Question on Media reporting in sushant case

सुशांत केस: हत्या की ‘थ्योरी’ फ़ेल, बीजेपी-मीडिया पर बरसी ठाकरे सरकार

पिछले तीन महीने भारतीय मीडिया में तमाशे के नाम रहे। फ़िल्मी सितारे सुशांत सिंह को न्याय दिलाने के नाम पर कुछ मीडिया चैनलों ने उद्धव ठाकरे सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला, मुंबई पुलिस पर सवाल दागे, रिया चक्रवर्ती को हत्यारी बताने की पुरजोर कोशिश की और 59 ग्राम ड्रग्स को लेकर बॉलीवुड में कुछ चुनिंदा लोगों को टारगेट करने का काम किया, इस सबसे पत्रकारिता की साख को गहरा धक्का लगा। इन्होंने चीख-चीखकर कहा कि सुशांत की हत्या की गई है, जबकि जांच एजेंसियों ने तब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी थी। 

इन चैनलों ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि यह मामला केंद्र बनाम महाराष्ट्र सरकार का हो गया। बिहार और केंद्र सरकार के इसमें कूदने के बाद मुंबई पुलिस से जांच लेकर सीबीआई को दे दी गई। तब मुंबई पुलिस पर सवाल उठाए गए कि वह अक्षम पुलिस है, उसने दो महीने में हत्या की एफ़आईआर दर्ज नहीं की। जबकि मुंबई पुलिस का कहना था कि यह मामला आत्महत्या का है। 

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मुंबई पुलिस से जांच लिए जाने को लेकर ठाकरे सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह पुलिस का अपमान है और राजनीतिक हलकों में यह भी कहा गया था कि ऐसा करके ठाकरे सरकार पर दबाव बनाकर उसे अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। 

अब जब एम्स के पैनल ने सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है तो बंदरों की तरह उछल-कूद और चिल्ला-चिल्लाकर रिपोर्टिंग कर रहे चैनल सन्नाटे में चले गए हैं। एम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह आत्महत्या का मामला है, हत्या का नहीं। सीबीआई ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में यही पाया है कि सुशांत की हत्या नहीं की गई थी। एम्स के पैनल ने स्पष्ट किया है कि सुशांत को ज़हर दिए जाने या गला घोटने की आशंकाएं ग़लत हैं। 

यह ख़बर सामने आने के बाद शिव सेना के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने ऐसे मीडिया चैनलों पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने लिखा सिर्फ जय हिंद और एक इमेज को ट्वीट किया। जिससे साफ था कि उनका निशाना इन्हीं चैनलों पर है। 

सुशांत मामले की जांच सीबीआई को सौंपने को लेकर बिहार और कुछ दूसरे राज्यों के बीजेपी के नेताओं ने जब जोरदार दबाव बनाया था, तब भी संजय राउत और शिव सेना कहते रहे थे कि ऐसा करके कुछ न्यूज़ चैनलों द्वारा मुंबई, महाराष्ट्र और उद्धव ठाकरे सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। एम्स की रिपोर्ट सामने आने के बाद राउत का ट्वीट उनकी पुरानी बातों को ही दोहराता है। 

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने भी बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है। सावंत ने कहा है कि सुशांत सिंह मामले में बीजेपी का मुंह पूरी तरह काला हो चुका है। उन्होंने कहा कि सुशांत मामले का इस्तेमाल महाराष्ट्र की सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया। 

देखिए, इस विषय पर जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार की टिप्पणी- 

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सावंत ने कहा कि बीजेपी की आईटी सेल ने सोशल मीडिया का एक रैकेट तैयार किया था और बीजेपी के द्वारा संचालित चैनल्स का भी सुशांत मामले में रोल रहा। उन्होंने कहा कि एम्स के पैनल की रिपोर्ट से साफ है कि मुंबई पुलिस सही दिशा में जांच कर रही थी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने की साज़िश तक उद्धव सरकार पहुंचेगी। 

ड्रग्स मामले की जांच को लेकर सावंत ने कहा कि सुशांत सिंह मामले और एनसीबी की जांच का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि पांच साल तक राज्य में फडणवीस सरकार रही, तब उन्होंने जांच क्यों नहीं की। 

इस मामले में मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमवीर सिंह ने कहा है कि उनका शुरू से यही स्टैंड था कि यह मामला आत्महत्या का है और अंत में यही बात सामने आई है।

सुशांत मामले में जिस तरह बीजेपी कूदी और उसने ठाकरे सरकार को घेरा, उसी तरह अब शिव सेना ने महाराष्ट्र में हाथरस मामले को लेकर प्रदर्शन किया है। मतलब साफ है कि अब ठाकरे सरकार भी भिड़ने के लिए तैयार है।

शिवसेना-कांग्रेस ने जाहिर कर दिया है कि अब बारी उसकी है और वह इस मामले में बीजेपी को नहीं छोड़ेगी। एम्स की रिपोर्ट आने के बाद कुछ चैनलों की ‘पत्रकारिता’ पर तो सवाल खड़े हुए ही हैं, बीजेपी को भी शायद बिहार के विधानसभा चुनाव में जो राजनीतिक फायदा वह सुशांत मामले से लेने की कोशिश कर रही थी, वह नहीं मिलेगा। क्योंकि हत्या को लेकर गढ़ी गई ‘थ्योरी’ पूरी तरह से उलट चुकी है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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