नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बयान दिया है कि 'भारत में लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है'। ऐसे में जब किसान आंदोलन को कुचला जा रहा है, विरोध की आवाज़ दबाई जा रही है, यह कितना सही है?
दिल्ली से सटे ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे मेरठ के 70 वर्षीय किसान ने एनडीटीवी के संवाददाता से कहा - ‘हम मोदी जी के बड़े शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने हिन्दू मुसलमान में बँट गए हम लोगों को इस आंदोलन के बहाने दोबारा जोड़ कर एक कर दिया।’
कृषि क्षेत्र में लाए गए तीन सुधारवादी क़ानूनों के विरोध में किसान 26 नवंबर से दिल्ली घेरे हुए हैं। कई दौर की वार्ता के बाद भी अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। सैकड़ों किसान संगठनों ने भारत बंद भी किया।
किसान आंदोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रडो की प्रतिक्रिया के बाद भारत के विदेश मंत्री जयशंकर द्वारा कनाडा द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संवाद का भी बहिष्कार कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। वह बार-बार इसे मुद्दे को क्यों छेड़ रहे हैं? चुनाव आयोग पर क्या असर होगा?
किसान आन्दोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 29 नवम्बर को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में तीनों क़ानूनों को भाग्य बदलने वाला बताया, लेकिन क्या किसान प्रधानमंत्री का विश्वास करेंगे?
हैदराबाद में नगर-निगम के चुनाव और उसके परिणाम स्थानीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय चुनाव साबित हो सकता है। जिन्ना ने तो सिर्फ़ एक पाकिस्तान खड़ा किया था लेकिन अब भारत में दर्जनों पाकिस्तान उठ खड़े हो सकते हैं।
बाबा साहब आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर उनके जीवन संघर्ष और समता-न्याय पर आधारित उनकी उदार लोकतंत्र की अवधारणा से सीखने की ज़रूरत है। वह हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था और हिन्दुत्व की वैचारिकी से जीवन भर जूझते रहे।