loader

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: भारत को भी मिले ‘वीटो’ का अधिकार

संयुक्त राष्ट्र यूं तो लगभग 200 राष्ट्रों का विश्व-संगठन है लेकिन इन पांच शक्तियों के हाथ में वह कठपुतली की तरह है। उसकी सुरक्षा परिषद में न तो कोई अफ्रीकी, न लातीन-अमेरिका और न ही कोई सुदूर-पूर्व का देश है। भारत-जैसा दुनिया का दूसरा बड़ा राष्ट्र भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

संयुक्त राष्ट्र संघ के 75 वें अधिवेशन के उद्घाटन पर दुनिया के कई नेताओं ने भाषण दिए लेकिन उन भाषणों में इन नेताओं ने अपने-अपने राष्ट्रीय स्वार्थों को परिपुष्ट किया, जैसा कि वे हर साल करते हैं। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ऐसे बुनियादी सवाल उठाए, जो विश्व राजनीति के वर्तमान नक्शे को ही बदल सकते हैं। उन्होंने सुरक्षा परिषद के मूल ढांचे को ही बदलने की मांग रख दी। 

इस समय दुनिया में अमेरिका और चीन ही दो सबसे शक्तिशाली राष्ट्र हैं। आजकल दोनों एक-दूसरे के विरुद्ध मुक्का ताने हुए हैं। उनके नेता डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग ने एक-दूसरे को निशाना बनाया हुआ है। 

ताज़ा ख़बरें

चीन-अमेरिका की लड़ाई 

ट्रंप ने दुनिया में कोरोना विषाणु फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया और चीन ने कहा कि अमेरिका सारी दुनिया में राजनीतिक विषाणु फैला रहा है। शी जिनपिंग ने कहा कि चीन की दिलचस्पी न तो गर्म युद्ध में है और न ही शीत युद्ध में। मोदी ने अपने आप को इस चीन-अमेरिकी अखाड़ेबाजी से बचाया और सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जमाना काफी आगे निकल चुका है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ 75 साल पहले जहां खड़ा था, वहीं खड़ा है। 

सुरक्षा परिषद के सिर्फ पांच सदस्यों को वीटो (निषेध) का अधिकार है यानी उन पांच सदस्यों में से यदि एक सदस्य भी किसी प्रस्ताव या सुझाव को वीटो कर दे तो वह लागू नहीं किया जा सकता। यानी उनमें से कोई एक राष्ट्र भी चाहे तो सारी सुरक्षा परिषद को ठप कर सकता है। 

ये पांच राष्ट्र हैं- अमेरिका, चीन, रुस, ब्रिटेन और फ्रांस! इन पांचों को यह निषेधाधिकार क्यों मिला था? क्योंकि द्वितीय महायुद्ध (1939-45) में ये राष्ट्र हिटलर, मुसोलिनी और तोजो के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़े थे। जो जीते हुए राष्ट्र थे, उन्होंने बंदरबांट कर ली। 

विचार से और ख़बरें

पांच देशों की कठपुतली?

संयुक्त राष्ट्र यूं तो लगभग 200 राष्ट्रों का विश्व-संगठन है लेकिन इन पांच शक्तियों के हाथ में वह कठपुतली की तरह है। उसकी सुरक्षा परिषद में न तो कोई अफ्रीकी, न लातीन-अमेरिका और न ही कोई सुदूर-पूर्व का देश है। भारत-जैसा दुनिया का दूसरा बड़ा राष्ट्र भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है। 10 अस्थायी सदस्यों में इस वर्ष भारत भी चुना गया है। 

पांचों महाशक्तियां अपना मतलब गांठने के लिए गोलमाल शब्दों में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की बात तो करती हैं लेकिन होता-जाता कुछ नहीं है। भारत के नेता भी दब्बू हैं। वरना, आज तक उन्होंने ये मांग क्यों नहीं की कि या तो वीटो (निषेधाधिकार) खत्म करो या चार-पांच अन्य राष्ट्र को भी दो। वीटो अधिकार का कोई सुनिश्चित आधार होना चाहिए। भारत चाहे तो वह संयुक्त राष्ट्र के बहिष्कार की भी धमकी दे सकता है और अपने साथ दर्जनों राष्ट्रों को जोड़ सकता है।

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें