हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय आबादी के लिए 75% जगहें आरक्षित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय संविधान विरुद्ध तो है ही, राजनीतिक और सामाजिक रूप से यह कड़वाहट और उत्तेजना पैदा करने वाला है।
कोरोना की वैश्विक महामारी ने एक साल पहले जब भारत को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था तब केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों ने सीएए और एनआरसी वाले आंदोलन को दबा दिया था। अब किसान आंदोलन है।
स्वयं गाँधी ने ही नहीं कांग्रेस ने भी राजनीतिक स्वतंत्रता के मुकाबले हमेशा समाज सुधार को, खासकर हिंदू समाज की कुरीतियों पर प्रभावी प्रहार को ख़ारिज या निलंबित रखा।
पिछले सप्ताह किरावली (आगरा) की विशाल किसान पंचायत में हज़ारों-हज़ार किसानों को सम्बोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने जो स्वर छेड़े वे मौजूदा किसान आंदोलन में नितांत नए राग के रूप में अंकित हो गए।
मध्य प्रदेश में भी खाद्य-पदार्थों और दवाइयों में मिलावट करनेवाले अब जरा डरेंगे, क्योंकि बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश की तरह अब मध्य प्रदेश भी उन्हें उम्र कैद देने का प्रावधान कर रहा है।
सरकार ने कहा कि वह डिजिटल मीडिया पर आने वाली सामग्री के लिए नियमावली या कोड ऑफ़ कंडक्ट और उसे चलाने वाले प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रही है।
सवा करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का आँकड़ा काफी बड़ा लगता है, ख़ासकर जब इसकी तुलना हम दुनिया के दूसरे देशों से करते हैं। लेकिन अगर हम इसे प्रतिशत में बदल दें तो तसवीर कुछ दूसरी हो जाती है।
सरकार अगर अचानक घोषणा कर दे कि परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है तो क्या होगा किसान आन्दोलन का?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा अन्य विपक्षी नेताओं का घोषित हुए चुनाव कार्यक्रम पर बिफरना और चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल उठाना स्वाभाविक ही है।
गुजरात के अहमदाबाद में भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट मैच हुआ। मैच शुरू होने से पहले जो घटनाएं घटीं, वह भविष्य में याद की जाती रहेंगी लेकिन नकारात्मक उल्लेख के साथ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा, लाल हरी पीली टोपी की नई परिपाटी अब शुरू हो गई है। उन्होंने आगे कहा, टोपी वाला गुंडा अब आम धारणा है।