार करें। इसको लेकर मलिक ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि शीर्ष पांच मामलों के चयन के लिए मानदंड क्या है। क्या वे वही हैं जो सुर्खियों में रहे हैं?'
उन्होंने पूछा कि इस तरह के मामलों के स्थानांतरण के लिए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद राज्यों के अधिकारों का इस तरह से उल्लंघन क्यों किया जा रहा है।
वैसे, इम मामले में केंद्रीय एजेंसी में केंद्र के मंसूबों पर सवाल उठाने वाले नवाब मलिक पहले एनसीबी मुंबई और बीजेपी नेताओं के संबंध पर सवाल उठा चुके हैं। क्रूज ड्रग्स मामले में एनसीपी नेता ने ये सवाल तब उठाए थे जब एक वीडियो सामने आया था।
उन्होंने बीजेपी से जुड़े केपी गोसावी और प्राइवेट डिटेक्टिव मनीष भानुशाली का वह वीडियो ट्वीट किया था जिसमें दोनों एक सफेद गाड़ी से उतरकर एनसीबी कार्यालय में घुसते दिखे थे। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'किरण पी गोसावी और मनीष भानुशाली का उसी रात एनसीबी कार्यालय में प्रवेश करने का यह वीडियो है जिस रात क्रूज जहाज पर छापा मारा गया था।' हालाँकि इस मामले में बाद में एनसीबी ने सफाई दी थी कि वे क्रूज ड्रग्स मामले में गवाह थे।
नवाब मलिक ने इसके अलावा एक और आरोप लगाया था कि मोहित कंबोज के रिश्तेदार को क्यों छोड़ा गया। मलिक का कहना था कि एनसीबी ने कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग्स मामले में 11 अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया था, लेकिन उनमें से तीन को छोड़ दिया गया। मलिक ने आरोप लगाया था कि बीजेपी नेताओं के दवाब में एनसीबी ने तीन लोग- ऋषभ सचदेव, प्रतीक गाबा और आमिर फ़र्नीचरवाला को हिरासत में लेने के कुछ घंटों बाद ही छोड़ दिया था। इनमें से एक ऋषभ सचदेव बीजेपी नेता मोहित कंबोज (भारतीय) का साला है। इस पर एनसीबी ने सफ़ाई दी थी कि क्रूज़ से 14 लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन छह लोगों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया था।
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