डोनल्ड ट्रंप और उसके समर्थक राजनेताओं के उकसावे पर दक्षिणपंथियों की हिंसक भीड़ ने अमेरिकी संसद भवन कैपिटल पर हमला कर दिया। इस हमले का मक़सद अमेरिका में सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करना था। क्या भारत कोई सबक लेगा?
वाट्सऐप को दुनिया के करोड़ों लोग रोज इस्तेमाल करते हैं। वह भी मुफ्त! लेकिन पिछले दिनों लाखों लोगों ने उसकी बजाय ‘सिग्नल’, ‘टेलीग्राम’ और ‘बोटिम’ जैसे माध्यमों की शरण ले ली।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली की यह दिल्ली-यात्रा हुई तो इसलिए है कि दोनों राष्ट्रों के संयुक्त आयोग की सालाना बैठक होनी थी लेकिन यह यात्रा बहुत सामयिक और सार्थक रही है।
बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने कैपिटल हिल कांड के बाद डोनल्ड ट्रम्प का ट्विटर अकाउंट बंद किए जाने पर रोष जताया और कहा कि टेक कम्पनी का फ़ैसला लोकतंत्रों के लिए सजग होने का संकेत है। तो बड़ा ख़तरा कौन?
कृषि क़ानूनों पर किसान आन्दोलन के मामले में सुप्रमी कोर्ट निष्पक्षता की भाषा बोलता है, पक्षपात से ऊपर होने का दावा करता है, पर सामान्य राजनीतिक आचार व्यवहार को भंग करने की कोशिश करता है। बता रहे हैं लेखक प्रताप भानु मेहता।
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की पीठ से जो सरकार के ख़िलाफ़ गर्जन-तर्जन हो रहा था, उसे फटकार सुनाई जा रही थी, उसका खोखलापन तुरत उजागर हो गया। पूरी सुनवाई किसानों के हित, देश की भलाई का एक कमज़ोर स्वाँग भर थी।
केंद्र सरकार ने किसानों से कह दिया है कि कृषि क़ानून मान्य नहीं हैं तो सुप्रीम कोर्ट जाइए। किसानों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे न तो सुप्रीम कोर्ट जाएँगे, न ही अदालती कार्यवाही का हिस्सा बनेंगे और अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद पर जो नौटंकी रचाई थी, उसका अंत तो हो चुका है और उन्होंने यह भी मान लिया है कि 20 जनवरी को डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडन और कमला देवी हैरिस राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति की शपथ ले सकेंगे।
क्या यह तख्ता पलट की कोशिश थी, हथियारबंद विद्रोह था या सिर्फ़ हिंसक विरोध प्रदर्शन था? अमेरिका की सर्वोच्च विधायिका की इमारत कैपिटल हिल पर राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के समर्थकों के हमले के बाद अमेरिका में यह तकनीकी और क़ानूनी बहस शुरू हो गई है।