loader

बीजेपी के लिए कहीं भस्मासुर न बन जाए नागरिकता क़ानून

नागरिकता संशोधन क़ानून का मूल उद्देश्य तो बहुत अच्छा है कि पड़ोसी मुसलिम देशों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाए लेकिन उसका आधार सिर्फ धार्मिक उत्पीड़न हो, यह बात भारत के मिजाज से मेल नहीं खाती। उत्पीड़न किसी भी तरह का हो और वे उत्पीड़ित सिर्फ तीन पड़ोसी मुसलिम देशों के ही क्यों, किसी भी पड़ोसी देश के हों, भारत के द्वार उनके लिए खुले होने चाहिए। हर व्यक्ति के गुण-दोष परखकर ही उसे भारत का नागरिक बनाया जाए।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

नागरिकता संशोधन क़ानून लगभग वैसी ही भयंकर भूल है, जैसी मोदी सरकार ने नोटबंदी करके की थी। इन दोनों कामों को करने के पीछे भावना तो बहुत अच्छी रही लेकिन इनके दुष्परिणाम भयावह हुए हैं। नोटबंदी से सारा काला धन सफेद हो गया। काले धनवालों ने उल्टे उस्तरे से सरकार की मुंडाई कर दी। सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 30 हज़ार करोड़ रुपये नए नोट छापने में बर्बाद हुए। 

नोटबंदी ने बीजेपी सरकार का ज्यादा नुकसान नहीं किया, क्योंकि लोगों को पक्का विश्वास था कि वह देश के भले के लिए की गई थी लेकिन नागरिकता संशोधन क़ानून मोदी सरकार और बीजेपी की जड़ों को मट्ठा पिला सकता है। यह क़ानून बीजेपी के लिए कहीं भस्मासुरी सिद्ध न हो जाए। इस क़ानून का मूल उद्देश्य तो बहुत अच्छा है कि पड़ोसी मुसलिम देशों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाए लेकिन उसका आधार सिर्फ धार्मिक उत्पीड़न हो, यह बात भारत के मिजाज से मेल नहीं खाती। 

ताज़ा ख़बरें

उत्पीड़न किसी भी तरह का हो और वे उत्पीड़ित सिर्फ तीन पड़ोसी मुसलिम देशों के ही क्यों, किसी भी पड़ोसी देश के हों, भारत के द्वार उनके लिए खुले होने चाहिए। हर व्यक्ति के गुण-दोष परखकर ही उसे भारत का नागरिक बनाया जाए। न थोक में नागरिकता दी जाए और न ही थोक में मना किया जाए। इस सिद्धांत का पालन ही सच्चा हिंदुत्व है। 

लेकिन इस संशोधित क़ानून ने इस सिद्धांत का सरासर उल्लंघन किया है। इसीलिए मुसलमानों से ज़्यादा हिंदू नौजवान इसका विरोध कर रहे हैं। सारे विरोधियों को इस क़ानून ने एक कर दिया है। बांग्लादेश जैसे भारत के अभिन्न मित्र देश ने पिछले कुछ सप्ताहों में अपने मंत्रियों की चार भारत यात्राएं स्थगित कर दीं। कई मित्र-राष्ट्रों ने इस क़ानून को अनुचित बताया है। 

विचार से और ख़बरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इतना विरोध हुआ कि कोलकाता में उन्हें शहर के अंदर कार छोड़कर हेलिकाप्टर से यात्रा करनी पड़ी है। अनेक राज्य सरकारें (विपक्षी) इस क़ानून को लागू नहीं करने की घोषणा कर चुकी हैं। इस बेढंगे क़ानून की वजह से ‘नागरिकता रजिस्टर’ जैसा उत्तम काम भी खटाई में पड़ता नज़र आ रहा है।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें