धोखेबाजी, ज़ोर-जबरदस्ती, लालच या भय के द्वारा धर्म-परिवर्तन करने को मैं पाप-कर्म मानता हूं लेकिन लव जिहाद के कानून के बारे में जो शंका मैंने शुरू में ही व्यक्त की थी, वह अब सही निकली। संस्कृत में इसे कहते हैं- प्रथमग्रासे मक्षिकापातः। यानी पहले कौर में ही मक्खी पड़ गई।
मुरादाबाद के कांठ नामक गांव के एक मुसलिम लड़के मोहम्मद राशिद से पिंकी नामक एक हिंदू दलित लड़की ने 22 जुलाई को शादी कर ली थी। दोनों देहरादून में काम करते थे। दोनों में ‘लव’ हो गया था। पिंकी मुस्कान बन गई। अब इन दोनों के खिलाफ बजरंग दल के कुछ अतिउत्साही नौजवानों ने ‘जिहाद’ छेड़ दिया है।
पिंकी की मां को भड़काया गया। उसने थाने में रपट लिखवा दी कि मेरी बेटी को धोखा देकर शादी की गई है। एक मुसलमान ने हिंदू नाम रखकर उसे प्रेमजाल में फंसाया, मुसलमान होने के लिए मजबूर किया और फिर शादी कर ली। पुलिस ने राशिद और पिंकी दोनों को पकड़ लिया। राशिद और उसके भाई को जेल में डाल दिया गया और पिंकी को सरकारी शेल्टर होम में।
पिंकी का पति और जेठ अभी भी जेल में हैं। पिंकी ने अपने बयान में साफ-साफ कहा है कि राशिद मुसलमान है, यह उसे शादी के पहले से पता था। उसने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया, शादी की और गर्भवती हुई। उसका गर्भ, जो दो-तीन महीने का था, इस पकड़ा-धकड़ी और चिंता में गिर गया।
यदि जोर-जबरदस्ती, लालच या डर के मारे पिंकी ने मुस्कान बनना मंजूर किया होता तो शेल्टर होम से छूटने के बाद वह अपने हिंदू मायके में क्यों नहीं गई? वह स्वेच्छा से कांठ के मुसलिम सुसराल में क्यों चली गई? इस घटना-चक्र ने लव-जिहाद के कानून के मुंह पर कालिख पोत दी है और उसे शीर्षासन करा दिया है।
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