टीकाकरण की अव्यवस्थाओं को दूर करने की प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है तो क्या खेती सम्बन्धी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में भी क्या ऐसा होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर चुके हैं लेकिन इन दो सालों में वह अपने मंत्रिपरिषद को भी पूरी तरह आकार नहीं दे पाए हैं।
आगरा में ऑक्सीजन की मॉकड्रिल के चलते हुई 22 कोरोना रोगियों की मृत्यु की अस्पताल संचालक की आत्मस्वीकृति का वीडियो वायरल होने के बाद क्या लीपापोती की कोशिश की जा रही है?
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अख़बार गार्डियन को ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार से एक दस्तावेज़ हाथ लगा जिसमें साफ़ लिखा है कि काले आप्रवासियों या विदेशियों को महारानी एलिज़ाबेथ के यहाँ केवल सेवकों के रूप में तो रखा जाता था, दफ़्तरी कर्मचारियों के रूप में नहीं।
जनता उनसे उनके ‘मन की बात’, उनके राष्ट्र के नाम संदेश, चुनावी सभाओं में दिए जाने वाले जोशीले भाषण सब कुछ धैर्यपूर्वक सुन लेती है पर अपने दिल की बात उनके साथ शेयर करने का साहस नहीं जुटा पाती है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने मोदी सरकार को फटकारते हुए वैक्सीन नीति का पूरा हिसाब किताब देने का आदेश दिया था। इसका ही नतीजा है कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया।
आज के हिंदुस्तान का मुसलमान धर्मांध, कट्टर, सांप्रदायिक, देशद्रोही और यहाँ तक कि आतंकवादी तक क़रार दिया जाता है। उन्हें क्यों नहीं दिखते कोरोना बदहाली के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचाते हुए मुसलमान।
कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी को अल्पसंख्यक मोर्चे में लेकर आई है। वह क्या करेंगे, यह देखना शेष है। कांग्रेस ने पिछले वर्षों में जिस तरह अपने आधार को खोया है, वह उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
सोशल मीडिया पर दो तरह के लोग सक्रिय हैं। एक वे जो लिखते हैं और दूसरे जो बकते हैं। लिखने वाले लोग अच्छा भी लिखते हैं और बुरा भी। लेकिन बकने वाले लोग बस बकते हैं।
राम जन्मभूमि आंदोलन और हिंदुत्व की पहली प्रयोगशाला यूपी में बीजेपी को हार का डर क्यों सता रहा है? पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में विपक्षियों का सूपड़ा साफ करने वाली बीजेपी इतनी बेचैन क्यों है?
सरकार ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के सिलसिले में हर फ़ैसला अपने राजनीतिक नफा-नुक़सान को ध्यान में रखकर और अपनी छवि चमकाने के मक़सद से किया है। इससे कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान भी बुरी तरह लड़खड़ा गया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का ‘अंगद का पांव’ हिलने लगा है। क्या उसे प्रदेश में पार्टी के भीतर चल रहे राजनीतिक भूकंप से अपनी ज़मीन हिलने का अहसास हो गया है? क़रीब दस दिनों से यूपी बीजेपी में हंगामा क्यों मचा हुआ है?
क्या आरएसएस का सेवा कार्य विशुद्ध रूप से राजनीतिक है, लोक कल्याण नहीं? क्या लोक कल्याण आरएसएस का सिर्फ़ मुखौटा है? कोरोना काल में आरएसएस का कौन सा मुखौटा दिखा है?
हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।